बीएचयू में आरक्षण मामले को लेकर शिक्षकों की भर्ती पर रोक लगी: Amar Ujala

Published on: April 14, 2017

गैर शैक्षणिक पदों पर जारी रहेगी नियुक्ति प्रक्रिया 

BHU

काशी हिंदू विश्वविद्यालय में शैक्षणिक और गैर शैक्षणिक स्टॉफ के लगभग 400 पदों पर भर्ती के लिए जारी विज्ञापन में हाईकोर्ट ने शैक्षणिक पदों की भर्ती पर रोक लगा दी है।

भर्ती प्रक्रिया में रोस्टर के मुताबिक आरक्षण लागू नहीं करने का आरोप है। इसे लेकर डा. आनंद देव राय और अन्य ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है।

याचिका पर सुनवाई कर रही न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति डीएस त्रिपाठी की बेंच ने विश्वविद्यालय प्रशासन से इस मामले में जवाब तलब किया है। बीएचयू के अधिवक्ता वीके उपाध्याय का कहना था कि टीचिंग और नॉन टीचिंग स्टॉफ के करीब 400 पदों की भर्ती के लिए विज्ञापन 11- 2016-17 जारी किया गया।

इस पर 10 अप्रैल 2017 को साक्षात्कार होना था। भर्ती के साथ शर्त थी कि यह भर्तियां हाईकोर्ट में लंबित विवेकानंद तिवारी व अन्य की याचिका पर होने वाले निर्णय पर निर्भर करेंगी। मगर आठ अप्रैल को ही विश्वविद्यालय ने साक्षात्कार निरस्त कर दिया।

कोर्ट को बताया गया कि बीएचयू ने इससे पूर्व भी टीचिंग और नॉन टीचिंग स्टॉफ की भर्ती के लिए विज्ञापन संख्या 2-2016-17 जारी किया था, जिसे विवेकानंद तिवारी ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर चुनौती दी थी।

हाईकोर्ट ने विवेकानंद तिवारी की याचिका स्वीकार करते हुए उक्त विज्ञापन के तहत होने वाली शिक्षकों (असिस्टेंट प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर) की भर्तियां रद्द कर दी हैं। इसलिए विज्ञापन संख्या 11-2016-17 के तहत की जा रही भर्तियों पर भी रोक लगाई जाए।

याची के अधिवक्ता विमलेंदु त्रिपाठी का कहना था कि बीएचयू को एक इकाई मानते हुए विज्ञापन लागू किया जा रहा है जबकि राज्य विश्वविद्यालयों में विभागवार रिक्तियों पर आरक्षण लागू होता है।

बीएचयू द्वारा लागू किया जा रहा आरक्षण गलत है। कोर्ट ने प्रकरण को विचारणीय मानते हुए टीचिंग स्टॉफ के चयन पर रोक लगा दी है तथा नॉन टीचिंग स्टॉफ की भर्तियां जारी रखने की छूट दी है। सभी पक्षकारों को इस मामले में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
 

धांधली के आरोप पर भी कोर्ट ने मांगा जवाब

बीएचयू में पीएचडी प्रवेश में धांधली के आरोपों में दाखिल याचिका पर हाईकोर्ट ने कुलपति को चार सप्ताह में शिकायत की सुनवाई कर निर्णय लेने को कहा है। आशुतोष कुमार सिंह तोमर की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति अंजनी कुमार मिश्र ने यह आदेश दिया। याची का कहना है कि पीएचडी प्रवेश की तीन बार सूची जारी की गई तथा उसमें दो नाम गलत तरीके से जोड़ दिए गए। याची ने भी आवेदन किया था।

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