देश के संविधान में कहा गया है कि सरकारों का काम नागरिकों के बीच वैज्ञानिक रुझान पैदा करना है, लेकिन भाजपा की सरकारें इसके ठीक विपरीत काम कर रही हैं।
राजस्थान में तो जहां साधु-संतों को ही स्कूलों में पढ़ाने के लिए बुलाने की योजना पर काम चल रहा है तो छत्तीसगढ़ के सरकारी स्कूलों में पौराणिक कहानियां और कथित धार्मिक नायकों की कहानियां पढ़ाने की तैयारी हो रही है। ये सब बच्चों को नैतिकता का पाठ सिखाने के नाम पर किया जा रहा है।
(स्त्रोत: डेली टाइम्स)
राज्य में स्कूली बच्चों को रामायण और महाभारत के पौराणिक और काल्पनिक चरित्रों के बारे में पढ़ाया जाने लगा है। छठी में हिंदी में सहायक पाठ्यक्रम के तौर पर बाल रामकथा पुस्तक पढ़ाई जा रही है।
इस किताब में रामकथा के जरिए बच्चों को नैतिकता का पाठ पढ़ाने का दावा किया जा रहा है।
नईदुनिया के मुताबिक, छत्तीसगढ़ राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) ने प्रदेश के सभी जिलों में चुने हे 153 मिडिल स्कूलों को अंग्रेजी माध्यम में बदलकर उन्हें आधुनिक बनाने की कोशिश तो की है, लेकिन पाठ्यक्रम के नाम पर पौराणिक पात्रों की कहानियां पढ़ाने का इंतजाम करके, ये सुनिश्चित कर दिया है कि बच्चों में कथित धर्म के संस्कार ही पड़ें और वैज्ञानिकता का संचार उनमें न हो पाए।
छठी कक्षा में जो बाल रामकथा पुस्तक पढ़ाई जा रही है, उसमें अवधपुरी में राम, जंगल और जनकपुर, दो वरदान, राम का वन-गमन, चित्रकूट में भरत, दंडक वन में दस वर्ष, सोने का हिरण, सीता की खोज, राम और सुग्रीव, लंका में हनुमान, लंका विजय, राम का राज्याभिषेक आदि प्रमुख पाठ शामिल हैं।
इतना ही नहीं, सातवीं कक्षा में बाल महाभारत पढ़ाई जाएगी जिसमें भीष्म प्रतिज्ञा, पांडवों की रक्षा, मायावी सरोवर, प्रतिज्ञा-पूर्ति, महाभारत के युद्ध और गीता के रहस्य पढ़ाए जाएंगे।
इसी तरह आगे की कक्षाओं में बच्चों को पुराण, वेद, गीता, भारतीय संस्कृति की निरंतरता, उपनिषद, भौतिकवाद आदि पढ़ाए जाएंगे।
राजस्थान में तो जहां साधु-संतों को ही स्कूलों में पढ़ाने के लिए बुलाने की योजना पर काम चल रहा है तो छत्तीसगढ़ के सरकारी स्कूलों में पौराणिक कहानियां और कथित धार्मिक नायकों की कहानियां पढ़ाने की तैयारी हो रही है। ये सब बच्चों को नैतिकता का पाठ सिखाने के नाम पर किया जा रहा है।
(स्त्रोत: डेली टाइम्स)
राज्य में स्कूली बच्चों को रामायण और महाभारत के पौराणिक और काल्पनिक चरित्रों के बारे में पढ़ाया जाने लगा है। छठी में हिंदी में सहायक पाठ्यक्रम के तौर पर बाल रामकथा पुस्तक पढ़ाई जा रही है।
इस किताब में रामकथा के जरिए बच्चों को नैतिकता का पाठ पढ़ाने का दावा किया जा रहा है।
नईदुनिया के मुताबिक, छत्तीसगढ़ राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) ने प्रदेश के सभी जिलों में चुने हे 153 मिडिल स्कूलों को अंग्रेजी माध्यम में बदलकर उन्हें आधुनिक बनाने की कोशिश तो की है, लेकिन पाठ्यक्रम के नाम पर पौराणिक पात्रों की कहानियां पढ़ाने का इंतजाम करके, ये सुनिश्चित कर दिया है कि बच्चों में कथित धर्म के संस्कार ही पड़ें और वैज्ञानिकता का संचार उनमें न हो पाए।
छठी कक्षा में जो बाल रामकथा पुस्तक पढ़ाई जा रही है, उसमें अवधपुरी में राम, जंगल और जनकपुर, दो वरदान, राम का वन-गमन, चित्रकूट में भरत, दंडक वन में दस वर्ष, सोने का हिरण, सीता की खोज, राम और सुग्रीव, लंका में हनुमान, लंका विजय, राम का राज्याभिषेक आदि प्रमुख पाठ शामिल हैं।
इतना ही नहीं, सातवीं कक्षा में बाल महाभारत पढ़ाई जाएगी जिसमें भीष्म प्रतिज्ञा, पांडवों की रक्षा, मायावी सरोवर, प्रतिज्ञा-पूर्ति, महाभारत के युद्ध और गीता के रहस्य पढ़ाए जाएंगे।
इसी तरह आगे की कक्षाओं में बच्चों को पुराण, वेद, गीता, भारतीय संस्कृति की निरंतरता, उपनिषद, भौतिकवाद आदि पढ़ाए जाएंगे।