'एक बार जो मैंने कमिटमेंट कर दी उसके बाद में मैं अपने देशवासियों के हितो की भी परवाह नही करता' यह कहना है हमारे पीएम नरेन्द्र मोदी का.
सालो से आरएसएस और उसके आनुषंगिक संगठनों द्वारा चलया जा रहा चीन उत्पादों का बहिष्कार आंदोलन भी आपको याद होगा जिसकी ध्येय वाक्य था 'हम सैनिक चीन से सीमा पर लड़ लेंगे तुम बाजार संभाल लेना'
कल एएनआई की खबर थी 'Reserve Bank of India issues licence to Bank of China to operate in India.This was a commitment made by PM Modi to Chinese leadership: Sources'
मोदी जी के बार बार चीन जाने का रहस्य अब खुलने लगा है मोदी अपना कमिटमेंट पूरा कर रहे है जो उन्होंने चीनी राष्ट्रपति से किया था उसके अनुसार कल बैंक ऑफ चाइना को रिजर्व बैंक ने भारत मे बैंक खोलने की अनुमति दे दी पहली नजर में यह कोई बड़ी बात नही है क्योंकि भारत मे पहले से ही लगभग 45 विदेशी बैंक अपनी शाखाए संचालित कर रहे हैं.
लेकिन यकीन मानिए बैंक ऑफ चाइना इन सब बैंको से काफी अलग है बैंक ऑफ चाइना चीन के बड़े सरकारी बैंकों में से है और बाज़ार पूंजीकरणक के लिहाज से यह दुनिया के बड़े बैंकों में शामिल है. बैंक ऑफ़ चाइना ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, आयरलैंड, फ्रांस, जर्मनी, इटली, मलेशिया, दक्षिण अफ्रीका, सिंगापुर, जापान समेत कुल 27 देशों में काम करता है......
बैंक ऑफ चाइना ने जुलाई 2016 में भी रिजर्व बैंक से बैंकिंग लाइसेंस का आग्रह किया था लेकिन उसी वक्त बैंक पर पहले ही इजरायल को निशाना बनाने वाले आतंकी संगठन हमास को फंडिंग करने के आरोप लगे थे। हालांकि, बैंक ने साफ तौर पर इन आरोपों को नकार दिया था। और, कहा था कि हम संयुक्त राष्ट्र के एंटी मनी लॉन्डरिंग और एंटी टेररिस्ट फंडिंग नियमों और शर्तों का पूरी तरह पालन करते हैं लगता है इस जवाब से रिजर्व बैंक संतुष्ट हुआ है तभी उसे बैंकिंग लाइसेंस प्रदान किया गया है......
वैसे जो इजरायल को निशाना बनाने वाले हमास को फंडिंग कर सकता है उसे आईएसआई को फंडिंग करने में कितनी देर लगेगी ? आखिर पाकिस्तान और चीन की मित्रता जगजाहिर है
बहरहाल दो सालो में ऐसा क्या हुआ जो बैंक ऑफ चाइना यहाँ आने के लिए जी जान से तैयार हो गया दरअसल भारत में नई दिवालियापन और बैंकरप्सी संहिता (आईबीसी) को मंजूरी दे दी गयी है अब अंतरराष्ट्रीय निवेशकों और उधारदाताओं को भारत मे दिलचस्पी अचानक जाग्रत हो गयी है.. आज अखबारों के पहले पन्ने पर हेडलाइन है कि सहारा का 75 प्रतिशत भागीदारी वाला न्यूयॉर्क स्थित होटल का सौदा हो गया है और कल ही बैंक ऑफ चाइना को अनुमति दी गयी यह महज संयोग नही है क्योंकि सहारा जिस विदेशी कर्जदाता बैंक से अपना विदेशी संपत्ति बेचने के लिए बात कर रहा था वह बैंक ऑफ चाइना ही था.
बैंक ऑफ चाइना साधारण बैंक नही है बैंक ऑफ चाइना यानी SBP चीन सरकर द्वारा चलाई जा रही इनवेस्टमेंट कंपनी चाइना सेंट्रल हुईजिन के अधीन काम करता है। यह बैंक 50 देशों में फैला हुआ है, जिनमें से 19 चीन के वन बेल्ट, वन रोड योजना के तहत आते हैं.
ओबीओआर यानी वन बेल्ट वन रोड परियोजना विश्व व्यापार को अपने कब्जे में कर लेने की चीन द्वारा चलाईं जा रही सबसे महत्वाकांक्षी योजना है भारत मे पाक अधिकृत कश्मीर से यह रोड गुजरने वाला है शुरू से भारत इस परियोजना के विरोध में है लेकिन बैंक ऑफ चाइना को यहाँ बैंक खोलने की अनुमति देना दिखा रहा है कि मोदी अब अपने पुराने स्टैंड से पीछे हट रहे हैं.
OBOR योजना इसलिए भी खतरनाक है क्योंकि इसके अंतर्गत इससे जुड़े देशों को इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण के लिए चीन पहले कर्ज देता है और उसके बदले में इन देशों को योजना व निर्माण का सारा काम चीनी कंपनियों से ही कराना होता है इससे चीन का दबदबा पूरे देश मे बढ़ता जाता है.
भारत के पॉवर सेक्टर में भी बड़े पैमाने पर बैंक ऑफ चाइना ने अडानी रिलायंस टाटा पॉवर आदि कम्पनियो को लोन दिया है और हो सकता है बदले में भारत के बहुमुल्य खनिज संसाधनों को इन पूंजीपतियों ने गिरवी रख दिया हो इसलिए आप बैंक ऑफ चाइना की भारत मे आमद को साधारण बात मत समझिए इसके बहुत से छिपे हुए मतलब धीरे धीरे आगे आपके सामने आएंगे फिर मत कहियेगा कि हमे तो पता ही नही चला.
सालो से आरएसएस और उसके आनुषंगिक संगठनों द्वारा चलया जा रहा चीन उत्पादों का बहिष्कार आंदोलन भी आपको याद होगा जिसकी ध्येय वाक्य था 'हम सैनिक चीन से सीमा पर लड़ लेंगे तुम बाजार संभाल लेना'
कल एएनआई की खबर थी 'Reserve Bank of India issues licence to Bank of China to operate in India.This was a commitment made by PM Modi to Chinese leadership: Sources'
मोदी जी के बार बार चीन जाने का रहस्य अब खुलने लगा है मोदी अपना कमिटमेंट पूरा कर रहे है जो उन्होंने चीनी राष्ट्रपति से किया था उसके अनुसार कल बैंक ऑफ चाइना को रिजर्व बैंक ने भारत मे बैंक खोलने की अनुमति दे दी पहली नजर में यह कोई बड़ी बात नही है क्योंकि भारत मे पहले से ही लगभग 45 विदेशी बैंक अपनी शाखाए संचालित कर रहे हैं.
लेकिन यकीन मानिए बैंक ऑफ चाइना इन सब बैंको से काफी अलग है बैंक ऑफ चाइना चीन के बड़े सरकारी बैंकों में से है और बाज़ार पूंजीकरणक के लिहाज से यह दुनिया के बड़े बैंकों में शामिल है. बैंक ऑफ़ चाइना ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, आयरलैंड, फ्रांस, जर्मनी, इटली, मलेशिया, दक्षिण अफ्रीका, सिंगापुर, जापान समेत कुल 27 देशों में काम करता है......
बैंक ऑफ चाइना ने जुलाई 2016 में भी रिजर्व बैंक से बैंकिंग लाइसेंस का आग्रह किया था लेकिन उसी वक्त बैंक पर पहले ही इजरायल को निशाना बनाने वाले आतंकी संगठन हमास को फंडिंग करने के आरोप लगे थे। हालांकि, बैंक ने साफ तौर पर इन आरोपों को नकार दिया था। और, कहा था कि हम संयुक्त राष्ट्र के एंटी मनी लॉन्डरिंग और एंटी टेररिस्ट फंडिंग नियमों और शर्तों का पूरी तरह पालन करते हैं लगता है इस जवाब से रिजर्व बैंक संतुष्ट हुआ है तभी उसे बैंकिंग लाइसेंस प्रदान किया गया है......
वैसे जो इजरायल को निशाना बनाने वाले हमास को फंडिंग कर सकता है उसे आईएसआई को फंडिंग करने में कितनी देर लगेगी ? आखिर पाकिस्तान और चीन की मित्रता जगजाहिर है
बहरहाल दो सालो में ऐसा क्या हुआ जो बैंक ऑफ चाइना यहाँ आने के लिए जी जान से तैयार हो गया दरअसल भारत में नई दिवालियापन और बैंकरप्सी संहिता (आईबीसी) को मंजूरी दे दी गयी है अब अंतरराष्ट्रीय निवेशकों और उधारदाताओं को भारत मे दिलचस्पी अचानक जाग्रत हो गयी है.. आज अखबारों के पहले पन्ने पर हेडलाइन है कि सहारा का 75 प्रतिशत भागीदारी वाला न्यूयॉर्क स्थित होटल का सौदा हो गया है और कल ही बैंक ऑफ चाइना को अनुमति दी गयी यह महज संयोग नही है क्योंकि सहारा जिस विदेशी कर्जदाता बैंक से अपना विदेशी संपत्ति बेचने के लिए बात कर रहा था वह बैंक ऑफ चाइना ही था.
बैंक ऑफ चाइना साधारण बैंक नही है बैंक ऑफ चाइना यानी SBP चीन सरकर द्वारा चलाई जा रही इनवेस्टमेंट कंपनी चाइना सेंट्रल हुईजिन के अधीन काम करता है। यह बैंक 50 देशों में फैला हुआ है, जिनमें से 19 चीन के वन बेल्ट, वन रोड योजना के तहत आते हैं.
ओबीओआर यानी वन बेल्ट वन रोड परियोजना विश्व व्यापार को अपने कब्जे में कर लेने की चीन द्वारा चलाईं जा रही सबसे महत्वाकांक्षी योजना है भारत मे पाक अधिकृत कश्मीर से यह रोड गुजरने वाला है शुरू से भारत इस परियोजना के विरोध में है लेकिन बैंक ऑफ चाइना को यहाँ बैंक खोलने की अनुमति देना दिखा रहा है कि मोदी अब अपने पुराने स्टैंड से पीछे हट रहे हैं.
OBOR योजना इसलिए भी खतरनाक है क्योंकि इसके अंतर्गत इससे जुड़े देशों को इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण के लिए चीन पहले कर्ज देता है और उसके बदले में इन देशों को योजना व निर्माण का सारा काम चीनी कंपनियों से ही कराना होता है इससे चीन का दबदबा पूरे देश मे बढ़ता जाता है.
भारत के पॉवर सेक्टर में भी बड़े पैमाने पर बैंक ऑफ चाइना ने अडानी रिलायंस टाटा पॉवर आदि कम्पनियो को लोन दिया है और हो सकता है बदले में भारत के बहुमुल्य खनिज संसाधनों को इन पूंजीपतियों ने गिरवी रख दिया हो इसलिए आप बैंक ऑफ चाइना की भारत मे आमद को साधारण बात मत समझिए इसके बहुत से छिपे हुए मतलब धीरे धीरे आगे आपके सामने आएंगे फिर मत कहियेगा कि हमे तो पता ही नही चला.