श्रीमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी,
सबसे पहले देश पर 3 साल(26 मई को तीन साल पूरे हो जाएंगे) से शासन करने के लिए बधाई।
मैं आपको बताना चाहूंगी कि मैं उन 31 फीसदी मतदाताओं में से एक थी, जिसने आपके ‘अच्छे दिन’ लाने के वादे पर विश्वास किया था और 2014 के आम चुनावों में भारतीय जनता पार्टी(बीजेपी) को वोट दिया था।
वैसे मैं अभी भी आपके उन वादों पर विश्वास करती हूं और मैं इंतजार कर रही हूं उस 15 लाख रुपयों की, जो हमारे बैंक खातों में आने वाले थे। जिसका वादा आपने देश के हर व्यक्ति से चुनाव के दौरान किया था। याद है?
इस वादों से बीजेपी तो सत्ता में आ गई, लेकिन पैसे अभी तक नहीं आए।
ये आपका अकेला वादा नहीं है, जिसका देशवादी इंतजार कर रहे हैं।
आपके वादा तो किया, लेकिन परिणाम का अभी भी इंतजार है?
जब आपकी सरकार केंद्र में बन गई, तब हमें पता चला था कि NDA सरकार भी अन्य राजनीतिक पार्टियों की तरह अपने वादों की कसौटी पर खरा नहीं उतरेगी। केंद्र में आपकी सरकार को तीन साल हो गए हैं, लेकिन इन तीन सालों में हमें क्या मिला है?
पेट्रोल के दाम
26 मई, 2014 को जब आपकी पार्टी शासन में आई, उस वक्त भारत को मिलने वाले कच्चे तेल की कीमत 108.05 डॉलर प्रति बैरल थी। जबकि तीन साल बाद, 16 मई, 2017 की बात करें तो 51.12 डॉलर प्रति बैरल की कीमत है। यानी कच्चे तेल की कीमतों में 50 फीसदी से भी अधिक की गिरावट आई है, लेकिन क्या आपकी सरकार ने इसका भारतीय उपभोक्ताओं को दिया? नहीं!
25 जून 2014 को दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 71.56 रुपये थी, जबकि 16 मई, 2017 को यह 65.53 रुपये थी। यानी 2014 के बाद से पेट्रोल की कीमतों में 10 प्रतिशत की भी कमी नहीं आई है। वास्तव में बीजेपी सरकार की यह उपलब्धि है!
मुझे आशा है कि मोदी जी आपको यह ट्वीट याद होगा, जिसे आपने यूपीए सरकार के दौरान किया था।
यह ट्वीट आपने उस वक्त किया था जब आप गुजरात की जनता पर पेट्रोल की बढ़ी कीमतों से पड़ने वाले बोझ को लेकर काफी परेशान थे। मुझे लगता है कि आज भी आप पूरे देश की जनता को वैसे ही चिंतित होंगे जैसे आप 2012 में थे। हालांकि, यह मैं सोचती हूं आप नहीं!
मुद्रास्फीति
मुद्रास्फीति के सबसे बड़े समीक्षकों में से एक होने के बावजूद, मोदी जी आपने हमें खाद्य मुद्रास्फीति में सहीं परिणाम नहीं दिया। यह सब हमें आपके शासन में देखना पड़ रहा है। 2015 में तो देश के कुछ हिस्सों में दालों के दाम पांच साल के रिकॉर्ड को तोड़ने हुए आसमान पर चढ़ गया था।
उदाहरण के तौर पर, अरहर की दाल फरवरी 2014 में 75 रुपये प्रति किलोग्राम में बेची जा रही थी। वहीं, एक साल बाद इसकी कीमत तेजी से बढ़ी और यह अक्टूबर, 2015 में 180 रुपये प्रति किलोग्राम पर बेची गई थी। आज भी यह दाल 85 से 110 रुपये प्रति किलोग्राम बिक रही है।
रुपये की कीमत
मोदी जी एक समय था जब मैं आपके प्रशंसकों में से एक थी और एक प्रशंसक के रूप में जब यूपीए सरकार सत्ता में थी तो मैं आपके कई ट्वीटों को काफी पसंद करती थी। आपका यह ट्वीट मेरे पसंदीदा ट्वीटों में से एक था, जो आपने यूपीए सरकार की तुलना गिरते रुपयों से की थी।
यह ट्वीट आपने 2013 में किया था। जब एनडीए सरकार सत्ता में आई तो 26 मई, 2014 को एक डॉलर की कीमत 58.5 रुपये थी, जबकि फरवरी, 2016 में 68.80 के उच्चतम स्तर पर पहुंच गए। 18 मई, 2017 को अमरीकी डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत 64.371 की ऊंचाई पर है।
क्या आपको नहीं लगता कि एनडीए में भी यूपीए सरकार वाली स्थिति है और रुपए के साथ आपकी भी सरकार कंपटीशन में लग गई है…वही कंपटीशन कि कौन ज्यादा नीचे गिरेगा। है कि नहीं मोदीजी?
बेरोजगारी
हम आपके विकास और अधिक नौकरियों के वादों को कैसे भूल सकते हैं, मोदीजी? आपने जो देश के नागरिकों से नौकरी देने का जो वादा किया था उस पर खरे नहीं ऊपर पाए हैं। रोजगार विभाग से मिले रिकॉर्ड से पता चलता है कि रोजगार की दर 8 साल के सबसे निचले स्तर पर है।
2009 में जहां यूपीए सरकार ने देश को 10 लाख नई नौकरियां दी थी, वहीं, आपकी एनडीए सरकार के समय में 2015 में महज 1.55 लाख और 2016 में 2.31 लाख लोगों को रोजगार दिया गया। यह काफी निराशाजनक है।
आपने चुनाव से पहले नई नौकरी पैदा करने की बात कही गई थी, लेकिन देश के आईटी सेक्टर में तो नौकरियों पर ही तलवार लटकी है। भारत में काम कर रहीं बड़ी आईटी कंपनियां भारी संख्या में कर्मचारियों की छंटनी की तैयारी कर रही हैं।
अर्थव्यवस्था
मुझे यकीन है कि भारत के प्रधान मंत्री होने के नाते मोदी जी आप महसूस करते होंगे कि हम एक प्रगतिशील राष्ट्र कहे जाने के लायक नहीं, यह सब एनडीए सरकार में घटते हुए अर्थव्यवस्था के कारण है।
2016-17 में मात्र 5 प्रतिशत की बैंक क्रेडिट ग्रोथ है, जो कि पिछले 60 साल में सबसे न्यूनतम है। जीडीपी के संदर्भ में बात करे तो वर्तमान कीमतों पर भारत की सकल स्थिर पूंजी संरचना दर 2013-14 की 31.2 फीसदी से 2016-17 में गिरकर 26.9 प्रतिशत पर पहुंच जाने के बाद वर्तमान सरकार से हमें अब कोई खास उम्मीद नहीं बची है।
8 नवंबर 2016 को आपकी नोटबंदी की घोषणा के बाद 25 लाख से ज्यादा औद्योगिक श्रमिकों के रोजगार छिनने के बाद हमें अभी तक इस कवायद से देश को कालेधन से मिली, मुक्ति के बारे में कुछ भी नहीं पता है।
क्या आप कभी अपनी इस ‘उपलब्धि’के विवरण को साझा करेंगे, मोदी जी?
स्वच्छ भारत मिशन
इस हाई वोल्टेज ‘स्वच्छता भारत अभियान’ निश्चित रूप से आपकी एक शानदार पहल थी। लेकिन, क्या यह वास्तव में अपने मिशन की सहीं रूप से बढ़ रहा है? राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली हो या उत्तर प्रदेश, पंजाब और बिहार हो, इन राज्यों में उचित स्वच्छता महसूस नहीं की जा सकती है। हम अब भी इन शहरों में खतरनाक प्लास्टिक के कूड़ों का ढ़ेर देख सकते हैं। सार्वजनिक शौचालयों की स्थिति में भी कोई सुधार नहीं हुआ है, जबकि इस मिशन के शुभारंभ को 2.5 साल बीत चुके हैं।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ
‘बेटी बचाओ बेटी पढाओ’ योजना एक बड़ा कदम है जो आपकी सरकार ने शुरू किया, लेकिन न्याय करने में असफल रहा। लड़कियों की रक्षा और उन्हें शिक्षित करने की योजना वास्तव में प्रशंसनीय है, लेकिन इसके परिणाम नहीं मिले हैं।
हालांकि, इस योजना की आधिकारिक वेबसाइट में कई सफलता की कहानियां हैं, लेकिन पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों में उपलब्धियों पर ध्यान केंद्रित करते हुए भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने सामाजिक, सामान्य और आर्थिक क्षेत्र (गैर-सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों) पर रिपोर्ट दी है।
कैग की रिपोर्ट के अनुसार, हरियाणा और पंजाब में कई जिले हैं, जहां लिंगानुपात में गिरावट देखने को मिली है।
हरियाणा के पानीपत में दिसंबर 2015 में लिंगानुपात 892 (लक्षित लिंगानुपात 902) था। लेकिन, हालात सुधरने के बजाय, और बिगड़ गए और मार्च 2016 में लिंगानुपात गिरकर 881 हो गया। ये ‘बेटी बचाओ…’ की ‘असली सफलता’ का एक उदाहरण है।
रक्षा
मोदी जी, इमानदारी से कहूं तो आपके द्वारा बार-बार कहना “देश बदल रहा है, आगे बढ़ रहा है” जुमला हो गया है। आपने भले हमें देश में बदलाव की बातें समझा-सुना दीं हों, लेकिन सचाई यह है देश बदल तो रहा है, लेकिन विकास की दिशा में नहीं, विनाश की दिशा में…
देश का अपना रक्षा उद्योग बना पाने में असफल रहना उस अकर्मण्यता का उदाहरण है, जिससे वह घिरा हुआ है। दुर्भाग्य से, आज भी लाखों करदाता एक बेहतर राष्ट्र में रहने की आशा में अपनी मेहनत से कमाए धन को देते हैं, लेकिन स्थिति बदलती नहीं है।
मुझे लगता है आपको यह बात जरूर पता होगी कि भारत उन 155 देशों में पहले स्थान पर है, जिन्होंने 2012-16 में हथियारों का सबसे अधिक आयात किया है। हकीकत यह है कि 2007-11 से 2012-16 में यह आयात 43 फीसदी बढ़ गया है।
मैं जानना चाहती हूं कि कब आपकी घोड़े बेच कर सो रही सरकार जागेगी और देश को हथियारों के आयात पर निर्भर होने से मुक्ति दिलाएगी? प्रधानमंत्री जी, क्यों न आप अपनी इन फालतू विदेश यात्राओं को बंद कर, और अपने देश के निर्माण पर विचार करें? बड़ा समय हुआ आपको ऐसा किये!
अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध
चीन: मोदी जी, क्या आपको ये शब्द याद हैं: “दुनिया दो धाराओं में बंटी हुई है, एक विस्तारवाद की धारा है और दूसरी विकासवाद की?
मुझे उम्मीद है कि आपको याद हैं, क्योंकि ये वही शब्द हैं, जिन्होंने चीन को नाराज किया था और तब से उसने पलट के नहीं देखा है, वो चाहे भारत के उत्तरपूर्वी राज्य अरुणाचल प्रदेश पर हुई बहस हो या ‘चाइना पाकिस्तान इकॉनोमिक कॉरिडोर’(CPEC), जिसने द्विपक्षीय संबंधों को नुकसान पहुंचाया है।
एक ऐसे समय में जब आप भारत को ‘महाशक्ति’ बनाने की ‘योजना’ बना रहे हों, एशियाई दिग्गजों में से एक के साथ खराब सम्बन्ध होना देश को आगे ले जाने वाली बात नहीं दीखती।
पाकिस्तान: मोदी जी, मैं आपको 56 इंच का सीना होने की बधाई भी देना चाहती हूं। आप क्या जानें ये कितनी बड़ी बात है। लेकिन मुझे ये बताएं कि पाकिस्तान को आपने क्या-क्या जवाब दिया है, अपने 56 इंच सीने के बारे में बताने के अलावा?
मैं आपके द्वारा पड़ोसी के जन्मदिन पर सरप्राइज देते हुए उसके घर जा कर बधाई देने को उपलब्धि नहीं गिन सकती, सॉरी!
मुझे अच्छी तरह याद है, 2014 के लोकसभा चुनाव के पहले, जब आपने कहा था कि अगर बीजेपी सत्ता में होगी तो पाकिस्तान की हमारे सैनिकों पर हमला करने की हिम्मत नहीं होगी।
बहरहाल, हकीक़त यह है कि पिछले महज दो-हफ़्तों में आठ दफा पाकिस्तान ने जम्मू कश्मीर में सीजफायर का उल्लंघन किया है। इतना ही नहीं, जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर पिछले दो वर्षों (2015-2016) में पाकिस्तान की ओर से औसतन हर दिन कम से कम एक बार सीजफायर का उल्लंघन किया गया, साथ ही राज्य में पिछले 5 वर्षों में हर दूसरे दिन एक आतंकी घटना सामने आई है। यह खुलासा सूचना का अधिकार(आरटीआई) के हुआ है। लेकिन राष्ट्र के प्रधानमंत्री इस सब से अछूते नज़र आते हैं। ऐसा नहीं है क्या?
क्या आपको ये सारी ट्वीट याद हैं, मोदी जी?
बेशक, आपको नहीं याद है! वरना आप कैसे इस तरह चुपचाप पाकिस्तान को 2015 में 405 और 2016 में 449 बार सीजफायर का उल्लंघन करने देते। पाकिस्तान से निपटने की स्पष्ट नीति या दिशा न होने की कमी के चलते आप वो नहीं कर पा रहे हैं मोदीजी जो आप हमेशा की तरह कहते रहे हैं!
कश्मीर
‘पृथ्वी पर स्वर्ग’ कहा जाने वाला हमारा कश्मीर अलगाववादियों से लड़ रहा है और आपकी बीजेपी सरकार ने, अलगाववादियों से सहानुभूति रखने वाली पीडीपी के साथ गठबंधन कर लिया।
किस लिए? सिर्फ इसलिए कि आप अपने ‘कांग्रेस मुक्त भारत’ के मिशन को पूरा कर सकें? हो सकता है आप यह कर भी लें, लेकिन किस कीमत पर? निर्दोष कश्मीरियों की जान की कीमत पर या बार-बार राष्ट्र के सैनिकों के सर को बर्बरता से धड़ से अलग किये जाने की कीमत पर?
मैं जानती हूं कि आप कश्मीर मुद्दे पर अपना मौन बनाये रखना चाहते हैं, लेकिन यह नहीं समझ पाती कि आखिर क्यों? घाटी में हालात इतने खराब तो कभी नहीं थे, 1990 में भी नहीं थे, जब अलगाववाद हथियारों के साथ अपने चरम पर थे।
कश्मीर जिस शांति का इंतज़ार कर रहा है वह उसे आप कब देंगे?
अगर आप ऐसा कर दें, तो ये NDA सरकार की “वास्तविक उपलब्धि” होगी और आप इस बात के ऊपर लाखों भारतीयों पर विश्वास कर सकते हैं!
नक्सली हमले
मोदीजी पिछले तीन वर्षों के आपकी साहसी और बहादुर सरकार के शासनकाल में आंध्र प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में 342 नक्सली-माओवादी घटनाएं हुई हैं। इन घटनाओं में लगभग 344 नागरिकों और 210 सुरक्षाकर्मियों को अपनी जान गंवानी पड़ी।
फिर भी, मुझे वह राज़ नहीं पता चल रहा, जिसके चलते राष्ट्र की नक्सल-नीति में आत्मतुष्टि घुसपैठ कर पा रही है। क्या आप मेरी सहायता कीजिएगा?
(वास्तविक परिणाम)
आधार:
भारत की इस सबसे बड़ी पहचान योजना को सफल बनाने के लिए मैं एनडीए सरकार को अपनी तरफ से हार्दिक बधाई ज़रूर दे रही हूं। लेकिन फिर मैं वह शोरगुल-तमाशा कैसे भूल जाऊं जो बीजेपी ने इसी आधार के विरोध में विपक्ष में रहते हुए किया था?
मोदी जी यह उस समय की ट्वीट है जब केंद्र में आपकी सरकार नहीं थी।
तो आप क्या अभी भी इसे राजनैतिक-नौटंकी कहेंगे या फिर हम ऐसे कहें कि अब, आपकी सरकार का आधार को सफल बनाना, एक राजनैतिक-नौटंकी है?
जीएसटी
एनडीए सरकार की एक और “बड़ी उपलब्धि” थी, जब 2016 में जीएसटी संशोधन विधेयक को राज्यसभा में सर्वसम्मत के साथ पारित कर दिया गया। लेकिन मोदीजी आप क्या इस उपलब्धि का सारा श्रेय अकेले ही ले सकते हैं?
क्या आप भूल गए, सत्ता में आने से पहले, बीजेपी के नेतृत्व में विपक्ष ने यूपीए सरकार को यही बिल इसलिए नहीं लाने दिया था, क्योंकि आपका मानना था इसके चलते राज्य कमज़ोर होंगे?
अब जबकि आप सत्ता में है, मैं उम्मीद करती हूं कि वही जीएसटी उन्हीं राज्यों को मजबूत बना रहा है।
पैसे और बाहुबल की राजनीति
कांग्रेस मुक्त भारत की जुस्तजू में, आपकी सरकार ने कोई कसर नहीं छोड़ा है। बड़ी खूबसूरती से आपने मणिपुर और गोवा को कांग्रेस (जहां उसकी सीटें आपसे ज्यादा थीं) से छीन लिया, और कुछ इसी टाइप से अरुणाचल प्रदेश और उत्तराखंड मतलब आपने दिखा दिया कि बीजेपी सरकार देश को कैसे बदल रही है।
पूर्ण अशांत राष्ट्र
सर, तीन साल की सत्ता के दौरान आपकी सरकार से हम जितना उम्मीद लगाए थे उससे कहीं ज्यादा-ही दिया है। आज, जैसा नजर आता है, एक अजब अशांति देश को चारों तरफ से घेर रही है।
समाज ताले में बंद है और सुप्रीम कोर्ट, सीबीआई, चुनाव आयोग जैसे संस्थान और कई अन्य स्वायत्त निकाय बिलकुल अराजकता की अवस्था में हैं।
किस लिए? एक मजबूत राष्ट्र बनाने हेतु? मोदीजी ये भ्रम ही तो है, नहीं?
शैक्षिक संस्थानों को तोड़कर आपकी सरकार उन सिद्धांतों को कलंकित कर रही है, जिनसे महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभभाई पटेल, और रबींद्रनाथ टैगोर ने देश का निर्माण किया। राष्ट्र का सामाजिक-तानाबाना टूट रहा है, लेकिन ये वास्तविकता आपको प्रभावित करती नहीं दिख रही है।
इतना धार्मिक ध्रुवीकरण इस देश ने पहले होते नहीं देखा, जितना आपकी सरकार ने हमें तीन साल में दिखा दिया। देखा जाये तो 70 वर्षों तक देश को जोड़े रखने के लिए हमें कांग्रेस का शुक्रिया अदा करना चाहिए, जबकि एनडीए सरकार ने यदि कुछ किया है तो बस धर्म के नाम पर हमें तोड़ा है।
मोदी जी मेरा आपसे निवेदन है कि भगवान राम को राजनीति के नाम पर शोषण करना बंद कीजिये। भगवान राम आरएसएस, बीजेपी या एनडीए की संपत्ति नहीं हैं। आप उनका ठेकेदार बनना बंद कीजिये।
हिन्दू धर्म वह धर्म है, जिसका अस्तित्व सदियों पुराना है, और वो हमेशा रहेगा, सर, तब भी, जब आप या आपकी सरकार यहां नहीं रहेगी।
मैं एक धर्मनिष्ठ हिन्दू हूं। लेकिन मैं एक हिन्दू-राष्ट्र नहीं चाहती। मैं अपनी भारतमाता को पूरे दिल और आत्मा से प्यार करती हूं, लेकिन सपने में भी ऐसा नहीं हो सकता कि देश दोबारा विभाजित हो। जिस भारत पर भविष्य की पीढ़ियों को गर्व हो मैं बस वह भय-रहित, सुरक्षित, हम-सबका भारत चाहती हूं।
आशा है कि आपकी सरकार हमें यह दे सकती है।
राष्ट्र निर्माण की एक ही पूंजी, संभव वहीं जहां एकता गूंजी।
निष्ठा सहित,
साध्वी खोसला
(भारतीय नागरिक)
जय हिंद!
(ये लेखक के अपने विचार हैं, ‘सबरंग इंडिया’ इसका समर्थन नहीं करता।)
Courtesy: Janta Ka Reporter
सबसे पहले देश पर 3 साल(26 मई को तीन साल पूरे हो जाएंगे) से शासन करने के लिए बधाई।
मैं आपको बताना चाहूंगी कि मैं उन 31 फीसदी मतदाताओं में से एक थी, जिसने आपके ‘अच्छे दिन’ लाने के वादे पर विश्वास किया था और 2014 के आम चुनावों में भारतीय जनता पार्टी(बीजेपी) को वोट दिया था।
इस वादों से बीजेपी तो सत्ता में आ गई, लेकिन पैसे अभी तक नहीं आए।
ये आपका अकेला वादा नहीं है, जिसका देशवादी इंतजार कर रहे हैं।
आपके वादा तो किया, लेकिन परिणाम का अभी भी इंतजार है?
जब आपकी सरकार केंद्र में बन गई, तब हमें पता चला था कि NDA सरकार भी अन्य राजनीतिक पार्टियों की तरह अपने वादों की कसौटी पर खरा नहीं उतरेगी। केंद्र में आपकी सरकार को तीन साल हो गए हैं, लेकिन इन तीन सालों में हमें क्या मिला है?
पेट्रोल के दाम
26 मई, 2014 को जब आपकी पार्टी शासन में आई, उस वक्त भारत को मिलने वाले कच्चे तेल की कीमत 108.05 डॉलर प्रति बैरल थी। जबकि तीन साल बाद, 16 मई, 2017 की बात करें तो 51.12 डॉलर प्रति बैरल की कीमत है। यानी कच्चे तेल की कीमतों में 50 फीसदी से भी अधिक की गिरावट आई है, लेकिन क्या आपकी सरकार ने इसका भारतीय उपभोक्ताओं को दिया? नहीं!
25 जून 2014 को दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 71.56 रुपये थी, जबकि 16 मई, 2017 को यह 65.53 रुपये थी। यानी 2014 के बाद से पेट्रोल की कीमतों में 10 प्रतिशत की भी कमी नहीं आई है। वास्तव में बीजेपी सरकार की यह उपलब्धि है!
मुझे आशा है कि मोदी जी आपको यह ट्वीट याद होगा, जिसे आपने यूपीए सरकार के दौरान किया था।
यह ट्वीट आपने उस वक्त किया था जब आप गुजरात की जनता पर पेट्रोल की बढ़ी कीमतों से पड़ने वाले बोझ को लेकर काफी परेशान थे। मुझे लगता है कि आज भी आप पूरे देश की जनता को वैसे ही चिंतित होंगे जैसे आप 2012 में थे। हालांकि, यह मैं सोचती हूं आप नहीं!
मुद्रास्फीति
मुद्रास्फीति के सबसे बड़े समीक्षकों में से एक होने के बावजूद, मोदी जी आपने हमें खाद्य मुद्रास्फीति में सहीं परिणाम नहीं दिया। यह सब हमें आपके शासन में देखना पड़ रहा है। 2015 में तो देश के कुछ हिस्सों में दालों के दाम पांच साल के रिकॉर्ड को तोड़ने हुए आसमान पर चढ़ गया था।
उदाहरण के तौर पर, अरहर की दाल फरवरी 2014 में 75 रुपये प्रति किलोग्राम में बेची जा रही थी। वहीं, एक साल बाद इसकी कीमत तेजी से बढ़ी और यह अक्टूबर, 2015 में 180 रुपये प्रति किलोग्राम पर बेची गई थी। आज भी यह दाल 85 से 110 रुपये प्रति किलोग्राम बिक रही है।
रुपये की कीमत
मोदी जी एक समय था जब मैं आपके प्रशंसकों में से एक थी और एक प्रशंसक के रूप में जब यूपीए सरकार सत्ता में थी तो मैं आपके कई ट्वीटों को काफी पसंद करती थी। आपका यह ट्वीट मेरे पसंदीदा ट्वीटों में से एक था, जो आपने यूपीए सरकार की तुलना गिरते रुपयों से की थी।
यह ट्वीट आपने 2013 में किया था। जब एनडीए सरकार सत्ता में आई तो 26 मई, 2014 को एक डॉलर की कीमत 58.5 रुपये थी, जबकि फरवरी, 2016 में 68.80 के उच्चतम स्तर पर पहुंच गए। 18 मई, 2017 को अमरीकी डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत 64.371 की ऊंचाई पर है।
क्या आपको नहीं लगता कि एनडीए में भी यूपीए सरकार वाली स्थिति है और रुपए के साथ आपकी भी सरकार कंपटीशन में लग गई है…वही कंपटीशन कि कौन ज्यादा नीचे गिरेगा। है कि नहीं मोदीजी?
हम आपके विकास और अधिक नौकरियों के वादों को कैसे भूल सकते हैं, मोदीजी? आपने जो देश के नागरिकों से नौकरी देने का जो वादा किया था उस पर खरे नहीं ऊपर पाए हैं। रोजगार विभाग से मिले रिकॉर्ड से पता चलता है कि रोजगार की दर 8 साल के सबसे निचले स्तर पर है।
2009 में जहां यूपीए सरकार ने देश को 10 लाख नई नौकरियां दी थी, वहीं, आपकी एनडीए सरकार के समय में 2015 में महज 1.55 लाख और 2016 में 2.31 लाख लोगों को रोजगार दिया गया। यह काफी निराशाजनक है।
आपने चुनाव से पहले नई नौकरी पैदा करने की बात कही गई थी, लेकिन देश के आईटी सेक्टर में तो नौकरियों पर ही तलवार लटकी है। भारत में काम कर रहीं बड़ी आईटी कंपनियां भारी संख्या में कर्मचारियों की छंटनी की तैयारी कर रही हैं।
अर्थव्यवस्था
मुझे यकीन है कि भारत के प्रधान मंत्री होने के नाते मोदी जी आप महसूस करते होंगे कि हम एक प्रगतिशील राष्ट्र कहे जाने के लायक नहीं, यह सब एनडीए सरकार में घटते हुए अर्थव्यवस्था के कारण है।
2016-17 में मात्र 5 प्रतिशत की बैंक क्रेडिट ग्रोथ है, जो कि पिछले 60 साल में सबसे न्यूनतम है। जीडीपी के संदर्भ में बात करे तो वर्तमान कीमतों पर भारत की सकल स्थिर पूंजी संरचना दर 2013-14 की 31.2 फीसदी से 2016-17 में गिरकर 26.9 प्रतिशत पर पहुंच जाने के बाद वर्तमान सरकार से हमें अब कोई खास उम्मीद नहीं बची है।
8 नवंबर 2016 को आपकी नोटबंदी की घोषणा के बाद 25 लाख से ज्यादा औद्योगिक श्रमिकों के रोजगार छिनने के बाद हमें अभी तक इस कवायद से देश को कालेधन से मिली, मुक्ति के बारे में कुछ भी नहीं पता है।
क्या आप कभी अपनी इस ‘उपलब्धि’के विवरण को साझा करेंगे, मोदी जी?
स्वच्छ भारत मिशन
इस हाई वोल्टेज ‘स्वच्छता भारत अभियान’ निश्चित रूप से आपकी एक शानदार पहल थी। लेकिन, क्या यह वास्तव में अपने मिशन की सहीं रूप से बढ़ रहा है? राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली हो या उत्तर प्रदेश, पंजाब और बिहार हो, इन राज्यों में उचित स्वच्छता महसूस नहीं की जा सकती है। हम अब भी इन शहरों में खतरनाक प्लास्टिक के कूड़ों का ढ़ेर देख सकते हैं। सार्वजनिक शौचालयों की स्थिति में भी कोई सुधार नहीं हुआ है, जबकि इस मिशन के शुभारंभ को 2.5 साल बीत चुके हैं।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ
‘बेटी बचाओ बेटी पढाओ’ योजना एक बड़ा कदम है जो आपकी सरकार ने शुरू किया, लेकिन न्याय करने में असफल रहा। लड़कियों की रक्षा और उन्हें शिक्षित करने की योजना वास्तव में प्रशंसनीय है, लेकिन इसके परिणाम नहीं मिले हैं।
हालांकि, इस योजना की आधिकारिक वेबसाइट में कई सफलता की कहानियां हैं, लेकिन पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों में उपलब्धियों पर ध्यान केंद्रित करते हुए भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने सामाजिक, सामान्य और आर्थिक क्षेत्र (गैर-सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों) पर रिपोर्ट दी है।
कैग की रिपोर्ट के अनुसार, हरियाणा और पंजाब में कई जिले हैं, जहां लिंगानुपात में गिरावट देखने को मिली है।
हरियाणा के पानीपत में दिसंबर 2015 में लिंगानुपात 892 (लक्षित लिंगानुपात 902) था। लेकिन, हालात सुधरने के बजाय, और बिगड़ गए और मार्च 2016 में लिंगानुपात गिरकर 881 हो गया। ये ‘बेटी बचाओ…’ की ‘असली सफलता’ का एक उदाहरण है।
रक्षा
मोदी जी, इमानदारी से कहूं तो आपके द्वारा बार-बार कहना “देश बदल रहा है, आगे बढ़ रहा है” जुमला हो गया है। आपने भले हमें देश में बदलाव की बातें समझा-सुना दीं हों, लेकिन सचाई यह है देश बदल तो रहा है, लेकिन विकास की दिशा में नहीं, विनाश की दिशा में…
देश का अपना रक्षा उद्योग बना पाने में असफल रहना उस अकर्मण्यता का उदाहरण है, जिससे वह घिरा हुआ है। दुर्भाग्य से, आज भी लाखों करदाता एक बेहतर राष्ट्र में रहने की आशा में अपनी मेहनत से कमाए धन को देते हैं, लेकिन स्थिति बदलती नहीं है।
मुझे लगता है आपको यह बात जरूर पता होगी कि भारत उन 155 देशों में पहले स्थान पर है, जिन्होंने 2012-16 में हथियारों का सबसे अधिक आयात किया है। हकीकत यह है कि 2007-11 से 2012-16 में यह आयात 43 फीसदी बढ़ गया है।
मैं जानना चाहती हूं कि कब आपकी घोड़े बेच कर सो रही सरकार जागेगी और देश को हथियारों के आयात पर निर्भर होने से मुक्ति दिलाएगी? प्रधानमंत्री जी, क्यों न आप अपनी इन फालतू विदेश यात्राओं को बंद कर, और अपने देश के निर्माण पर विचार करें? बड़ा समय हुआ आपको ऐसा किये!
अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध
चीन: मोदी जी, क्या आपको ये शब्द याद हैं: “दुनिया दो धाराओं में बंटी हुई है, एक विस्तारवाद की धारा है और दूसरी विकासवाद की?
मुझे उम्मीद है कि आपको याद हैं, क्योंकि ये वही शब्द हैं, जिन्होंने चीन को नाराज किया था और तब से उसने पलट के नहीं देखा है, वो चाहे भारत के उत्तरपूर्वी राज्य अरुणाचल प्रदेश पर हुई बहस हो या ‘चाइना पाकिस्तान इकॉनोमिक कॉरिडोर’(CPEC), जिसने द्विपक्षीय संबंधों को नुकसान पहुंचाया है।
एक ऐसे समय में जब आप भारत को ‘महाशक्ति’ बनाने की ‘योजना’ बना रहे हों, एशियाई दिग्गजों में से एक के साथ खराब सम्बन्ध होना देश को आगे ले जाने वाली बात नहीं दीखती।
पाकिस्तान: मोदी जी, मैं आपको 56 इंच का सीना होने की बधाई भी देना चाहती हूं। आप क्या जानें ये कितनी बड़ी बात है। लेकिन मुझे ये बताएं कि पाकिस्तान को आपने क्या-क्या जवाब दिया है, अपने 56 इंच सीने के बारे में बताने के अलावा?
मैं आपके द्वारा पड़ोसी के जन्मदिन पर सरप्राइज देते हुए उसके घर जा कर बधाई देने को उपलब्धि नहीं गिन सकती, सॉरी!
मुझे अच्छी तरह याद है, 2014 के लोकसभा चुनाव के पहले, जब आपने कहा था कि अगर बीजेपी सत्ता में होगी तो पाकिस्तान की हमारे सैनिकों पर हमला करने की हिम्मत नहीं होगी।
बहरहाल, हकीक़त यह है कि पिछले महज दो-हफ़्तों में आठ दफा पाकिस्तान ने जम्मू कश्मीर में सीजफायर का उल्लंघन किया है। इतना ही नहीं, जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर पिछले दो वर्षों (2015-2016) में पाकिस्तान की ओर से औसतन हर दिन कम से कम एक बार सीजफायर का उल्लंघन किया गया, साथ ही राज्य में पिछले 5 वर्षों में हर दूसरे दिन एक आतंकी घटना सामने आई है। यह खुलासा सूचना का अधिकार(आरटीआई) के हुआ है। लेकिन राष्ट्र के प्रधानमंत्री इस सब से अछूते नज़र आते हैं। ऐसा नहीं है क्या?
क्या आपको ये सारी ट्वीट याद हैं, मोदी जी?
बेशक, आपको नहीं याद है! वरना आप कैसे इस तरह चुपचाप पाकिस्तान को 2015 में 405 और 2016 में 449 बार सीजफायर का उल्लंघन करने देते। पाकिस्तान से निपटने की स्पष्ट नीति या दिशा न होने की कमी के चलते आप वो नहीं कर पा रहे हैं मोदीजी जो आप हमेशा की तरह कहते रहे हैं!
कश्मीर
‘पृथ्वी पर स्वर्ग’ कहा जाने वाला हमारा कश्मीर अलगाववादियों से लड़ रहा है और आपकी बीजेपी सरकार ने, अलगाववादियों से सहानुभूति रखने वाली पीडीपी के साथ गठबंधन कर लिया।
किस लिए? सिर्फ इसलिए कि आप अपने ‘कांग्रेस मुक्त भारत’ के मिशन को पूरा कर सकें? हो सकता है आप यह कर भी लें, लेकिन किस कीमत पर? निर्दोष कश्मीरियों की जान की कीमत पर या बार-बार राष्ट्र के सैनिकों के सर को बर्बरता से धड़ से अलग किये जाने की कीमत पर?
मैं जानती हूं कि आप कश्मीर मुद्दे पर अपना मौन बनाये रखना चाहते हैं, लेकिन यह नहीं समझ पाती कि आखिर क्यों? घाटी में हालात इतने खराब तो कभी नहीं थे, 1990 में भी नहीं थे, जब अलगाववाद हथियारों के साथ अपने चरम पर थे।
कश्मीर जिस शांति का इंतज़ार कर रहा है वह उसे आप कब देंगे?
अगर आप ऐसा कर दें, तो ये NDA सरकार की “वास्तविक उपलब्धि” होगी और आप इस बात के ऊपर लाखों भारतीयों पर विश्वास कर सकते हैं!
नक्सली हमले
मोदीजी पिछले तीन वर्षों के आपकी साहसी और बहादुर सरकार के शासनकाल में आंध्र प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में 342 नक्सली-माओवादी घटनाएं हुई हैं। इन घटनाओं में लगभग 344 नागरिकों और 210 सुरक्षाकर्मियों को अपनी जान गंवानी पड़ी।
(वास्तविक परिणाम)
आधार:
भारत की इस सबसे बड़ी पहचान योजना को सफल बनाने के लिए मैं एनडीए सरकार को अपनी तरफ से हार्दिक बधाई ज़रूर दे रही हूं। लेकिन फिर मैं वह शोरगुल-तमाशा कैसे भूल जाऊं जो बीजेपी ने इसी आधार के विरोध में विपक्ष में रहते हुए किया था?
मोदी जी यह उस समय की ट्वीट है जब केंद्र में आपकी सरकार नहीं थी।
तो आप क्या अभी भी इसे राजनैतिक-नौटंकी कहेंगे या फिर हम ऐसे कहें कि अब, आपकी सरकार का आधार को सफल बनाना, एक राजनैतिक-नौटंकी है?
जीएसटी
एनडीए सरकार की एक और “बड़ी उपलब्धि” थी, जब 2016 में जीएसटी संशोधन विधेयक को राज्यसभा में सर्वसम्मत के साथ पारित कर दिया गया। लेकिन मोदीजी आप क्या इस उपलब्धि का सारा श्रेय अकेले ही ले सकते हैं?
क्या आप भूल गए, सत्ता में आने से पहले, बीजेपी के नेतृत्व में विपक्ष ने यूपीए सरकार को यही बिल इसलिए नहीं लाने दिया था, क्योंकि आपका मानना था इसके चलते राज्य कमज़ोर होंगे?
अब जबकि आप सत्ता में है, मैं उम्मीद करती हूं कि वही जीएसटी उन्हीं राज्यों को मजबूत बना रहा है।
पैसे और बाहुबल की राजनीति
कांग्रेस मुक्त भारत की जुस्तजू में, आपकी सरकार ने कोई कसर नहीं छोड़ा है। बड़ी खूबसूरती से आपने मणिपुर और गोवा को कांग्रेस (जहां उसकी सीटें आपसे ज्यादा थीं) से छीन लिया, और कुछ इसी टाइप से अरुणाचल प्रदेश और उत्तराखंड मतलब आपने दिखा दिया कि बीजेपी सरकार देश को कैसे बदल रही है।
पूर्ण अशांत राष्ट्र
सर, तीन साल की सत्ता के दौरान आपकी सरकार से हम जितना उम्मीद लगाए थे उससे कहीं ज्यादा-ही दिया है। आज, जैसा नजर आता है, एक अजब अशांति देश को चारों तरफ से घेर रही है।
समाज ताले में बंद है और सुप्रीम कोर्ट, सीबीआई, चुनाव आयोग जैसे संस्थान और कई अन्य स्वायत्त निकाय बिलकुल अराजकता की अवस्था में हैं।
किस लिए? एक मजबूत राष्ट्र बनाने हेतु? मोदीजी ये भ्रम ही तो है, नहीं?
शैक्षिक संस्थानों को तोड़कर आपकी सरकार उन सिद्धांतों को कलंकित कर रही है, जिनसे महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभभाई पटेल, और रबींद्रनाथ टैगोर ने देश का निर्माण किया। राष्ट्र का सामाजिक-तानाबाना टूट रहा है, लेकिन ये वास्तविकता आपको प्रभावित करती नहीं दिख रही है।
इतना धार्मिक ध्रुवीकरण इस देश ने पहले होते नहीं देखा, जितना आपकी सरकार ने हमें तीन साल में दिखा दिया। देखा जाये तो 70 वर्षों तक देश को जोड़े रखने के लिए हमें कांग्रेस का शुक्रिया अदा करना चाहिए, जबकि एनडीए सरकार ने यदि कुछ किया है तो बस धर्म के नाम पर हमें तोड़ा है।
मोदी जी मेरा आपसे निवेदन है कि भगवान राम को राजनीति के नाम पर शोषण करना बंद कीजिये। भगवान राम आरएसएस, बीजेपी या एनडीए की संपत्ति नहीं हैं। आप उनका ठेकेदार बनना बंद कीजिये।
हिन्दू धर्म वह धर्म है, जिसका अस्तित्व सदियों पुराना है, और वो हमेशा रहेगा, सर, तब भी, जब आप या आपकी सरकार यहां नहीं रहेगी।
मैं एक धर्मनिष्ठ हिन्दू हूं। लेकिन मैं एक हिन्दू-राष्ट्र नहीं चाहती। मैं अपनी भारतमाता को पूरे दिल और आत्मा से प्यार करती हूं, लेकिन सपने में भी ऐसा नहीं हो सकता कि देश दोबारा विभाजित हो। जिस भारत पर भविष्य की पीढ़ियों को गर्व हो मैं बस वह भय-रहित, सुरक्षित, हम-सबका भारत चाहती हूं।
आशा है कि आपकी सरकार हमें यह दे सकती है।
राष्ट्र निर्माण की एक ही पूंजी, संभव वहीं जहां एकता गूंजी।
निष्ठा सहित,
साध्वी खोसला
(भारतीय नागरिक)
जय हिंद!
(ये लेखक के अपने विचार हैं, ‘सबरंग इंडिया’ इसका समर्थन नहीं करता।)
Courtesy: Janta Ka Reporter