इन विधानसभा चुनावों में छत्तीसगढ़ की राजनीति में एक और नया रूप देखने को मिल रहा है। इस बार जिन नेताओं को प्रत्याशी बनने से भाजपा को दिक्कत है, उन्हें गायब किया जा रहा है।
फिलहाल, गरियाबंद से भाजपा से बागी हुए नेता रामरतन मांझी गायब हो गए हैं। मांझी का गुरुवार सुबह से कुछ पता नहीं है। मांझी टिकट न मिलने से नाराज हैं और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में शामिल हो चुके हैं। एनसीपी ने उन्हें टिकट भी दे दिया था।
रामरतन मांझी ने गुरुवार को नामांकन करने का ऐलान भी किया था लेकिन सुबह से ही रहस्यमय तरीके से गायब हो गए हैं। एनसीपी के जिलाध्यक्ष किरीट ठक्कर ने आशंका जताई है कि उन्हें प्रतिद्वंदियों ने अगवा कर लिया है। ठक्कर की बुधवार रात करीब 9 बजे मांझी से अंतिम बार बात हुई थी, और गुरुवार को नामांकन भरने की तैयारी थी।
दैनिक भास्कर के अनुसार, सुबह जब रामरतन मांझी को फोन नहीं लगा तो जिलाध्यक्ष किरीट ठक्कर ने अपने कार्यकर्ता जीवन साहू को गोलामाल ग्राम स्थित उनके निवास पर भेजा।
मांझी के घर पर पता चला कि आधी रात करीब 2 बजे कुछ लोग मांझी को अपने साथ ले गए। अब परिवार वाले भी नहीं बता पा रहे हैं कि वो कौन लोग थे और मांझी को कहां ले गए हैं।
एनसीपी के जिलाध्यक्ष किरीट ठक्कर का कहना है कि जिस पार्टी को मांझी के चुनाव में खड़े होने से नुकसान की आशंका थी, उसने ही उन्हें गायब कराया है। तीन दिन पहले ही रामरतन मांझी को प्रलोभन देने का प्रयास भी किया गया था।
फिलहाल, गरियाबंद से भाजपा से बागी हुए नेता रामरतन मांझी गायब हो गए हैं। मांझी का गुरुवार सुबह से कुछ पता नहीं है। मांझी टिकट न मिलने से नाराज हैं और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में शामिल हो चुके हैं। एनसीपी ने उन्हें टिकट भी दे दिया था।
रामरतन मांझी ने गुरुवार को नामांकन करने का ऐलान भी किया था लेकिन सुबह से ही रहस्यमय तरीके से गायब हो गए हैं। एनसीपी के जिलाध्यक्ष किरीट ठक्कर ने आशंका जताई है कि उन्हें प्रतिद्वंदियों ने अगवा कर लिया है। ठक्कर की बुधवार रात करीब 9 बजे मांझी से अंतिम बार बात हुई थी, और गुरुवार को नामांकन भरने की तैयारी थी।
दैनिक भास्कर के अनुसार, सुबह जब रामरतन मांझी को फोन नहीं लगा तो जिलाध्यक्ष किरीट ठक्कर ने अपने कार्यकर्ता जीवन साहू को गोलामाल ग्राम स्थित उनके निवास पर भेजा।
मांझी के घर पर पता चला कि आधी रात करीब 2 बजे कुछ लोग मांझी को अपने साथ ले गए। अब परिवार वाले भी नहीं बता पा रहे हैं कि वो कौन लोग थे और मांझी को कहां ले गए हैं।
एनसीपी के जिलाध्यक्ष किरीट ठक्कर का कहना है कि जिस पार्टी को मांझी के चुनाव में खड़े होने से नुकसान की आशंका थी, उसने ही उन्हें गायब कराया है। तीन दिन पहले ही रामरतन मांझी को प्रलोभन देने का प्रयास भी किया गया था।