पाकिस्तान में हरजत लाल शहबाज कलंदर की दरगाह पर एक अद्भुत नजारा दिखा। वहां प्रतिरोध की संस्कृति के पक्ष में हजारों लोग जुट गए। क्लासिक डांसर और सामाजिक कार्यकर्ता वहां नृत्य और संगीत के जरिये आतंक के खिलाफ अलख जगा रही थीं। वह प्रतिरोध की एक नई आवाज बन गई थीं।
यह अपने आप में अनोखा प्रतिरोध था। बेखौफ और खूबसूरत। शोख रंगों से सजा। बेलौस, बेबाक और बहादुरी भरा। नाइंसाफी के खिलाफ ईमानदारी और सुर-ताल से भी आवाज। बुलंद अहसास कराती। चोट खाए दिल को सुकून पहुंचाती। पाकिस्तान के सिंध इलाके के सहवान में शहबाज कलंदर की दरगाह पर ऐसा ही अद्भुत दृश्य था। यह मंजर उस जगह नुमाया था, जहां आतंकियों ने अपनी बंदूकों से 88 लोगों को निशाना बना डाला था ( 100 घायलों की संख्या भी शामिल है) लेकिन वे सूफी ( हजरत लाल शहबाज कलंदर) और मुरीदों के बीच न जाने कब से चली आ रही विश्वास की डोर को तोड़ नहीं पाए थे।
कल जहां इस मजार पर खूनी खेल गया था। आज वहां गेरुए सूफी चोगे में खूबसूरत शीमा किरमानी नाच रही थीं। बेखौफ और डर के खिलाफ। दो दिन पहले जिस जगह आईएसआईएस ने 80 लोगों को मार डाला गया हो, वहां इस तरह बेखौफ होकर नाचना आसान नहीं था।
शीमा की इस बहादुरी को पूरे पाकिस्तान में समर्थन मिल रहा है। चारों ओर से इस बहादुर महिला के लिए सम्मान और प्यार उमड़ता दिख रहा है। अपने दुर्लभ साहस, प्रतिबद्धता, एकता के मूल्यों, सहिष्णुता और अभिव्यक्ति की आजादी के पक्ष में जम कर खड़े होने का उनके जज्बे को खुल कर सलाम किया जा रहा है। शीमा के साहस को सलाम करने के लिए सिंध के अलग-अलग हिस्सों के नागरिक वहां जुट आए।
मजार पर आतंकी हमले के खिलाफ लोगों ने जहाज चौक से लेकर मजार तक जुलूस निकाला। जुलूस के अंत में क्लासिकल डांसर और सामाजिक कार्यकर्ता शीमा किरमानी ने अपना जज्बा और जुनून भरा प्रदर्शन किया। सूफियों के पहने जाने वाले चोगे में शीमा डांस कर रही थीं और मजार के कंपाउंड में जुटे बदिन और नंगा फकीर के लोक गायकों की टोली कलंदर की शान में खुली आवाज में गा रहे थे।
हर तरफ गूंज रहा था- ओ लाल मेरी पत रखियो भाला झूले लाल। तेरा सहवान रहे आबाद जैसे गीत के बोल चारो ओर गूंज रहे थे।
किरमानी ने एक्सप्रेस ट्रिब्यून से बात करते हुए कहा कि हमने यह आयोजन आतंक के पैरोकारों को यह बताने के लिए किया था कि हमें नाचने-गाने से कोई नहीं रोक सकता। यह हमारी संस्कृति, हमारी विरासत का हिस्सा है। हम अतिवाद, आतंकवाद और उन्माद के खिलाफ अपने प्रतिरोध की आवाज सुनाना चाहते हैं।
उनका इरादा ‘धमाल’ प्रदर्शन का था। यह एक सूफी नृत्य है जो संत लोग करते थे। धमाल नगाड़ों की धुन पर होता है। यह मगरीब की नमाज के बाद किया जाता है। किरमानी कहती हैं जो लोग दरगाहों की संस्कृति में विश्वास नहीं करते वे इन जगहों पर नहीं आते।
आतंकियों के हमले का विरोध कर रहे लोग बैनर उठाए हुए थे। वे नारे लगा रहे थे- धार्मिक आतंकवाद को खारिज करो। अन्य बैनरों पर निर्दोष लोगों की हत्या पर सरकार से सवाल किए गए थे। विरोध प्रदर्शन में जमा लोगों का कहना है कि कलंदर की दरगाह पर हमला सिंध पर हमला है। इसकी शांति और संस्कृति पर हमला है।
विरोध प्रदर्शन में जावेद काजी, रहीमा पनवार, सादिका सलाहुद्दीन, हसीन मुसरत, नसीम जलबानी, अमर सिंधू, वहीदा महेसर और कई अन्य लोग शामिल थे। इन लोगों ने सिंध प्रांत में चल रहे सेमिनरियों के बारे में अतिरिक्त आईजी सनाउल्लाह अब्बासी की ओर से तैयार रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की मांग कर रहे थे।
किसान अधिकारों के लिए लड़ने वाले पुनहल सरियो ने कहा अफगानिस्तान, बांग्लादेश से आने वाले विदेशी यहां आतंकवाद फैला रहे हैं। वो उनके खिलाफ निर्णायक कदम उठाने की मांग कर रहे थे। उन्होंने 9/11 हमले बाद आतंकवाद के बढ़ते हमले से पाकिस्तान को बचाने में नाकाम रहने के लिए सरकार की आलोचना की।
यह अपने आप में अनोखा प्रतिरोध था। बेखौफ और खूबसूरत। शोख रंगों से सजा। बेलौस, बेबाक और बहादुरी भरा। नाइंसाफी के खिलाफ ईमानदारी और सुर-ताल से भी आवाज। बुलंद अहसास कराती। चोट खाए दिल को सुकून पहुंचाती। पाकिस्तान के सिंध इलाके के सहवान में शहबाज कलंदर की दरगाह पर ऐसा ही अद्भुत दृश्य था। यह मंजर उस जगह नुमाया था, जहां आतंकियों ने अपनी बंदूकों से 88 लोगों को निशाना बना डाला था ( 100 घायलों की संख्या भी शामिल है) लेकिन वे सूफी ( हजरत लाल शहबाज कलंदर) और मुरीदों के बीच न जाने कब से चली आ रही विश्वास की डोर को तोड़ नहीं पाए थे।
कल जहां इस मजार पर खूनी खेल गया था। आज वहां गेरुए सूफी चोगे में खूबसूरत शीमा किरमानी नाच रही थीं। बेखौफ और डर के खिलाफ। दो दिन पहले जिस जगह आईएसआईएस ने 80 लोगों को मार डाला गया हो, वहां इस तरह बेखौफ होकर नाचना आसान नहीं था।
शीमा की इस बहादुरी को पूरे पाकिस्तान में समर्थन मिल रहा है। चारों ओर से इस बहादुर महिला के लिए सम्मान और प्यार उमड़ता दिख रहा है। अपने दुर्लभ साहस, प्रतिबद्धता, एकता के मूल्यों, सहिष्णुता और अभिव्यक्ति की आजादी के पक्ष में जम कर खड़े होने का उनके जज्बे को खुल कर सलाम किया जा रहा है। शीमा के साहस को सलाम करने के लिए सिंध के अलग-अलग हिस्सों के नागरिक वहां जुट आए।
मजार पर आतंकी हमले के खिलाफ लोगों ने जहाज चौक से लेकर मजार तक जुलूस निकाला। जुलूस के अंत में क्लासिकल डांसर और सामाजिक कार्यकर्ता शीमा किरमानी ने अपना जज्बा और जुनून भरा प्रदर्शन किया। सूफियों के पहने जाने वाले चोगे में शीमा डांस कर रही थीं और मजार के कंपाउंड में जुटे बदिन और नंगा फकीर के लोक गायकों की टोली कलंदर की शान में खुली आवाज में गा रहे थे।
हर तरफ गूंज रहा था- ओ लाल मेरी पत रखियो भाला झूले लाल। तेरा सहवान रहे आबाद जैसे गीत के बोल चारो ओर गूंज रहे थे।
किरमानी ने एक्सप्रेस ट्रिब्यून से बात करते हुए कहा कि हमने यह आयोजन आतंक के पैरोकारों को यह बताने के लिए किया था कि हमें नाचने-गाने से कोई नहीं रोक सकता। यह हमारी संस्कृति, हमारी विरासत का हिस्सा है। हम अतिवाद, आतंकवाद और उन्माद के खिलाफ अपने प्रतिरोध की आवाज सुनाना चाहते हैं।
उनका इरादा ‘धमाल’ प्रदर्शन का था। यह एक सूफी नृत्य है जो संत लोग करते थे। धमाल नगाड़ों की धुन पर होता है। यह मगरीब की नमाज के बाद किया जाता है। किरमानी कहती हैं जो लोग दरगाहों की संस्कृति में विश्वास नहीं करते वे इन जगहों पर नहीं आते।
आतंकियों के हमले का विरोध कर रहे लोग बैनर उठाए हुए थे। वे नारे लगा रहे थे- धार्मिक आतंकवाद को खारिज करो। अन्य बैनरों पर निर्दोष लोगों की हत्या पर सरकार से सवाल किए गए थे। विरोध प्रदर्शन में जमा लोगों का कहना है कि कलंदर की दरगाह पर हमला सिंध पर हमला है। इसकी शांति और संस्कृति पर हमला है।
विरोध प्रदर्शन में जावेद काजी, रहीमा पनवार, सादिका सलाहुद्दीन, हसीन मुसरत, नसीम जलबानी, अमर सिंधू, वहीदा महेसर और कई अन्य लोग शामिल थे। इन लोगों ने सिंध प्रांत में चल रहे सेमिनरियों के बारे में अतिरिक्त आईजी सनाउल्लाह अब्बासी की ओर से तैयार रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की मांग कर रहे थे।
किसान अधिकारों के लिए लड़ने वाले पुनहल सरियो ने कहा अफगानिस्तान, बांग्लादेश से आने वाले विदेशी यहां आतंकवाद फैला रहे हैं। वो उनके खिलाफ निर्णायक कदम उठाने की मांग कर रहे थे। उन्होंने 9/11 हमले बाद आतंकवाद के बढ़ते हमले से पाकिस्तान को बचाने में नाकाम रहने के लिए सरकार की आलोचना की।