किताबों के बिना पढ़ाई करने पर मजबूर छात्र

Written by Mahendra Narayan Singh Yadav | Published on: August 8, 2018
सरकारी स्कूलों में शिक्षा सत्र शुरू हुए दो माह से ज्यादा हो चुके हैं, लेकिन अभी तक स्कूलों में किताबें नहीं पहुँची हैं। छात्र बिना किताब के ही पढ़ाई कर रहे हैं, और शासन-प्रशासन एकदम लापरवाह बना हुआ है।

पत्रिका की खबर के मुताबिक सरकार ने इस सत्र से प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने का दावा किया था और एसआईक्यूई समेत कुछ नए प्रयोग भी वह करने जा रही है, लेकिन पढ़ाई के लिए जरूरी सबसे बुनियादी चीज यानी किताबें ही जब बच्चों के पास नहीं हैं तो शिक्षा व्यवस्था में क्या सुधार होगा।


(स्त्रोत: जागरण जोश.कॉम)

खबर के मुताबिक, बारहवीं के कृषि संकाय में पाठ्यक्रम बदला गया है लेकिन नई किताबें अब तक नहीं पहुंची हैं। किताबों की सूची पहुंचने के बाद किताबें जारी होंगी और तब तक आसार हैं कि करीब आधा सत्र बीत जाएगा, और छमाही परीक्षाओं का समय भी आ जाएगा।

कक्षा एक से पांचवीं तक के छात्र-छात्राएं सबसे ज्यादा परेशान हैं क्योंकि वे बड़े छात्रों की तरह पाठ्य सामग्री का इंतजाम अन्य स्रोतों से भी नहीं कर सकते।

वास्तव में स्कूलों की संख्या और विद्यार्थियों की संख्या का हिसाब सही तरह से नोडल केंद्रों के पास नहीं है, इस वजह से तय नहीं हो पा रहा है कि कहां कितनी किताबें भेजनी हैं।

छात्र-छात्राओं से पुरानी पुस्तकें भी वापस लेनी थी, लेकिन ये काम भी नहीं हो सका। इस कारण कोई वैकल्पिक व्यवस्था भी नहीं हो पा रही है।

पत्रिका के अनुसार, झालाबाड़ जिले में राजकीय स्कूलों में कक्षा 9 से 12 वीं तक करीब 2 हजार 303 पुस्तकें आना शेष हैं। वहीं 12वीं कक्षा की रसायन विज्ञान की 383 पुस्तकें,संस्कृत वाड़ग्मय की 42, 11वीं की अर्थशास्त्र की 297, कक्षा 10वीं की कौमुदी की 14, कक्षा 11 वीं भौतिक विज्ञान प्रोयागिक की 437,जीव विज्ञान 335, 11वीं की जीवन कौशल 23, भौतिक विज्ञान की 170, कक्षा 11वीं की राजनीति विज्ञान, उर्दू सहित कई विषयों की पुस्तकों की कमी चल रही है। कक्षा 9 वीं की अंग्रेजी की गोल्डन रेस, विज्ञान, इसके अलावा प्राथमिक कक्षाओं में कक्षा 3 से लेकर 5वीं तक कई विषयों की पुस्तकें स्कूलों में नहीं पहुंची है।

 

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