राजस्थान के बदहाल अस्पतालों के पीछे सरकारी की लापरवाही के साथ-साथ सरकारी डॉक्टरों की पैसे की भूख भी है, लेकिन सरकार उन पर कोई कार्रवाई नहीं करके जनता की परेशानियों को बढ़ावा देने में लगी है।
चूरू जिले में जिला प्रजनन एवं शिशु स्वास्थ्य अधिकारी ने इस मामले में खुलेआम आरोप लगाकर सारी पोल खोल दी है। जिला प्रजनन एवं शिशु स्वास्थ्य अधिकारी डॉ सुनील जांदू ने राजकीय डेडराज भरतिया अस्पताल के कुछ डॉक्टरों पर बेहद गंभीर आरोप लगाए हैं।

(courtesy: patrika.com)
पत्रिका की रिपोर्ट के अनुसार, जिला स्वास्थ्य समिति की बैठक में सोमवार को एडीएम रामरतन सौंकरिया की अध्यक्षता में भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना की समीक्षा हो रही थी, तभी डॉ जांदू ने कहा कि जिला अस्पताल के कई डाक्टर खुद बीएसबीवाई के मरीजों को निजी अस्पतालों में ले जाते हैं और वहां ऑपरेशन भी करते हैं, लेकिन अस्पताल प्रशासन उन पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहा।
एडीएम ने इस पर गड़बड़ी वाले अस्पतालों को चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि जिला अस्पताल में करीब 35 फीसदी मरीजों को बीएसबीवाई का लाभ न मिलना भी गंभीर मुद्दा है। भर्ती होने के बाद भी मरीजों को लाभ न मिलने से मरीजों का आर्थिक नुकसान भी होता है।
बैठक में कई आशा कार्यकर्ताओं की गड़बड़ियां भी डॉ जांदू ने सामने रखीं। उन्होंने बताया कि कई आशा कार्यकर्ता गलत तरीके से सरकारी राशि का भुगतान ले रही हैं। उन्होंने यह भी बताया कि इसमें कुछ चिकित्सक और एएनएम भी शामिल हैं।
डॉ जांदू ने एक और चौंकाने वाला तथ्य बताते हुए कहा कि सुजानगढ़ जैसी जगहों पर भी प्रसव कराए जा रहे हैं जबकि वहां जटिल प्रसव की सुविधा नहीं हैं। ऐसे में गर्भवती महिलाओं के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ मनोज शर्मा ने सभी चिकित्सा प्रभारियों से मरीजों के बेहतर सेवा देने का निर्देश दिया और कहा कि संसाधनों की कमी हो तो जोखिम न उठाएं और मरीज को फौरन बड़े अस्पतालों के लिए रेफर करें।
चूरू जिले में जिला प्रजनन एवं शिशु स्वास्थ्य अधिकारी ने इस मामले में खुलेआम आरोप लगाकर सारी पोल खोल दी है। जिला प्रजनन एवं शिशु स्वास्थ्य अधिकारी डॉ सुनील जांदू ने राजकीय डेडराज भरतिया अस्पताल के कुछ डॉक्टरों पर बेहद गंभीर आरोप लगाए हैं।

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पत्रिका की रिपोर्ट के अनुसार, जिला स्वास्थ्य समिति की बैठक में सोमवार को एडीएम रामरतन सौंकरिया की अध्यक्षता में भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना की समीक्षा हो रही थी, तभी डॉ जांदू ने कहा कि जिला अस्पताल के कई डाक्टर खुद बीएसबीवाई के मरीजों को निजी अस्पतालों में ले जाते हैं और वहां ऑपरेशन भी करते हैं, लेकिन अस्पताल प्रशासन उन पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहा।
एडीएम ने इस पर गड़बड़ी वाले अस्पतालों को चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि जिला अस्पताल में करीब 35 फीसदी मरीजों को बीएसबीवाई का लाभ न मिलना भी गंभीर मुद्दा है। भर्ती होने के बाद भी मरीजों को लाभ न मिलने से मरीजों का आर्थिक नुकसान भी होता है।
बैठक में कई आशा कार्यकर्ताओं की गड़बड़ियां भी डॉ जांदू ने सामने रखीं। उन्होंने बताया कि कई आशा कार्यकर्ता गलत तरीके से सरकारी राशि का भुगतान ले रही हैं। उन्होंने यह भी बताया कि इसमें कुछ चिकित्सक और एएनएम भी शामिल हैं।
डॉ जांदू ने एक और चौंकाने वाला तथ्य बताते हुए कहा कि सुजानगढ़ जैसी जगहों पर भी प्रसव कराए जा रहे हैं जबकि वहां जटिल प्रसव की सुविधा नहीं हैं। ऐसे में गर्भवती महिलाओं के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ मनोज शर्मा ने सभी चिकित्सा प्रभारियों से मरीजों के बेहतर सेवा देने का निर्देश दिया और कहा कि संसाधनों की कमी हो तो जोखिम न उठाएं और मरीज को फौरन बड़े अस्पतालों के लिए रेफर करें।