एक तरफ भोपाल में दिव्यांग गर्ल्स हॉस्टल में दिव्यांग बालिकाओं के साथ बलात्कार का मामला तूल पकड़ता जा रहा है, वहीं खंडवा से ऐसे ही एक मामले में बलात्कारी आश्रम संचालक को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है।
आश्रम संचालक मुन्नलाल मालवीय को पॉस्को एक्ट के विशेष न्यायाधीश तपेश कुमार दुबे ने उम्र कैद की सजा सुनाई और 15 हजार रुपए का जुर्माना भी किया।
(स्त्रोत: नईदुनिया)
न्यायाधीश दुबे ने पूनमचंद को मरते दम तक कैद में रहने की सजा दी। नईदुनिया की खबर के मुताबिक पूनमचंद करीब दो साल से अपने आश्रम में रह रही 13 और 14 वर्षीय दो बालिका के साथ दुष्कर्म कर रहा था। 12 नवंबर 2017 को भी उसने बालिका के साथ दुष्कर्म किया। इसकी शिकायत एक बालिका ने कोतवाली में की थी। इसके बाद पुलिस ने पूनमचंद पर केस दर्ज किया था।
दिव्यांग बालिकाओं से दुष्कर्म करने का मामला काफी सनसनीखेज था। जिला अभियोजन अधिकारी राजेश भदौरिया ने बताया कि मामले की गंभीरता के कारण सुनवाई त्वरित हो पाई है और करीब 9 माह में ही पूनमचंद को सजा सुना दी गई। उसे सजा तक पहुंचाने में दिव्यांग बालिकाओं की गवाही और डीएनए रिपोर्ट मुख्य रही। रिपोर्ट में बालिकाओं के साथ दुष्कर्म किए जाने की बात साबित हुई।
पुलिस ने दिव्यांग आश्रम में संचालक पूनमचंद के कमरे से शक्तिवर्धक गोलियां, गर्भपात किए जाने संबंधित प्रतिबंधित दवाइयां भी जब्त की थीं।
खंडवा में यह आश्रम दुष्कर्मी पूनमचंद अवैध रूप से दिव्यांग आश्रम चला रहा था और उसने आदिवासी कार्यालय की जमीन पर ही यह आश्रम बना रखा था। सरकारी विभाग भी उस पर कोई कार्रवाई नहीं करते थे। आश्रम संचालन के नाम पर वह सरकारी विभागों और समाजसेवियों से भी चंदा भी लेता रहता था।
आश्रम संचालक मुन्नलाल मालवीय को पॉस्को एक्ट के विशेष न्यायाधीश तपेश कुमार दुबे ने उम्र कैद की सजा सुनाई और 15 हजार रुपए का जुर्माना भी किया।
(स्त्रोत: नईदुनिया)
न्यायाधीश दुबे ने पूनमचंद को मरते दम तक कैद में रहने की सजा दी। नईदुनिया की खबर के मुताबिक पूनमचंद करीब दो साल से अपने आश्रम में रह रही 13 और 14 वर्षीय दो बालिका के साथ दुष्कर्म कर रहा था। 12 नवंबर 2017 को भी उसने बालिका के साथ दुष्कर्म किया। इसकी शिकायत एक बालिका ने कोतवाली में की थी। इसके बाद पुलिस ने पूनमचंद पर केस दर्ज किया था।
दिव्यांग बालिकाओं से दुष्कर्म करने का मामला काफी सनसनीखेज था। जिला अभियोजन अधिकारी राजेश भदौरिया ने बताया कि मामले की गंभीरता के कारण सुनवाई त्वरित हो पाई है और करीब 9 माह में ही पूनमचंद को सजा सुना दी गई। उसे सजा तक पहुंचाने में दिव्यांग बालिकाओं की गवाही और डीएनए रिपोर्ट मुख्य रही। रिपोर्ट में बालिकाओं के साथ दुष्कर्म किए जाने की बात साबित हुई।
पुलिस ने दिव्यांग आश्रम में संचालक पूनमचंद के कमरे से शक्तिवर्धक गोलियां, गर्भपात किए जाने संबंधित प्रतिबंधित दवाइयां भी जब्त की थीं।
खंडवा में यह आश्रम दुष्कर्मी पूनमचंद अवैध रूप से दिव्यांग आश्रम चला रहा था और उसने आदिवासी कार्यालय की जमीन पर ही यह आश्रम बना रखा था। सरकारी विभाग भी उस पर कोई कार्रवाई नहीं करते थे। आश्रम संचालन के नाम पर वह सरकारी विभागों और समाजसेवियों से भी चंदा भी लेता रहता था।