लगभग सौ वर्ष बीएचयू के स्थापना होने के बाद बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में इतनी भयावह स्थिति होना कोई केवल छेड़छाड़ का एक ही मुद्दा नही बल्कि कई कारणों से सालो से भरा गुस्सा सड़को पर आ गया कई सरकारे आई कई चली गई लेकिन एक विचारधारा से भरे मनुवादी विश्वविद्यालय में महिलाओं के अधिकारो का दमन विचारो का दमन होते चला गया जिसका गुस्सा सड़को पर दमन विरोधी मार्च में तब्दील हो गया। लड़कियों का मार्च शान्ति से चल ही रहा था की अचानक भीषण तरीके से लाठीचार्ज आखिर चला दी जाती हैं जबकि शान्ति आंदोलन से अपनी माँगे सिर्फ वीसी से मिलकर अपनी बात रखकर मांगो को पूरा करने हेतु थी किन्तु उन मांगो को इस तरह से रूप लेकर लाठीचार्ज से मुह बन्द करा दिया जाएगा यह किसी छात्र छात्रा ने नही सोचा था।
यह भीषण छात्र छात्राओ का आक्रोश केवल छेड़छाड़ का ही नही अपितु कई मुद्दों की आग को धधकता दिखा रहा था जैसे लगभग पूर्व की घटनाओ के लोग भी अपना अपना न्याय माँगने को चिल्लाने लगे आकर व कुछ ऐसा लग रहा था मानो किसी ने सालो से कैद रखा हो और आज अचानक बाहर छोड़ दिया हो छात्र छात्राओ पर रेस्टिकेशन का प्रेशर पूर्व छात्रो पर आने बाली शोध इंटरवियु में सिलेक्शन न करने की धमकिया झेलनी पढ़ रही थी जो आज भी चल रही हैं आगे भी उन चेहरों को शोध में नही मिलने का दुःख झेलना पढ़ सकता हैं। लगभग इन्ही दिनों पहले काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों में नियुक्तियों और पदोन्नतियों के लिए साक्षात्कार चल रहा था। विश्वविद्यालय प्रशासन पर नियुक्तियों में धांधली का आरोप भी लग रहे थे। वंचित समुदाय के छात्र मनमाने ढंग से की जा रही नियुक्तियों को लेकर पिछले दो महीने से विरोध-प्रदर्शन कर विभिन्न संवैधानिक प्रावधानों के तहत प्रतिनिधित्व का अधिकार मांग रहे थे और विश्वविद्यालय प्रशासन की गतिविधियों पर नजर बनाए हुए थे। विश्वविद्यालय प्रसाशन कोर्ट के विरुद्ध मनमानी तरीके से फर्जी भर्ती करते चला जा रहा था छात्रों के रोकने की हर शक्ति कम सी हो गई।
कई दिनों पहले 24×7 लाइवरेरि ओपन करने को लेकर वीसी से जेन्यून माँगे की गई थी जिसके विपक्ष होकर वीसी ने कई छात्र छात्राओं को निलम्बित कर दिया था।
यही नही बल्कि लगभग एक वर्ष पहले ज़ूलॉजी, आर्ट विभाग के डीन से लेकर मेडिकल व जोगरफी तक के प्रोफेसर्स पर शारीरिक शोषणों के आरोप लग चुके हैं यहा तक की बीएचयू के मेडिकल विभाग व सर सुंदरलाल अस्पताल के एमएस डॉ ओपी उपाध्याय बलात्कार के आरोपी घोषित तक हैं किन्तु फिर भी वह कैम्पस में सम्मानिय व्यक्तियो में माने जाते हैं आखिर क्यों और कब तक आप पैसे से आरोपियों को बचाते रहेंगे?
इस सब महौल से भी छात्र छात्राए छुब्ध थी किन्तु कोई साथ नही मिल रहा था और दर्द एकदम टूटकर रो पढ़ा!
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के अंदर महिला महाविद्यालय जहा भेदभाव के निशानी मिलती हैं वहा समय पर प्रतिबिंध हैं मेस में लडकिया नॉन वेज नही खा सकती तो छोटे कपड़े संस्कार मय नही होते तो इंटरनेट की सुबिधा नही हैं यूजी फर्स्ट इयर की लडकिया मोवाइल नही यूज कर सकती बाकी की लडकिया रात 10 बजे के बाद मोवाइल यूज नही कर सकती आखिर यह सभी रोक थाम लड़को पर क्यों नही?
मेंन कैम्पस में होस्टलों की एंट्री समय 8 बजे तक ही आखिर लड़कियो पर समय की पावंदी क्यों? क्या 10 बजे तक भी होस्टल की छात्राएं कैम्पस में सुरक्षित नही? खाने की हालत एकदम खराब जिसको किसी भी मानक से तय कर नही बनाया जा रहा हैं साफ़ सफाई का कोई ध्यान ही नही यह सभी प्रश्नो को काफी दिनों से छात्राएं उठा रही थी जिन्हें सुना ही नही जा रहा था आखिर इतनी मनमानी क्यों एक वीसी द्वारा?
सालो से बन्द छात्रो की अबाज काशी हिन्दू विश्वविद्यालय का "छात्र संघ्" जिसकी बहाली को लेकर छात्र कबसे प्रयासरत हैं किन्तु अभी तक अबाज को सुनकर अनदेखा कर दिया जा रहा हैं जिस वाइस चांसलर के खुद के सपने राज्यपाल या सांसद बनने के हैं जो दिन रात मोदी जी के आगे पीछे घूम रहे हो वह छात्र संघ् बहाली को महौल खराब करना समझते हैं आखिर कब तक छात्रों की अबाज को बन्द रखने के लिए ये गला घोटकर रखा जाएगा? यह आक्रोश भी भरा हुआ दिख रहा है छात्र छात्राओं में जोश हैं अपने प्रतिनिधि चुनने का आखिर सरकार भी इन्ही छात्रो की देंन हैं?
शोध छात्रो का एचआरए काट लेना किन्तु यूजीसी या सीएसआईआर नियम अनुसार होस्टल फेसिलिटी न प्रदान करना उल्टा वीसी का आरोप लगाना की शोध के पैसो से छात्र गाड़ी व छात्राएं दहेज के लिए पैसा इकट्ठा करती हैं इतनी सोच नीची है की विश्वविद्यालय का क्या विकास करेंगे जिसको लेकर भी कई शोध छात्र छात्राए अबाज उठा रहे थे किन्तु उसे भी दबा दिया गया आखिर क्यों?
लगभग कुछ दिन पहले यूनाइटेड स्टूडेंट ओर्गेनाइज़ेशन के सदस्यों ने सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों के नियमो की माँगे एक करने हेतु पीएम सीएम व एमएचआरडी तक को लैटर प्रेषित कर आंदोलन व ज्ञापन दिए किन्तु उसे भी एक पक्षीय इग्नोर कर दिया गया जिससे छात्र आहत हुए।
बीएचयू कैम्पस के अंदर महिला प्रॉक्टर की माँग से लेकर महिला सिक्योरिटी गार्ड की माँग को भी इग्नोर कर दिया गया?
जीएस कैश की मांगों को भी लागू नही किया गया आखिर क्यों?
अभी हुए मनमानी लाठीचार्ज के जुर्म में वीसी पर रिपोर्ट दर्ज करा मुकदमा क्यों नही दायर किया गया?
आखिर दृस्य कला विभाग ही क्यों बन रहा हैं बार बार टारगेट पहले एक लड़के के साथ अन्याय अब एक लड़की के साथ मोलेस्टेशन आखिर कब तक? अभी कुछ दिन पहले एक समीर नामक छात्र को कुछ बिरला होस्टल के अराजक नॉन इंरोल्ड छात्र बन्दूक की नोक पर क्लास में से प्रोफेसर के सामने लेजाकर होस्टल में पीटे किन्तु कोई एक्सन नही लिया गया आरोपी ऐसे ही आजाद रहे FIR के बाबजूद जिसकी सजा दोवारा उस छात्र को मिली और पुलिस द्वारा नक्शा तैयार करने गए इंस्पेक्टर के सामने छात्रो ने दबंगई में दोवारा उस छात्र को पीटा एवम् आरोपी आज भी आजाद राजनीति गुंडई करते घूम रहे हैं आखिर दोवारा कहि वही लड़के तो नही छेड़छाड़ के पीछे? क्यों नही की पुलिस अभी तक आरोपियों को गिरफ्तार क्या यही आरोपी अब आंदोलन प्रदर्शन करके हमे सुरक्षा की बात करेंगे?
आखिर आंदोलन में हिस्सा लेने मात्र से शोध में एड्मिसन न लेने की धमकिया आखिर क्यों दी जा रही हैं इसके लिए कौन जिम्मेदार होगा क्या वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग व बाहरी पैनल के जरिये इंटरवियु होंगे या फिर वही मनमानी जो चल रही हैं उसी अनुसार प्रक्रिया चलेगी?
आखिर कैम्पस को पूर्ण सीसीटीवी व लाइटिंग क्यों नही की गई हैं? इतना पैसा कहा जाता हैं?
कैम्पस में आने बाली नैक की टीम आखिर लैबोरेटरी की तरफ नजर क्यों नही करती जहा कोई समान ही नही कार्य हेतु सालो से पुराना खराब समान भरा हुआ है यह आक्रोश बच्चो में बढ़ रहा हैं।
लड़के लड़की में अंतर क्यों आखिर इस कैम्पस में यह मुख्य मुद्दा क्यों समय की पावंदी हमे ही क्यों नही ये सीमा खत्म की जा रही?
आखिरी प्रश्न किन्तु अंतिम नही वीसी के जाने से सुबिधाये नही आएंगी नियमो को माना जाये बदला जाये आरोपियों की पहचान कर पकड़ कर सजा दी जाये। लड़कियों को लड़को के बराबर स्थान दिया जाये।
छात्रो की मांगे पूरी हो सके उसके लिए छात्र संघ् को सकारात्मक ऊर्जा के साथ बहाल कर दिया जाये।
महिला सुरक्षा की जिम्मेदारी कैम्पस प्रसाशन द्वारा सम्पूर्णयता से निभाई जाये।
छात्राओं की अबाज बुलन्द हो सके उसके लिए बीएचयू छात्र यूनियन भी बनाया जाये।
(The author is a Junior Research Fellow at BHU)
यह भीषण छात्र छात्राओ का आक्रोश केवल छेड़छाड़ का ही नही अपितु कई मुद्दों की आग को धधकता दिखा रहा था जैसे लगभग पूर्व की घटनाओ के लोग भी अपना अपना न्याय माँगने को चिल्लाने लगे आकर व कुछ ऐसा लग रहा था मानो किसी ने सालो से कैद रखा हो और आज अचानक बाहर छोड़ दिया हो छात्र छात्राओ पर रेस्टिकेशन का प्रेशर पूर्व छात्रो पर आने बाली शोध इंटरवियु में सिलेक्शन न करने की धमकिया झेलनी पढ़ रही थी जो आज भी चल रही हैं आगे भी उन चेहरों को शोध में नही मिलने का दुःख झेलना पढ़ सकता हैं। लगभग इन्ही दिनों पहले काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों में नियुक्तियों और पदोन्नतियों के लिए साक्षात्कार चल रहा था। विश्वविद्यालय प्रशासन पर नियुक्तियों में धांधली का आरोप भी लग रहे थे। वंचित समुदाय के छात्र मनमाने ढंग से की जा रही नियुक्तियों को लेकर पिछले दो महीने से विरोध-प्रदर्शन कर विभिन्न संवैधानिक प्रावधानों के तहत प्रतिनिधित्व का अधिकार मांग रहे थे और विश्वविद्यालय प्रशासन की गतिविधियों पर नजर बनाए हुए थे। विश्वविद्यालय प्रसाशन कोर्ट के विरुद्ध मनमानी तरीके से फर्जी भर्ती करते चला जा रहा था छात्रों के रोकने की हर शक्ति कम सी हो गई।
कई दिनों पहले 24×7 लाइवरेरि ओपन करने को लेकर वीसी से जेन्यून माँगे की गई थी जिसके विपक्ष होकर वीसी ने कई छात्र छात्राओं को निलम्बित कर दिया था।
यही नही बल्कि लगभग एक वर्ष पहले ज़ूलॉजी, आर्ट विभाग के डीन से लेकर मेडिकल व जोगरफी तक के प्रोफेसर्स पर शारीरिक शोषणों के आरोप लग चुके हैं यहा तक की बीएचयू के मेडिकल विभाग व सर सुंदरलाल अस्पताल के एमएस डॉ ओपी उपाध्याय बलात्कार के आरोपी घोषित तक हैं किन्तु फिर भी वह कैम्पस में सम्मानिय व्यक्तियो में माने जाते हैं आखिर क्यों और कब तक आप पैसे से आरोपियों को बचाते रहेंगे?
इस सब महौल से भी छात्र छात्राए छुब्ध थी किन्तु कोई साथ नही मिल रहा था और दर्द एकदम टूटकर रो पढ़ा!
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के अंदर महिला महाविद्यालय जहा भेदभाव के निशानी मिलती हैं वहा समय पर प्रतिबिंध हैं मेस में लडकिया नॉन वेज नही खा सकती तो छोटे कपड़े संस्कार मय नही होते तो इंटरनेट की सुबिधा नही हैं यूजी फर्स्ट इयर की लडकिया मोवाइल नही यूज कर सकती बाकी की लडकिया रात 10 बजे के बाद मोवाइल यूज नही कर सकती आखिर यह सभी रोक थाम लड़को पर क्यों नही?
मेंन कैम्पस में होस्टलों की एंट्री समय 8 बजे तक ही आखिर लड़कियो पर समय की पावंदी क्यों? क्या 10 बजे तक भी होस्टल की छात्राएं कैम्पस में सुरक्षित नही? खाने की हालत एकदम खराब जिसको किसी भी मानक से तय कर नही बनाया जा रहा हैं साफ़ सफाई का कोई ध्यान ही नही यह सभी प्रश्नो को काफी दिनों से छात्राएं उठा रही थी जिन्हें सुना ही नही जा रहा था आखिर इतनी मनमानी क्यों एक वीसी द्वारा?
सालो से बन्द छात्रो की अबाज काशी हिन्दू विश्वविद्यालय का "छात्र संघ्" जिसकी बहाली को लेकर छात्र कबसे प्रयासरत हैं किन्तु अभी तक अबाज को सुनकर अनदेखा कर दिया जा रहा हैं जिस वाइस चांसलर के खुद के सपने राज्यपाल या सांसद बनने के हैं जो दिन रात मोदी जी के आगे पीछे घूम रहे हो वह छात्र संघ् बहाली को महौल खराब करना समझते हैं आखिर कब तक छात्रों की अबाज को बन्द रखने के लिए ये गला घोटकर रखा जाएगा? यह आक्रोश भी भरा हुआ दिख रहा है छात्र छात्राओं में जोश हैं अपने प्रतिनिधि चुनने का आखिर सरकार भी इन्ही छात्रो की देंन हैं?
शोध छात्रो का एचआरए काट लेना किन्तु यूजीसी या सीएसआईआर नियम अनुसार होस्टल फेसिलिटी न प्रदान करना उल्टा वीसी का आरोप लगाना की शोध के पैसो से छात्र गाड़ी व छात्राएं दहेज के लिए पैसा इकट्ठा करती हैं इतनी सोच नीची है की विश्वविद्यालय का क्या विकास करेंगे जिसको लेकर भी कई शोध छात्र छात्राए अबाज उठा रहे थे किन्तु उसे भी दबा दिया गया आखिर क्यों?
लगभग कुछ दिन पहले यूनाइटेड स्टूडेंट ओर्गेनाइज़ेशन के सदस्यों ने सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों के नियमो की माँगे एक करने हेतु पीएम सीएम व एमएचआरडी तक को लैटर प्रेषित कर आंदोलन व ज्ञापन दिए किन्तु उसे भी एक पक्षीय इग्नोर कर दिया गया जिससे छात्र आहत हुए।
बीएचयू कैम्पस के अंदर महिला प्रॉक्टर की माँग से लेकर महिला सिक्योरिटी गार्ड की माँग को भी इग्नोर कर दिया गया?
जीएस कैश की मांगों को भी लागू नही किया गया आखिर क्यों?
अभी हुए मनमानी लाठीचार्ज के जुर्म में वीसी पर रिपोर्ट दर्ज करा मुकदमा क्यों नही दायर किया गया?
आखिर दृस्य कला विभाग ही क्यों बन रहा हैं बार बार टारगेट पहले एक लड़के के साथ अन्याय अब एक लड़की के साथ मोलेस्टेशन आखिर कब तक? अभी कुछ दिन पहले एक समीर नामक छात्र को कुछ बिरला होस्टल के अराजक नॉन इंरोल्ड छात्र बन्दूक की नोक पर क्लास में से प्रोफेसर के सामने लेजाकर होस्टल में पीटे किन्तु कोई एक्सन नही लिया गया आरोपी ऐसे ही आजाद रहे FIR के बाबजूद जिसकी सजा दोवारा उस छात्र को मिली और पुलिस द्वारा नक्शा तैयार करने गए इंस्पेक्टर के सामने छात्रो ने दबंगई में दोवारा उस छात्र को पीटा एवम् आरोपी आज भी आजाद राजनीति गुंडई करते घूम रहे हैं आखिर दोवारा कहि वही लड़के तो नही छेड़छाड़ के पीछे? क्यों नही की पुलिस अभी तक आरोपियों को गिरफ्तार क्या यही आरोपी अब आंदोलन प्रदर्शन करके हमे सुरक्षा की बात करेंगे?
आखिर आंदोलन में हिस्सा लेने मात्र से शोध में एड्मिसन न लेने की धमकिया आखिर क्यों दी जा रही हैं इसके लिए कौन जिम्मेदार होगा क्या वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग व बाहरी पैनल के जरिये इंटरवियु होंगे या फिर वही मनमानी जो चल रही हैं उसी अनुसार प्रक्रिया चलेगी?
आखिर कैम्पस को पूर्ण सीसीटीवी व लाइटिंग क्यों नही की गई हैं? इतना पैसा कहा जाता हैं?
कैम्पस में आने बाली नैक की टीम आखिर लैबोरेटरी की तरफ नजर क्यों नही करती जहा कोई समान ही नही कार्य हेतु सालो से पुराना खराब समान भरा हुआ है यह आक्रोश बच्चो में बढ़ रहा हैं।
लड़के लड़की में अंतर क्यों आखिर इस कैम्पस में यह मुख्य मुद्दा क्यों समय की पावंदी हमे ही क्यों नही ये सीमा खत्म की जा रही?
आखिरी प्रश्न किन्तु अंतिम नही वीसी के जाने से सुबिधाये नही आएंगी नियमो को माना जाये बदला जाये आरोपियों की पहचान कर पकड़ कर सजा दी जाये। लड़कियों को लड़को के बराबर स्थान दिया जाये।
छात्रो की मांगे पूरी हो सके उसके लिए छात्र संघ् को सकारात्मक ऊर्जा के साथ बहाल कर दिया जाये।
महिला सुरक्षा की जिम्मेदारी कैम्पस प्रसाशन द्वारा सम्पूर्णयता से निभाई जाये।
छात्राओं की अबाज बुलन्द हो सके उसके लिए बीएचयू छात्र यूनियन भी बनाया जाये।
(The author is a Junior Research Fellow at BHU)