सुप्रीम कोर्ट के एक अहम फैसले में इंदिरा सागर-ओंकारेश्वर बांध के विस्थापितों को कुछ राहत मिली है। कोर्ट ने नर्मदा जल विद्युत विकास निगम को आदेश दिया है कि वह विस्थापितों को 20 करोड़ रुपए दे। इससे तकरीबन चार हजार विस्थापितों को फायदा होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने इस बारे में एनएचडीसी की स्पष्टीकरण याचिका खारिज कर दी और कहा कि विशेष पुनर्वास अनुदान की राशि ब्याज सहित देनी होगी।

(स्त्रोत: naidunia.jagran.com)
अब विस्थापितों को बढ़े हुए मुआवजे पर पहले साल में 9 प्रतिशत और बाद के सालों में 15 प्रतिशत ब्याज भी मिलेगा। माना जा रहा है कि इससे एनएचडीसी को विस्थापितों को 15 से 20 करोड़ रुपए देने पड़ेंगे।
जानकारों का कहना है कि एनएचडीसी ने विस्थापितों को बढ़ा हुआ मुआवज़ा देने के बजाय कोर्ट की लड़ाई में भारी धनराशि खर्च डाली। विस्थापितों की इस कानूनी जीत में खंडवा के वरिष्ठ वकील पीसी जैन और उनके साथियों का बड़ा योगदान रहा। सुप्रीम कोर्ट में विस्थापितों की तरफ से वकील संजय पारीख और सुनीता हजारिका ने केस लड़ा।
न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, नवीन सिन्हा, के एन जोसेफ ने हरसूद तहसील के ग्राम बोरखेड़ा के किसान लखनपाल बनाम एनएचडीसी के नाम से इस चर्चित केस की सुनवाई के बाद ये फैसला दिया।
आपको बता दें कि इंदिरा सागर परियोजना के विस्थापित उचित पुनर्वास के अभाव में अनेक परेशानियों से जूझ रहे हैं। खिरकिया में बसाए गए विस्थापितों को अभी तक जमीन के पट्टे तक नहीं मिल सके हैं। स्थानीय प्रशासन का तर्क है कि यह जमीन एनएचडीसी के नाम से आरक्षित है इसलिए एनएचडीसी की जमीन पर राजस्व विभाग पट्टे आवंटित नहीं कर सकता है।
विस्थापितों का कहना है कि उन्हें पट्टे नहीं मिले हैं, साथ ही मूलभूत सुविधाएं भी उन्हें नहीं मिल रही है। पिछले दिनों एनएचडीसी के एक मैनेजर ने विस्थापितों से मुलाकात भी की थी लेकिन पट्टे आवंटन की समस्या का निराकरण अब तक नहीं हो सका है।
सुप्रीम कोर्ट ने इस बारे में एनएचडीसी की स्पष्टीकरण याचिका खारिज कर दी और कहा कि विशेष पुनर्वास अनुदान की राशि ब्याज सहित देनी होगी।

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अब विस्थापितों को बढ़े हुए मुआवजे पर पहले साल में 9 प्रतिशत और बाद के सालों में 15 प्रतिशत ब्याज भी मिलेगा। माना जा रहा है कि इससे एनएचडीसी को विस्थापितों को 15 से 20 करोड़ रुपए देने पड़ेंगे।
जानकारों का कहना है कि एनएचडीसी ने विस्थापितों को बढ़ा हुआ मुआवज़ा देने के बजाय कोर्ट की लड़ाई में भारी धनराशि खर्च डाली। विस्थापितों की इस कानूनी जीत में खंडवा के वरिष्ठ वकील पीसी जैन और उनके साथियों का बड़ा योगदान रहा। सुप्रीम कोर्ट में विस्थापितों की तरफ से वकील संजय पारीख और सुनीता हजारिका ने केस लड़ा।
न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, नवीन सिन्हा, के एन जोसेफ ने हरसूद तहसील के ग्राम बोरखेड़ा के किसान लखनपाल बनाम एनएचडीसी के नाम से इस चर्चित केस की सुनवाई के बाद ये फैसला दिया।
आपको बता दें कि इंदिरा सागर परियोजना के विस्थापित उचित पुनर्वास के अभाव में अनेक परेशानियों से जूझ रहे हैं। खिरकिया में बसाए गए विस्थापितों को अभी तक जमीन के पट्टे तक नहीं मिल सके हैं। स्थानीय प्रशासन का तर्क है कि यह जमीन एनएचडीसी के नाम से आरक्षित है इसलिए एनएचडीसी की जमीन पर राजस्व विभाग पट्टे आवंटित नहीं कर सकता है।
विस्थापितों का कहना है कि उन्हें पट्टे नहीं मिले हैं, साथ ही मूलभूत सुविधाएं भी उन्हें नहीं मिल रही है। पिछले दिनों एनएचडीसी के एक मैनेजर ने विस्थापितों से मुलाकात भी की थी लेकिन पट्टे आवंटन की समस्या का निराकरण अब तक नहीं हो सका है।