नई दिल्ली। टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस ने 24 मार्च को 25 फैकल्टी मेंबर्स का कॉन्ट्रैक्ट समाप्त कर दिया। संस्थान में कॉन्ट्रैक्ट बेसिस पर काम कर रहे शिक्षकों को पत्र के माध्यम से सूचना दी गई है कि उनका कॉन्ट्रैक्ट 31 मार्च को समाप्त हो जाएगा। दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में एक सप्ताह पहले एमफिल और पीएचडी की सीटों में कटौती कई गई थी। ऐसा माना जा रहा है कि उसका असर टीआईएसएस पर भी पड़ा है।
"पत्र में कहा गया है कि जिन केंद्रों पर शिक्षक कॉन्ट्रैक बेसिस पर काम कर रहे हैं उनका कार्यकाल यूजीसी ने आगे नहीं बढ़ाया है, इसलिए 31 मार्च के बाद इन शिक्षकों का कार्याकाल समाप्त हो जाएगा।"
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, ये पत्र चार केंद्रों में कॉन्ट्रैक्ट बेसिस पर पढ़ा रहे शिक्षकों को दिए गए हैं। इनमें सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर ह्यूमन राइट एजूकेशन, स्कूल ऑफ लॉ राइट्स एंड कंस्टीट्यूशनल गवर्नेंस, एडवांस सेंटर्स फॉर वूमन्स स्टडीज़ और सेंटर फॉर स्टडीज़ ऑफ सोशल एक्सक्लूज़न एंड इनक्लूसिव पॉलिसीज़ शामिल हैं। ये सेंटर पांच साल से यूजीसी के फंड पर चलाए जाते थे।
संस्थान में कॉन्ट्रैक्ट बेसिस पर पढ़ा रहे एक शिक्षक ने कहा, "सरकार का यह कदम फैक्लटी मेंबर और छात्रों के लिए एक सदमे जैसा है इससे मैं बहुत नाराज हूं ऐसा क्यों किया जा रहा है?"
वहीं कॉन्ट्रैक्ट बेसिस पर कार्य कर रहे दूसरे शिक्षक ने कहा, "ये पत्र कॉन्ट्रैक्ट खत्म होने के एक सप्ताह पहल दिया गया है, वहीं कुछ शिक्षकों ने धोखाधड़ी का आरोप लगाया है।"
इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस के निदेशक एस परशुराम ने कहा, "संस्थान ने यह निर्णय वित्तीय कमी के चलते लिया है संस्थान को पिछले एक साल में 5.11 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने संस्थान को कोई फंड नहीं दिया है, TISS, संस्थानों को अपनी दम पर नहीं चला सकता।"
उन्होंने आगे कहा, "हम यूजीसी से लगातार संपर्क में हैं कि कॉन्ट्रैक्ट पर काम कर रहे शिक्षकों को सेवा विस्तार दिए जाए, लेकिन यूजीसी का कोई जवाब नहीं मिला है, यदि यूजीसी ने सेवा विस्तार दिया तो इन्हीं शिक्षकों को वापस बुलाया जाएगा व्यक्तिगत तौर पर किसी टीचर को टारगेट नहीं किया जाएगा।"
टाटा इंस्टीट्यूट से टर्मिनेट की गई एक शिक्षिका ने कहा, "टीआईएसएस को महत्वपूर्ण सोच को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार ने निशाना बनाया है, यूजीसी इन केंद्रों को फंड क्यों नहीं जारी कर रहा है? यूजीसी के नए नियमों ने जेएनयू में सीटों की संख्या को प्रभावित किया और अब टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंज को निशाना बनाया जा रहा है।"
Edited by- Bhavendra Prakash
Courtesy: National Dastak
"पत्र में कहा गया है कि जिन केंद्रों पर शिक्षक कॉन्ट्रैक बेसिस पर काम कर रहे हैं उनका कार्यकाल यूजीसी ने आगे नहीं बढ़ाया है, इसलिए 31 मार्च के बाद इन शिक्षकों का कार्याकाल समाप्त हो जाएगा।"
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, ये पत्र चार केंद्रों में कॉन्ट्रैक्ट बेसिस पर पढ़ा रहे शिक्षकों को दिए गए हैं। इनमें सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर ह्यूमन राइट एजूकेशन, स्कूल ऑफ लॉ राइट्स एंड कंस्टीट्यूशनल गवर्नेंस, एडवांस सेंटर्स फॉर वूमन्स स्टडीज़ और सेंटर फॉर स्टडीज़ ऑफ सोशल एक्सक्लूज़न एंड इनक्लूसिव पॉलिसीज़ शामिल हैं। ये सेंटर पांच साल से यूजीसी के फंड पर चलाए जाते थे।
संस्थान में कॉन्ट्रैक्ट बेसिस पर पढ़ा रहे एक शिक्षक ने कहा, "सरकार का यह कदम फैक्लटी मेंबर और छात्रों के लिए एक सदमे जैसा है इससे मैं बहुत नाराज हूं ऐसा क्यों किया जा रहा है?"
वहीं कॉन्ट्रैक्ट बेसिस पर कार्य कर रहे दूसरे शिक्षक ने कहा, "ये पत्र कॉन्ट्रैक्ट खत्म होने के एक सप्ताह पहल दिया गया है, वहीं कुछ शिक्षकों ने धोखाधड़ी का आरोप लगाया है।"
इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस के निदेशक एस परशुराम ने कहा, "संस्थान ने यह निर्णय वित्तीय कमी के चलते लिया है संस्थान को पिछले एक साल में 5.11 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने संस्थान को कोई फंड नहीं दिया है, TISS, संस्थानों को अपनी दम पर नहीं चला सकता।"
उन्होंने आगे कहा, "हम यूजीसी से लगातार संपर्क में हैं कि कॉन्ट्रैक्ट पर काम कर रहे शिक्षकों को सेवा विस्तार दिए जाए, लेकिन यूजीसी का कोई जवाब नहीं मिला है, यदि यूजीसी ने सेवा विस्तार दिया तो इन्हीं शिक्षकों को वापस बुलाया जाएगा व्यक्तिगत तौर पर किसी टीचर को टारगेट नहीं किया जाएगा।"
टाटा इंस्टीट्यूट से टर्मिनेट की गई एक शिक्षिका ने कहा, "टीआईएसएस को महत्वपूर्ण सोच को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार ने निशाना बनाया है, यूजीसी इन केंद्रों को फंड क्यों नहीं जारी कर रहा है? यूजीसी के नए नियमों ने जेएनयू में सीटों की संख्या को प्रभावित किया और अब टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंज को निशाना बनाया जा रहा है।"
Edited by- Bhavendra Prakash
Courtesy: National Dastak