भिलाई में डेंगू से मरने वालों का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है, और सरकार की तरफ से डेंगू फैलने से रोकने और मरीजों का सही इलाज कराने के कोई खास प्रयास नहीं किया जा रहा है।
नईदुनिया के मुताबिक, अब तक डेंगू से भिलाई में 6 मौतें हो चुकी हैं। इन मौतों में सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों की लापरवाही भी बराबर की जिम्मेदार है। मंगलवार की शाम को डेंगू पीड़ित बच्ची की मौत हो गई जबकि डॉक्टर उसके बुखार को वायरल बुखार मानकर इलाज करते रहे।
बच्ची की हालत खराब हो जाने पर उसे निजी अस्पताल ले जाया गया जहां जांच में उसे डेंगू की पुष्टि हुई, लेकिन तब तक इतनी देर हो चुकी थी कि 9 साल की बच्ची को बचाया नहीं जा सका। बच्ची को कई बार उल्टियां हुईं और मुंह से झाग तक निकलने लगे थे, लेकिन सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों ने उसे केवल वायरल बुखार से पीड़ित माना था।
मृतक बच्ची के पिता अवतार सिंह भिलाई स्टील प्लांट के ठेका मजदूर हैं। अवतार ने अपनी बेटी की मौत के लिए सरकारी अस्पताल की लापरवाही को जिम्मेदार बताया है।
अवतार सिंह ने बताया कि रविवार की सुबह सिरदर्द के कारण बच्ची रो रही थी तो उसे एक डॉक्टर से दिखाकर दवाई ली। बुखार ठीक न होने पर सोमवार को सुबह वे सुपेला सरकारी अस्पताल ले गए लेकिन वहां कोई डॉक्टर था ही नहीं।
डॉक्टर को दिखाने के लिए बच्ची को वॉर्ड में ही ले जाने पड़ा जहां डॉक्टर ने इंजेक्शन लगा दिया और मलेरिया की जांच के लिए कह दिया। जांच में मलेरिया नहीं निकला तो डॉक्टर ने दवा देकर बच्ची की छुट्टी कर दी।
मंगवार की सुबह फिर उसे उल्टी, मुंह से झाग आने पर बीएम शाह हॉस्पिटल ले गए, जहां उसकी मौत हो गई।
डॉक्टरों की लापरवाही की हालत तब है जबकि भिलाई में डेंगू के मामले लगातार सामने आ रहे हैं और इससे पहले भी 5 मौतें हो चुकी थीं। शहर में 150 से ज्यादा डेंगू मरीज अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती बताए जा रहे हैं।
शहर में डेंगू से हो रही मौतों को देखते हुए भिलाई महापौर देवेंद्र यादव ने मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य संचालक को पत्र लिखकर कार्रवाई की मांग भी की है, और स्थानीय प्रशासन और विभाग पर निष्क्रियता का आरोप भी लगाया है।
नईदुनिया के मुताबिक, अब तक डेंगू से भिलाई में 6 मौतें हो चुकी हैं। इन मौतों में सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों की लापरवाही भी बराबर की जिम्मेदार है। मंगलवार की शाम को डेंगू पीड़ित बच्ची की मौत हो गई जबकि डॉक्टर उसके बुखार को वायरल बुखार मानकर इलाज करते रहे।
बच्ची की हालत खराब हो जाने पर उसे निजी अस्पताल ले जाया गया जहां जांच में उसे डेंगू की पुष्टि हुई, लेकिन तब तक इतनी देर हो चुकी थी कि 9 साल की बच्ची को बचाया नहीं जा सका। बच्ची को कई बार उल्टियां हुईं और मुंह से झाग तक निकलने लगे थे, लेकिन सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों ने उसे केवल वायरल बुखार से पीड़ित माना था।
मृतक बच्ची के पिता अवतार सिंह भिलाई स्टील प्लांट के ठेका मजदूर हैं। अवतार ने अपनी बेटी की मौत के लिए सरकारी अस्पताल की लापरवाही को जिम्मेदार बताया है।
अवतार सिंह ने बताया कि रविवार की सुबह सिरदर्द के कारण बच्ची रो रही थी तो उसे एक डॉक्टर से दिखाकर दवाई ली। बुखार ठीक न होने पर सोमवार को सुबह वे सुपेला सरकारी अस्पताल ले गए लेकिन वहां कोई डॉक्टर था ही नहीं।
डॉक्टर को दिखाने के लिए बच्ची को वॉर्ड में ही ले जाने पड़ा जहां डॉक्टर ने इंजेक्शन लगा दिया और मलेरिया की जांच के लिए कह दिया। जांच में मलेरिया नहीं निकला तो डॉक्टर ने दवा देकर बच्ची की छुट्टी कर दी।
मंगवार की सुबह फिर उसे उल्टी, मुंह से झाग आने पर बीएम शाह हॉस्पिटल ले गए, जहां उसकी मौत हो गई।
डॉक्टरों की लापरवाही की हालत तब है जबकि भिलाई में डेंगू के मामले लगातार सामने आ रहे हैं और इससे पहले भी 5 मौतें हो चुकी थीं। शहर में 150 से ज्यादा डेंगू मरीज अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती बताए जा रहे हैं।
शहर में डेंगू से हो रही मौतों को देखते हुए भिलाई महापौर देवेंद्र यादव ने मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य संचालक को पत्र लिखकर कार्रवाई की मांग भी की है, और स्थानीय प्रशासन और विभाग पर निष्क्रियता का आरोप भी लगाया है।