ये देश का भविष्य है इसे आप ध्यान से देख लीजिए कल जब आप लोग बंगाल बिहार में हुई हिंसा में उलझे हुए थे तो देश का भविष्य हाथ मे कटोरा लेकर मंदिर के बाहर बैठ गया है.
यह फोटो मित्र Rakesh Garg की वॉल पर दिखा उन्होंने अपने फोन से इस युवा का एक वीडियो भी लिया है वीडियो में इस व्यक्ति की प्रखर मेधा का परिचय मिलता है जब उनसे ये पूछा जाता है कि आप ये कटोरा लेकर क्यो बैठे हो जबकि आप पढ़े लिखे व्यक्ति हो तो वह कहता है कि यह कटोरा आपको गौतम बुद्ध के कटोरे जैसा नही लगता, जब महावीर और गौतम बुद्ध कटोरा लेकर बैठ सकते हैं तो मैं क्यों नही बैठ सकता ?
दुष्यंत कुमार ने कभी लिखा था........
'न हो क़मीज़ तो घुटनों से पेट ढक लेंगे
ये लोग कितने मुनासिब हैं इस सफ़र के लिये'
आज दुष्यंत कुमार होते तो ऐसा नही लिख पाते, देश का पढ़ा लिखा युवा आज घुटनों से पेट को ढांकना को तैयार नही है बल्कि वह तो अच्छे भले कपड़े फाड़ कर चौराहे के मंदिर पर बैठ जाना चाहता है , ताकि आप देख सके कि इस व्यवस्था को लेकर वह कितनी निराशा महसूस कर रहा है,
आपने उसे इतना बेशर्म बना दिया है कि वह भीख मांगते वक्त इंग्लिश में बातें कर बता रहा है कि आप उसे छोटा मोटा भिखारी न समझे वह उच्च शिक्षित और प्रोफेशनल भिखारी है, वह बकायदा देने वालो का मनोविज्ञान समझता है उसे मालूम है कि हनुमान जयंती पर हनुमान मंदिरों में भीड़ आती है, इससे पहले वह रामनवमी को मंदिरो के बाहर बैठा था........गर्व से कहता है इसमें अच्छी कमाई है
उसने अपने पीछे चार ओर लोग बैठाए हुए हैं यदि उसे अपने वर्किंग आवर में कोई काम आ जाए तो उसकी जगह उसका साथी कपडे फाड़ कर धंधे पर बैठ जाए, मैनेजमेंट के पूरे फंडे क्लीयर है
ऐसे व्यक्तियों को देखता हूँ तो सरकार द्वारा दिये गए रोजगार के आंकड़े बेमानी लगते हैं ओर दो करोड़ रोजगार की बात एक सपना,......... एक पढ़ा लिखा युवा इतना हताश हो गया है कि बकायदा भीख मांगने लगे , इतना 'विकास' हो जाएगा मोदी जी आपके राज में ये सोचा भी नही जा सकता था, मुझे मालूम है आप इसे जी स्टूडियो के बाहर पकोड़ा तलने की सलाह देंगे , इस से अधिक आप कर भी क्या सकते हैं ?
वैसे आप अयोध्या में राम मंदिर बनवा ले तो उसके बाहर की जगह ऐसे पढ़े लिखे भिखारियों के लिए रिजर्व करवा दीजियेगा, राम मंदिर भी बन जायेगा और युवाओं को कुछ रोजगार भी मिल जाएगा
यह फोटो मित्र Rakesh Garg की वॉल पर दिखा उन्होंने अपने फोन से इस युवा का एक वीडियो भी लिया है वीडियो में इस व्यक्ति की प्रखर मेधा का परिचय मिलता है जब उनसे ये पूछा जाता है कि आप ये कटोरा लेकर क्यो बैठे हो जबकि आप पढ़े लिखे व्यक्ति हो तो वह कहता है कि यह कटोरा आपको गौतम बुद्ध के कटोरे जैसा नही लगता, जब महावीर और गौतम बुद्ध कटोरा लेकर बैठ सकते हैं तो मैं क्यों नही बैठ सकता ?
दुष्यंत कुमार ने कभी लिखा था........
'न हो क़मीज़ तो घुटनों से पेट ढक लेंगे
ये लोग कितने मुनासिब हैं इस सफ़र के लिये'
आज दुष्यंत कुमार होते तो ऐसा नही लिख पाते, देश का पढ़ा लिखा युवा आज घुटनों से पेट को ढांकना को तैयार नही है बल्कि वह तो अच्छे भले कपड़े फाड़ कर चौराहे के मंदिर पर बैठ जाना चाहता है , ताकि आप देख सके कि इस व्यवस्था को लेकर वह कितनी निराशा महसूस कर रहा है,
आपने उसे इतना बेशर्म बना दिया है कि वह भीख मांगते वक्त इंग्लिश में बातें कर बता रहा है कि आप उसे छोटा मोटा भिखारी न समझे वह उच्च शिक्षित और प्रोफेशनल भिखारी है, वह बकायदा देने वालो का मनोविज्ञान समझता है उसे मालूम है कि हनुमान जयंती पर हनुमान मंदिरों में भीड़ आती है, इससे पहले वह रामनवमी को मंदिरो के बाहर बैठा था........गर्व से कहता है इसमें अच्छी कमाई है
उसने अपने पीछे चार ओर लोग बैठाए हुए हैं यदि उसे अपने वर्किंग आवर में कोई काम आ जाए तो उसकी जगह उसका साथी कपडे फाड़ कर धंधे पर बैठ जाए, मैनेजमेंट के पूरे फंडे क्लीयर है
ऐसे व्यक्तियों को देखता हूँ तो सरकार द्वारा दिये गए रोजगार के आंकड़े बेमानी लगते हैं ओर दो करोड़ रोजगार की बात एक सपना,......... एक पढ़ा लिखा युवा इतना हताश हो गया है कि बकायदा भीख मांगने लगे , इतना 'विकास' हो जाएगा मोदी जी आपके राज में ये सोचा भी नही जा सकता था, मुझे मालूम है आप इसे जी स्टूडियो के बाहर पकोड़ा तलने की सलाह देंगे , इस से अधिक आप कर भी क्या सकते हैं ?
वैसे आप अयोध्या में राम मंदिर बनवा ले तो उसके बाहर की जगह ऐसे पढ़े लिखे भिखारियों के लिए रिजर्व करवा दीजियेगा, राम मंदिर भी बन जायेगा और युवाओं को कुछ रोजगार भी मिल जाएगा