नई दिल्ली: महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर हिंदू महासभा की शर्मनाक करतूत की तस्वीर सामने आई है। दरअसल, हिन्दू महासभा ने बापू की हत्या वाला सीन फिर से ताजा किया है। इसमें दिखाया गया है कि किस तरह नाथूराम गोडसे से गांधी को गोली मारी थी। उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में हिन्दू महासभा द्वारा ये कृत्य किया गया।
हिंदू महासभा की राष्ट्रीय सचिव पूजा शकुन पांडे ने एक नकली बंदूक का इस्तेमाल कर गांधी के पुतले को गोली मारी। पुतले से 'खून' भी बहाया गया। इसके अलावा उन्होंने गोडसे को माला पहनाई और गांधी की हत्या की याद में मिठाई भी बांटी।
30 जनवरी 1948 को नई दिल्ली में बिड़ला हाउस के परिसर में महात्मा गांधी की हत्या की गई थी। अहिंसा को अपना सबसे बड़ा हथियार बनाकर अंग्रेजों को देश से बाहर का रास्ता दिखाने वाले महात्मा गांधी खुद हिंसा का शिकार हुए। वह उस दिन भी रोज की तरह शाम की प्रार्थना के लिए जा रहे थे। उसी समय गोडसे ने उन्हें बहुत करीब से गोली मारी और साबरमती का संत 'हे राम' कहकर दुनिया से विदा हो गया।
बापू की हत्या के मामले में नाथूराम गोडसे सहित 8 लोगों को साजिश में आरोपी बनाया गया था। अंत में बचे 5 अभियुक्तों में से तीन- गोपाल गोडसे, मदनलाल पाहवा और विष्णु रामकृष्ण करकरे को आजीवन कारावास हुआ, जबकि दो- नाथूराम गोडसे व नारायण आप्टे को फांसी दी गई।
कोर्ट में नाथूराम गोडसे द्वारा दिए गए बयान के अनुसार जिस पिस्तौल से गांधी को मारा गया वह उसने दिल्ली में एक शरणार्थी से खरीदी थी। 15 नवम्बर 1949 को गोडसे को अम्बाला जेल में फांसी दे दी गई।
हिंदू महासभा की राष्ट्रीय सचिव पूजा शकुन पांडे ने एक नकली बंदूक का इस्तेमाल कर गांधी के पुतले को गोली मारी। पुतले से 'खून' भी बहाया गया। इसके अलावा उन्होंने गोडसे को माला पहनाई और गांधी की हत्या की याद में मिठाई भी बांटी।
30 जनवरी 1948 को नई दिल्ली में बिड़ला हाउस के परिसर में महात्मा गांधी की हत्या की गई थी। अहिंसा को अपना सबसे बड़ा हथियार बनाकर अंग्रेजों को देश से बाहर का रास्ता दिखाने वाले महात्मा गांधी खुद हिंसा का शिकार हुए। वह उस दिन भी रोज की तरह शाम की प्रार्थना के लिए जा रहे थे। उसी समय गोडसे ने उन्हें बहुत करीब से गोली मारी और साबरमती का संत 'हे राम' कहकर दुनिया से विदा हो गया।
बापू की हत्या के मामले में नाथूराम गोडसे सहित 8 लोगों को साजिश में आरोपी बनाया गया था। अंत में बचे 5 अभियुक्तों में से तीन- गोपाल गोडसे, मदनलाल पाहवा और विष्णु रामकृष्ण करकरे को आजीवन कारावास हुआ, जबकि दो- नाथूराम गोडसे व नारायण आप्टे को फांसी दी गई।
कोर्ट में नाथूराम गोडसे द्वारा दिए गए बयान के अनुसार जिस पिस्तौल से गांधी को मारा गया वह उसने दिल्ली में एक शरणार्थी से खरीदी थी। 15 नवम्बर 1949 को गोडसे को अम्बाला जेल में फांसी दे दी गई।