मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की लगातार चौथी बार जीत की राह में सबसे बड़ी बाधा कांग्रेस नहीं, बल्कि उसके अपने ही बागी नेता बनते जा रहे हैं।
पार्टी ने जिन नेताओं के बारे में कभी सोचा तक न था, वो भी बगावत का झंडा उठाए भाजपा को हराने के लिए निकल पड़े हैं। भोपाल में वरिष्ठ नेता बाबूलाल गौर तक बागी होने जा रहे थे, लेकिन पार्टी ने उनकी बहू को टिकट देकर बात संभाल ली, लेकिन प्रदेश भर में कई नेता बागी हो चुके हैं।
बागियों की लिस्ट में सबसे बड़ा नाम पूर्व सांसद सरताज सिंह का है जो एक बार कांग्रेस के दिग्गज स्वर्गीय अर्जुन सिंह तक को हरा चुके हैं। सरताज सिंह अब कांग्रेस के टिकट पर होशंगाबाद सीट से लड़ रहे हैं।
भिंड से भाजपा के विधायक नरेंद्र सिंह कुशवाह का टिकट कटा तो वो समाजवादी पार्टी के टिकट पर मैदान में उतर पड़े हैं। कुशवाह एक बार पहले भी भाजपा से बगावत कर के समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़कर 26 हजार से ज्यादा वोट पा चुके हैं।
यही हाल धार के धरमपुरी के भाजपा विधायक कालूसिंह ठाकुर का है। कालूसिंह का टिकट कटा तो वो शिवसेना के टिकट पर मैदान में उतर पड़े हैं।
पूर्व वित्त मंत्री राघवजी को तो भाजपा का टिकट मिलना ही नहीं था, इसलिए उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में शमशाबाद से नामांकन कर दिया है।
पूर्व मंत्री और पूर्व सांसद रामकृष्ण कुसुमरिया भी दमोह से अब निर्दलीय खड़े होकर अपनी ताकत दिखाने जा रहे हैं। इसी तरह भोपाल की हुजूर सीट से पूर्व भाजपा विधायक जीतेंद्र सिंह डागा और पूर्व विधायक ब्रह्मानंद रत्नाकर निर्दलीय चुनाव लड़ने जा रहे हैं।
आने वाले समय में भाजपा के बागियों की लिस्ट और लंबी होने जा रही है। इस मामले में पार्टी का चुनाव प्रबंधन एकदम फेल साबित हो रहा है।
पार्टी ने जिन नेताओं के बारे में कभी सोचा तक न था, वो भी बगावत का झंडा उठाए भाजपा को हराने के लिए निकल पड़े हैं। भोपाल में वरिष्ठ नेता बाबूलाल गौर तक बागी होने जा रहे थे, लेकिन पार्टी ने उनकी बहू को टिकट देकर बात संभाल ली, लेकिन प्रदेश भर में कई नेता बागी हो चुके हैं।
बागियों की लिस्ट में सबसे बड़ा नाम पूर्व सांसद सरताज सिंह का है जो एक बार कांग्रेस के दिग्गज स्वर्गीय अर्जुन सिंह तक को हरा चुके हैं। सरताज सिंह अब कांग्रेस के टिकट पर होशंगाबाद सीट से लड़ रहे हैं।
भिंड से भाजपा के विधायक नरेंद्र सिंह कुशवाह का टिकट कटा तो वो समाजवादी पार्टी के टिकट पर मैदान में उतर पड़े हैं। कुशवाह एक बार पहले भी भाजपा से बगावत कर के समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़कर 26 हजार से ज्यादा वोट पा चुके हैं।
यही हाल धार के धरमपुरी के भाजपा विधायक कालूसिंह ठाकुर का है। कालूसिंह का टिकट कटा तो वो शिवसेना के टिकट पर मैदान में उतर पड़े हैं।
पूर्व वित्त मंत्री राघवजी को तो भाजपा का टिकट मिलना ही नहीं था, इसलिए उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में शमशाबाद से नामांकन कर दिया है।
पूर्व मंत्री और पूर्व सांसद रामकृष्ण कुसुमरिया भी दमोह से अब निर्दलीय खड़े होकर अपनी ताकत दिखाने जा रहे हैं। इसी तरह भोपाल की हुजूर सीट से पूर्व भाजपा विधायक जीतेंद्र सिंह डागा और पूर्व विधायक ब्रह्मानंद रत्नाकर निर्दलीय चुनाव लड़ने जा रहे हैं।
आने वाले समय में भाजपा के बागियों की लिस्ट और लंबी होने जा रही है। इस मामले में पार्टी का चुनाव प्रबंधन एकदम फेल साबित हो रहा है।