दुर्ग में अराइस नाम की एक कंपनी में युवतियों को बंधक बनाकर काम कराने का मामला उजागर हुआ है। इन युवतियों को अराइस नामक कंपनी के संचालक दिनेश द्विवेदी और उमेश द्विवेदी ने बंधक बनाया हुआ था और उनके मोबाइल तक छीन लिए थे।
मामले का खुलासा तब हुआ जब एक युवती ने किसी तरह से एक मोबाइल चुराकर रक्षाबंधन के दिन अपने भाई हरीश निषाद को कॉल किया। बहन की आवाज सुन हरीश को गड़बड़ महसूस हुई और उसने तुरंत पुलिस से मदद मांगी।

(courtesy: bhaskar.com)
इसके बाद दुर्ग कोर्ट के पीछे की एक इमारत पर पुलिस ने छापा मारा और 14 युवतियों को वहां से मुक्त कराया। कंपनी के मालिक दो भाइयों को गिरफ्तार किया गया है।
हरीश निषाद ने दैनिक भास्कर को बताया कि उसकी इंजीनियर बहन ने अराइस कंपनी का विज्ञापन देखकर नौकरी के लिए आवेदन किया था जिसके बाद उसे नौकरी के लिए बुलाया गया। तब से वह घर नहीं लौटी थी। घरवालों ने इसकी शिकायत छावनी थाने में की थी। कंपनी मालिकों ने बहन को पहले आकर्षक सैलरी की बात कह कर नौकरी पर रखा। फिर योग्यता संबंधित सभी प्रमाण पत्रों के ओरिजिनल दस्तावेज जमा करा लिए। उसके बाद सभी को मच्छर भगाने के इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस बेचने के लिए सेल्समैन के तौर पर भेजने लगे।
अराइस कंपनी इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट बेचने की एक फर्म है। 8 अगस्त से बहन लापता थी। उसके बाद से उसका मोबाइल भी लगातार बंद आ रहा था। कई बार संपर्क करने का प्रयास किया। लेकिन बात नहीं हो पा रही थी। युवती ने बताया कि फोन पर बात करने की मनाही थी। इसलिए किसी से भी बात नहीं कर सकते थे। जैसे-तैसे उसने रविवार को एक मोबाइल चुराकर मुझको फोन कर दिया और मामले का खुलासा हो गया। ओरिजनल दस्तावेज रख लिए इसलिए कोई भाग नहीं पाया।
एएसपी विजय पांडेय ने बताया कि कंपनी का नाम अराइस है। मुक्त हुए कुछ युवक-युवतियां दूसरे राज्यों के लग रहे हैं। जिस जगह बंधक बनाकर रखा गया वो एक हॉस्टल की तरह है, लेकिन वहां न कोई वार्डन है न कोई देखने वाला। डिग्री समेत सभी दस्तावेज जमा कर लिए थे, इसलिए कोई भाग नहीं सकता था। कंपनी मालिक दो भाइयों को गिरफ्तार कर लिया है।
मामले का खुलासा तब हुआ जब एक युवती ने किसी तरह से एक मोबाइल चुराकर रक्षाबंधन के दिन अपने भाई हरीश निषाद को कॉल किया। बहन की आवाज सुन हरीश को गड़बड़ महसूस हुई और उसने तुरंत पुलिस से मदद मांगी।

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इसके बाद दुर्ग कोर्ट के पीछे की एक इमारत पर पुलिस ने छापा मारा और 14 युवतियों को वहां से मुक्त कराया। कंपनी के मालिक दो भाइयों को गिरफ्तार किया गया है।
हरीश निषाद ने दैनिक भास्कर को बताया कि उसकी इंजीनियर बहन ने अराइस कंपनी का विज्ञापन देखकर नौकरी के लिए आवेदन किया था जिसके बाद उसे नौकरी के लिए बुलाया गया। तब से वह घर नहीं लौटी थी। घरवालों ने इसकी शिकायत छावनी थाने में की थी। कंपनी मालिकों ने बहन को पहले आकर्षक सैलरी की बात कह कर नौकरी पर रखा। फिर योग्यता संबंधित सभी प्रमाण पत्रों के ओरिजिनल दस्तावेज जमा करा लिए। उसके बाद सभी को मच्छर भगाने के इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस बेचने के लिए सेल्समैन के तौर पर भेजने लगे।
अराइस कंपनी इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट बेचने की एक फर्म है। 8 अगस्त से बहन लापता थी। उसके बाद से उसका मोबाइल भी लगातार बंद आ रहा था। कई बार संपर्क करने का प्रयास किया। लेकिन बात नहीं हो पा रही थी। युवती ने बताया कि फोन पर बात करने की मनाही थी। इसलिए किसी से भी बात नहीं कर सकते थे। जैसे-तैसे उसने रविवार को एक मोबाइल चुराकर मुझको फोन कर दिया और मामले का खुलासा हो गया। ओरिजनल दस्तावेज रख लिए इसलिए कोई भाग नहीं पाया।
एएसपी विजय पांडेय ने बताया कि कंपनी का नाम अराइस है। मुक्त हुए कुछ युवक-युवतियां दूसरे राज्यों के लग रहे हैं। जिस जगह बंधक बनाकर रखा गया वो एक हॉस्टल की तरह है, लेकिन वहां न कोई वार्डन है न कोई देखने वाला। डिग्री समेत सभी दस्तावेज जमा कर लिए थे, इसलिए कोई भाग नहीं सकता था। कंपनी मालिक दो भाइयों को गिरफ्तार कर लिया है।