गीतकार गाने बदल देते, 'तू एक जिंदा ताजमहल है' कि जगह तू एक जिंदा गाय है लिखना पड़ता

Written by Mithun Prajapati | Published on: October 4, 2017
एक समय था जब लोगों को हंसने के लिए स्टैंडअप कॉमेडियन्स का सहारा लेना पड़ता था। और वे कॉमेडियन बेहतर भी थे। लोगों को अपने शरीर के हाव भाव से, सामाजिक बुराइयों से या फिर राजनीतिक विसंगतियों को अपनी कॉमेडी में शामिल कर लोगों का खूब मनोरंजन करते थे। वे सरकार परोक्ष रूप से आलोचना भी कर देते थे। अब समय बदल गया है। ज्यादातर कॉमेडियन किसी के रंग का, मोटापे का या नाटेपन का मजाक उड़ाते पाए जाते हैं। कितने तो ऐसे हैं कि आलोचना तो दूर सरकार की गोद में बैठे हैं। इन सब को देखकर हंसी नहीं बस इरिटेशन होता है।


YOgi tajmahal

पर कोई बात नहीं। हमारे दौर के लोगों का भाग्य ही है  हमें  हंसने या मनोरंजन लेने के लिए किसी कॉमेडियन की जरूरत नहीं पड़ती। यह काम सरकार भरपूर मात्रा में कर रही है। नोटबंदी से लेकर सर्जिकल स्ट्राइक और GST ने देश का विकास किया हो या न किया हो पर हमें इंटरटेन खूब किया है।

नोटबन्दी के फायदे में सरकार ने बताया कि इससे नकली नोटें खत्म हो जाएंगी जिससे इकॉनमी में सुधार होगा। पर भारत में टैलेंट की कमी नहीं है। नोटबंदी में सरकार जहां दो हजार और पांच सौ की नयी नोटें नहीं पहुंचा पाई थी वहां नकली नोट का कारोबार करने वाले लोगों ने सरकार की मदद के लिए नकली नोट पहुंचा दी। जैसे कह रहे हों- जबतक सरकारी नोटें नहीं आ जाती इससे ही काम चलाओ।
 
सरकार की तरफ से कहा गया कि नोटबंदी से आतंकवादियों की कमर टूट जाएगी, पर आंकड़े उठाकर देखें तो पता चलेगा कि इस सरकार के आने से नोटबंदी के बाद औसतन ज्यादा आतंकी हमले हुए हैं। यह सब  मनोरंजन ही तो है। 
 
अभी हाल ही में एक नई खबर ने हंसा हंसाकर लोट पोट कर दिया। खबर है कि यूपी सरकार की नई 'टूरिस्ट डेस्टिनेशन' में ताजमहल को जगह नहीं मिली है। अब बताओ, यूपी में देखने वाली जगहों में से ताज को निकाल ही दोगे तो बचेगा क्या? यह तो वही बात हो गयी कि दावत में आप मटन बिरियानी खाने जाएं और बिरियानी में सिर्फ आलू मिले। 
 
सरकार के इस फैसले के पीछे तर्क यह है कि ताज हमारी संस्कृति का हिस्सा नहीं है। इन तर्कों को सुनकर बस यही मन करता है कि एक अच्छी सी भगवे रंग की दीवार खोजूं और उसपर सिर पटककर फोड़ लूं। 
 
यूपी में इस सरकार के आने  से पहले जो कुछ चीजें हो गयीं वो अपने आप को धन्य मानती होंगी वरना पता नहीं कितना कुछ उलट पुलट होता। एक फ़िल्म आयी थी 'मुद्दत'। उसमें एक गाना था- प्यार हमारा अमर रहेगा, याद करेगा जहां। उस गाने में एक लाइन है- तेरा बदन है संगेमरमर, तू एक जिंदा ताजमहल है। आज के दौर में ये गाना आया होता तो सरकार गाने के साथ-साथ  फ़िल्म पर भी बैन लगा देती और कहती - फ़िल्म चलाना है तो ताजमहल की जगह अभिनेत्री के बदन को किसी और उपमा से अलंकृत करो। फिर बिचारा डायरेक्ट मजबूरीवश सरकार की पसंद को ध्यान में रखते हुए लिखता- तेरा बदन है संगेमरमर, तू एक जिंदा गाय है।  फिर सरकार खुश होती, क्योंकि इस सरकार को गाय में बड़ा मजा आता है। 
 
पर सोचता हूँ। सरकार कहाँ तक भागेगी !! यह भारत की भूमि है। अपनी मिश्रित संस्कृति के लिए जानी जाती है। यहां की संकृति में हिन्दू, मुस्लिम, सिख ईसाई , जैन, बौद्ध, सूफिज्म सब का मिश्रण है। इसलिए इसमें खिले फूल खूबसूरत और सुगंधित हैं। धर्म विशेष के चश्मे से देखोगे तो महज नफरत के कुछ नहीं दिखेगा।
 
अमीर ख़ुसरो तुर्क थे, जिन्होंने तबला दिया। आज तबले की थाप से न जाने कितने मंदिरों की आरती मधुरमय हो जाती है। न जाने कितने मुस्लिम कवि हुए जिन्होंने हिंदी साहित्य को गौरवान्वित किया। 
रसखान तो याद ही होंगे न  !! जिन्होंने लिखा है- 
मानुस हौं तो वही रसखान, बसौं मिलि गोकुल गाँव के ग्वारन।
या फिर इन्ही का लिखा-
धुरि भरे अति सोहत स्याम जू, तैसी बनी सिर सुंदर चोटी।
खेलत खात फिरैं अँगना, पग पैंजनी बाजति, पीरी कछोटी॥
 
या फिर नज़ीर अकबराबादी का लिखा-
है सबका खुदा,सब तुझपे फिदा।
अल्हाओ ग़नी  ,अल्लाहो ग़नी।
हे कृष्ण कन्हैया, नंद लला !
अल्लाहो ग़नी , अल्लाहो ग़नी।
 
यही सब तो हैं जो यहां की संस्कृति को महकाते हैं। कलाओं के धनी मुग़ल यहाँ बसने आये थे।  वे सभ्य थे और कलाओं के धनी भी। भवन निर्माण, स्थापत्य कला या फिर वास्तुकला इन सब के वे ज्ञाता थे। वे यहाँ की संकृति में रच बस गए और मिलकर अपनी कलाओं से इस देश को समृद्ध किया। यहां की संस्कृति को महान बनाया।  ताजमहल, लालकिला, कुतुबमीनार, GT रोड इन सब को भारतीय संस्कृति से हटा देने पर बचेगा क्या ? 
 
बाकी ताजमहल का क्या !! वह तो अपनी खूबसूरती के लिए जाना ही जाता रहेगा। वह प्रेम की निशानी है और प्रेम कभी मिटता नहीं।
Disclaimer: 
The views expressed here are the author's personal views, and do not necessarily represent the views of Sabrangindia.

बाकी ख़बरें