शोर न मचाएं, बहुजन हितों हेतु संघर्ष करते हुए थके-मांदे बहुजन नेता अभी नीद में हैं..

Written by Chandra Bhushan Singh Yadav | Published on: October 7, 2018
लखनऊ में दो सगे भाई इमरान व अरमान मार डाले गए हैं। बलात्कार चरम पर है। हत्याओं का दौर बदस्तूर जारी है। अपराध बेलगाम हो चुका है। फर्जी एनकाउंटर का दौर सा चल पड़ा है लेकिन विपक्ष और बहुजन नेता अलमस्त सो रहे हैं। शोर न मचाये क्योकि हमारे ये बहुजन नेता समाज हित मे संघर्ष करते हुए थके हुये है और आराम फरमा है।



लखनऊ में दो अल्पसंख्यक नौजवान मार डाले गए हैं लेकिन बहुजन नेता लखनऊ में रहते हुये ही उनके वहां जाएं क्यो? सपष्ट है कि यदि ये इमरान व अरमान के घर चले गए तो मुस्लिम परस्ती का तोहमत जो लग जायेगा। अब मुस्लिम परस्ती का तोहमत कौन झेले? अरमान व इमरान कोई विवेक तिवारी थोड़े न हैं कि भागते हुए कोई इनकी चौखट पर चला जाय। अरे भगवान राम भी रामराज्य में ब्राह्मण पुत्र के मरने पर ही द्रवित हुए थे और शम्बूक का गर्दन काट उन्हें सन्तुष्ट किये थे।

मुकेश राजभर हो या सुमित गुज्जर, नौशाद हो या मुस्तकीम, जितेंद्र यादव हो या अम्बुज यादव, आजमगढ़ के जयहिंद यादव हो या इमरान हो या अरमान ये लोग कोई भूसुर थोड़े न हैं, अरे ये सभी शम्बूक की परंपरा के लोग हैं जिनकी शहादत से भूसुर प्रसन्नं होते रहे हैं ऐसे में इनके लिए बहुजन नेता या सरकार चिंतित क्यो हों ?

यूपी में बहुजन समाज के नेता बहुजनो के उत्पीड़न पर पूरी तौर पर बेफिक्र है क्योकि उन्हें पता है कि इस समय देश मे दो ही राजनैतिक बाड़े हैं,एक हिंदुत्व का और दूसरा हिंदुत्व विरोध का,आप जाएंगे कहाँ?देश या प्रदेश के बहुजनो के साथ कुछ भी हो जाय बहुजन समाज मजबूर है इनके साथ रहने को फिर गुज्जर, राजभर, यादव, मुसलमान, पासी आदि के घर जाने की जरूरत ही क्या है? अरे पृथ्वी का देवता प्रसन्न तो सब ठीक फिर विवेक तिवारी के वहां जाकर भूसुर प्रसन्न की परंपरा दुहराने में हर्ज क्या है?



ये बहुजन नेता या तो फतिंगी हैं या जड़मति। ये अभिजात्य प्रेम में या तो हनुमान,बालि,सुग्रीव,विभीषण आदि बन समर्पित हो जाएंगे या रावण, महिषासुर आदि बन शहीद हो जाएंगे। इन्हें अपने जमात की चिंता नही है क्योंकि इन्हें निरपेक्ष दिखने का शौक है।

समय बड़ा नाजुक दौर में है। बहुजन नेता सो रहे हैं कभी-कभी जब मीडिया की चिग्घाड़ इनकी कानो में जा रही है तो ये पल भर के लिए जग रहे हैं और किसी विवेक तिवारी के वहां जाकर अपने कर्यव्य की इतिश्री समझ पुनः सो जा रहे है या ट्विटर पर ट्वीट कर दे रहे हैं। अब संघर्ष,वर्गीय इमोशन आदि गुजरे वक्त की बात हो गयी है। भाई संभल कर चलिए क्योकि अब आपको खुद मंजिल तय करनी है आपके बहुजन नेता अभी थके-मांदे सो रहे हैं, शोर न मचायें, कच्ची नींद में उन्हें जगाना उनकी सेहत खराब कर सकती है।

(लेखक सोशलिस्ट फैक्ट के कंट्रीब्यूटिंग एडिटर और यादव शक्ति के एडिटर इन चीफ हैं।)

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