जांच अफसर का दावा- अमित शाह और तीन IPS अफसर तुलसीराम प्रजापति एनकाउंटर के मुख्य साजिशकर्ता

Written by Sabrangindia Staff | Published on: November 22, 2018
साल 2006 में गुजरात में हुए तुलसीराम प्रजापति के फेक एनकाउंटर के मामले की जांच कर रहे अधिकारी ने बुधवार को स्पेशल कोर्ट में दावा किया कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, आईपीएस अधिकारी दिनेश एमएन, राजकुमार पांड्या और डीजी वंजारा कथित तौर पर मुख्य साजिशकर्ता थे.



मुख्य जांच अधिकारी संदीप तामगड़े 2012 से इस केस की जांच कर रहे हैं. उन्होने स्पेशल कोर्ट में बताया कि यह राजनेताओं और अपराधियों की सांठगांठ का नतीजा था. इसमें अमित शाह और राजस्थान के गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया कथित तौर पर वह राजनेता थे जिन्होने 2004 में मशूहर बिल्डरों के ऑफिसों में आग लगवाने के लिए सोहराबुद्दीन शेख, तुलसीराम और आजम खान जैसे अपराधियों का इस्तेमाल किया था. अमित शाह, कटारिया, दिनश एमएन, राजकुमार पांड्या और वंजारा वह लोग हैं, जिन्हें इस मामले में आरोपी बनाया गया. हालांकि ट्रायल कोर्ट ने साल 2014 से 2017 के बीच इस मामले में इन्हें बरी कर दिया.

तामगड़े ने कोर्ट में यह भी दावा किया कि आरोपी के कॉल डेटा रिकॉर्ड्स से साबित होता है कि उसने अपराध की साजिश रची थी. तामगड़े से जब पूछा गया कि क्या किसी कॉल डेटा रिकॉर्ड्स की जांच के दौरान साजिश का पता लगा तो जवाब में उन्होने कहा कि क्रॉस एग्जामिनेशन के दौरान अधिकारी इस बात के लिए सहमत हुए कि कॉल डेटा रिकॉर्ड्स किसी विशेष समय पर किसी व्यक्ति के स्थान का पता लगाने के लिए अच्छे सबूत हैं.

इस दौरान जब बचाव पक्ष के वकीलों ने उन लोगों के नाम बताने के लिए कहा जिनके कॉल डेटा रिकॉर्ड्स में साजिश रची गई. तो तामगड़े ने अमित शाह, दिनेश एमएन, वंजारा, पांड्या, विपुल अग्रवाल, आशीष पांड्या और एनएच दाभी और जीएस राव का नाम लिया. इसमें से पांड्या, दाभी और राव ट्रायल का सामना कर रहे हैं जबकि दूसरों को साक्ष्य की कमी की वजह से छोड़ दिया गया. 

सीबीआई ने कथित अपराध से पहले और उसके बाद आरोपियों में इन पुरुषों की कॉल डिटेल शामिल थी. ट्रायल कोर्ट ने तब इन आरोपियों को यह कहते हुए बरी किया था कि उनके खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं हैं. 

जांच अधिकारी ने कोर्ट में बताया कि अप्रैल 2012 में जब उन्होने जांच संभाली तो उनके पूर्ववर्ती ने सोहराबुद्दीन मामले का एक बड़ा हिस्सा पूरा कर लिया था. उन्होने कहा कि राजस्थान में एक संगमरमर व्यवसायी कटारिया और विमल पाटनी के बयान दर्ज किए थे. जब डिफेंस वकील वहाब रियाज ने पूछा सबूत नष्ट हो गए हैं या उन्हें नष्ट कर दिया गया है. चूंकि जबसे उन्हें बरी किया गया है तबसे कोर्ट ने उनसे सवाल पूछने की अनुमति नहीं दी है. 

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