पीएम की जनसभा में फिर से दोहराई गई तानाशाह जनरल जिया उल हक वाले दौर की कहानी

Written by Rakesh Kayasth | Published on: July 8, 2018
उन दिनों पाकिस्तान में फौजी तानाशाह जनरल जिया-उल-हक की हुकूमत हुआ करती थी। विरोधियों ने कराची में कुछ कुत्तों की पीठ पर लिख दिया था-- जिया उल हक।



खता इंसान की थी और सजा बेकसूर जानवरों ने पाई। प्रशासन ने ऐसे तमाम कुत्तों को गोली मरवा दिया। वह अस्सी के दशक का पाकिस्तान था, यह 21वीं सदी का भारत है। वहां एक डिक्टेटर था। यहां के प्रचंड बहुमत वाला प्रधानमंत्री है। लेकिन कल जयपुर में पीएम की जनसभा में जनरल जिया वाले दौर की कहानी फिर से दोहराई गई। 

प्रधानमंत्री के दर्शन के लिए दूर-दूर से आये ना जाने कितने लोगो की कमीज और पैंट पुलिस ने उतरवा दी। वजह यह थी कि पुलिस को लगा कि किसी की कमीज में काले प्रिंट हैं, तो किसी की पूरी कमीज ही काली है। ऐसे कपड़े पहनकर आना प्रधानमंत्री का विरोध माना जाएगा।

कमीज बदलने के बावजूद सबको मोदीजी की सभा में एंट्री मिल जाती तो फिर भी उन्हे लगता कि आना सफल हुआ। टीवी पर एक फरियादी कह रहा था- मैने तो कमीज उतार दी है। लेकिन पुलिस वाले अंदर जाने नहीं दे रहे हैं। वे कह रहे हैं-- तुम्हारी बनियान काली है।

मैं जो बता रहा हूं यह एक तथ्यपरक बात है। यू ट्यूब पर आपको अलग-अलग न्यूज़ चैनलों की ऐसी कई क्लिपिंग्स मिल जाएंगी। समझ में नहीं आया मोदी विरोध से इतना डरते हैं या फिर वसुंधरा राजे की निकम्मी सरकार ने अपनी वफादारी का सबूत पेश करने के लिए जनता को नंगा कर दिया।

कमीज तो कमीज सरकार को काली पतलून से भी एतराज है। सभा में भाषण देते प्रधानमंत्री की नज़र किस एंगिल से भीड़ में खड़े किसी आदमी के पैंट पर जा सकती थी? एक फरियादी कह रहा था-- देखिये मेरी पैंट यह किस हिसाब से काली नज़र आती है? यह ब्लू कलर की जींस है। मेरे साथी अंदर चले गये और मुझे रोक दिया। अब मुझे प्रधानमंत्री को देखे बिना लौटना पड़ेगा।

देख कर लग रहा था कि यह कोई भाड़े की भीड़ नहीं है बल्कि पूरी श्रद्धा से देश के प्रधानमंत्री को सुनने आई है। लेकिन बेआबरू होकर उनके कूचे से वापस लौट रही है। पोशाक प्रिय प्रधानमंत्री विरोधियों को कुत्तों से देशभक्ति सीखने की सलाह देते हैं। तमीज ऐसी चीज़ है, जो आसपास के इंसानों से आसानी से सीखी जा सकती है। 

वैसे मैं बता दूं कि ज़बरदस्त चौकसी के बावजूद हज़ारो लोगो ने प्रधानमंत्री की जनसभा में अपना विरोध दर्ज करवा ही दिया। सरकार ने कमीज और पैंट तो उतरवा दी लेकिन आप वीडियो देख लीजिये। भीड़ में ना जाने कितने ऐसे लोग खड़े थे कि जिनके सिर पर काले-काले बाल थे। 

क्या अगली बार मोदीजी की जनसभा में आनेवाले हर आदमी का मुंडन होगा?
मुंडन तक भी ठीक लेकिन कजरारे कारे-कारे नैनो का क्या होगा? अगर कोई मोदी समर्थक मुख्यमंत्री क्राइम मास्टर गोगो निकला तो? फिर तो मतदाताओं की आंखे निकालकर गोटियां खेली जाएंगी। अपने दरस दीवानों के साथ ऐसा मत होने दीजियेगा मोदीजी। सूफी कवि बाबा फरीद ने कई सदी पहले जो कहा था, वह शायद आपके लिए ही था--

कागा सब तन खाइयो चुन चुन खाइयो मास
दो नैना मत खाइयो मोहे पिया मिलन की आस

उम्मीद है, कारे-कारे नैना लिये जनसभा में आनेवालों को बख्श दिया जाएगा।

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