पैगम्बर मोहम्मद के खिलाफ बीजेपी की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा की टिप्पणी के विरोध में 10 जून को सहारनपुर में प्रदर्शन हुआ था। इसके बाद पुलिस की पिटाई से मोहम्मद अली का हाथ टूट गया था, लेकिन अब कोर्ट ने अली समेत 8 युवकों को बाइज़्ज़त बरी कर दिया है।
पैगंबर मोहम्मद (Prophet Mohammad) के खिलाफ बीजेपी की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा द्वारा की गई टिप्पणी को लेकर 10 जून को जूमे की नमाज के बाद सहारनपुर जामा मस्जिद से घंटाघर तक प्रदर्शन हुआ था इसके बाद पुलिस ने 100 से ज्यादा लड़कों को गिरफ़्तार कर, जेल भेजा था, जबकि 200 से अधिक अज्ञात के खिलाफ मामला दर्ज हुआ था। पुलिस ने लड़कों को गिरफ्तार करने के बाद जमकर पीटा था। जिन लड़कों को पुलिस ने पीटा था उसका वीडियो भी जमकर वायरल हुआ था और खुलासे पर एसएसपी ने जांच के आदेश दिए थे। उन गिरफ्तार युवकों में से 8 को सहारनपुर सीजेएम कोर्ट ने बाइज्जत बरी कर दिया है।
सहारनपुर में युवकों की पिटाई का वीडियो वायरल हो गया था। पहले तो पुलिस पिटाई करने से मना कर दिया था, फिर NDTV की रिपोर्ट के बाद हुए खुलासे से पुलिस की नींद टूटी और मामले की जांच के आदेश दिए गए। जिन लड़कों को पुलिस ने पीटा था, उनमें से आठ लड़कों को सहारनपुर कोर्ट ने बाइज्जत बरी कर दिया है। NDTV की रिपोर्ट के अनुसार, जेल से छूटकर आए मोहम्मद अली का पुलिस की पिटाई से हाथ टूट गया। बेकसूर 18 साल के युवक मोहम्मद अली ने 23 दिन जेल में गुजारे लेकिन क्या उन पुलिस वालों को सजा मिलेगी, जिन्होंने बेकसूर युवकों को बेरहमी से पीटा था?
गौरतलब है कि बीजेपी की पूर्व राष्ट्रीय प्रवक्ता नुपुर शर्मा और दिल्ली बीजेपी के पूर्व नेता नवीन जिंदल ने पैगंबर मोहम्मद पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। इसके बाद यह विवाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैल गया था। अरब देशों सहित दर्जन भर देशों ने इसको लेकर भारत सरकार से आपत्ति दर्ज करवाई थी। नुपुर शर्मा को बीजेपी ने निलंबित कर दिया था, जबकि नवीन जिंदल को पार्टी से निष्कासित कर दिया गया।
खास है कि पिछले माह 10 तारीख को शुक्रवार के दिन दिल्ली, रांची, सहारनपुर और मुरादाबाद सहित पूरे भारत के कई शहरों में विरोध प्रदर्शन हुए थे। दिल्ली में भी नमाज के बाद भारत की सबसे बड़ी मस्जिदों में से एक जामा मस्जिद के बाहर प्रदर्शन हुआ था। प्रदर्शनकारियों ने नुपुर शर्मा की गिरफ्तारी की मांग की थी।
माइनोरिटीज एडवोकेट्स वेलफेयर एसोसिएशन ने की पैरवी
युवकों के अधिवक्ता मोहम्मद अली व बाबर वसीम ने बताया कि पुलिस ने 10 जून को हुए प्रदर्शन में मोहम्मद अली पुत्र राशिद, मेहरात पुत्र शम्सउल, आसिफ पुत्र प्रवेज, कैफ अंसारी पुत्र गुलफाम, सुभान पुत्र नाजिम, उस्मान पुत्र जहांगीर, अब्दुल समद पुत्र फुरकान और साजिद पुत्र फुरकान निवासीगण शहर कोतवाली क्षेत्र को जेल भेजा था। इन सभी अधिवक्ताओं की एसोसिएशन आल इंडिया माइनोरिटीज एडवोकेट्स वेलफेयर से जुड़े अधिवक्ता मोहम्मद अली, बाबर वसीम, सैयद काशिफ़, यूसुफ जमाल आदि ने पैरवी की थी। अधिवक्ताओं ने उक्त 8 लोगों को निर्दोष बताते हुए कोर्ट में प्रार्थना पत्र दाखिल किया था। सीजेएम ने पुलिस को मामले की दोबारा जांच करने के निर्देश दिए थे, जिसमें सभी 8 आरोपी निर्दोष पाए गए। शनिवार को इस मामले में सीजेएम नरेंद्र कुमार ने सुनवाई के बाद सभी आरोपियों को निर्दोष पाते हुए बाइज्जत बरी कर दिया। वकीलों के अनुसार, आरोपी युवकों के परिवार वालों की तरफ से अपने बच्चों की बेगुनाही के सबूत भी दिए गए थे। जिनकी जांच के बाद उन्हें बेगुनाह पाया गया और CRPC के तहत उन्हें क्लीन चिट दे दी गई। रविवार की सुबह 8 लोगों को जेल से रिहा कर दिया गया।
ये 8 बेगुनाह वहीं लोग हैं, जिनकी पुलिस पिटाई का वीडियो वायरल हुआ था। इनमें से किसी का हाथ टूटा तो किसी का पैर। इनकी गिरफ्तारी पर BJP विधायक डॉ. शलभ मणि त्रिपाठी ने यह लिखकर ट्वीट किया था कि यह "बलवाइयों को रिटर्न गिफ्ट" है।
अली बोले बिना किसी अपराध के 22 दिन जेल में बिताएं, इंसाफ चाहिए
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार पीर वाली गली में रहने वाले मोहम्मद अली जेल से रिहा होने के बाद घर पहुंचे। अली बताते हैं,"मैंने जुमे की नमाज अपने घर के पास मस्जिद में पढ़ी। इसके बाद एक्टिवा लेने के लिए एजेंसी की तरफ चले। रास्ते में पुलिस ने पकड़ लिया। थाने में बैठाकर रखा। रात होते ही पिटाई शुरू कर दी। करीब 4 से 5 पुलिसकर्मी लाठियां बरसा रहे थे।" अली के बारे में जानकारी पता करने के लिए थाने पहुंचे चाचा मो साजिद को भी पुलिस ने आरोपी बनाया। उन्हें भी जेल भेज दिया। वे अभी भी जेल में हैं। अली कहते हैं," मैंने 22 दिन बिना किसी अपराध के जेल में बिताए हैं। मुझे इंसाफ मिलना चाहिए।"
पीर वाली गली के ही दूसरे युवक मो. आसिफ और शुभान भी बरी हो गए। आसिफ के अनुसार "वो स्कूटी से जामा मस्जिद की ओर से निकल रहा था। तभी 2 पुलिसकर्मी आए। उन्होंने कुछ नहीं पूछा। बस उन्हें पकड़ लिया। थाने ले जाते हुए बोले कि फुटेज से मिलान कराएंगे। बाद में पिटाई की गई। कहा मैं सिर्फ इतना चाहता हूं कि पिटाई करने वाले पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई होनी चाहिए।" वही शुभान कहते हैं कि वो आसिफ व अली के बारे में पूछने थाने गए थे, पकड़ लिया गया।
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सहारनपुर में युवकों की पिटाई का वीडियो वायरल हो गया था। पहले तो पुलिस पिटाई करने से मना कर दिया था, फिर NDTV की रिपोर्ट के बाद हुए खुलासे से पुलिस की नींद टूटी और मामले की जांच के आदेश दिए गए। जिन लड़कों को पुलिस ने पीटा था, उनमें से आठ लड़कों को सहारनपुर कोर्ट ने बाइज्जत बरी कर दिया है। NDTV की रिपोर्ट के अनुसार, जेल से छूटकर आए मोहम्मद अली का पुलिस की पिटाई से हाथ टूट गया। बेकसूर 18 साल के युवक मोहम्मद अली ने 23 दिन जेल में गुजारे लेकिन क्या उन पुलिस वालों को सजा मिलेगी, जिन्होंने बेकसूर युवकों को बेरहमी से पीटा था?
गौरतलब है कि बीजेपी की पूर्व राष्ट्रीय प्रवक्ता नुपुर शर्मा और दिल्ली बीजेपी के पूर्व नेता नवीन जिंदल ने पैगंबर मोहम्मद पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। इसके बाद यह विवाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैल गया था। अरब देशों सहित दर्जन भर देशों ने इसको लेकर भारत सरकार से आपत्ति दर्ज करवाई थी। नुपुर शर्मा को बीजेपी ने निलंबित कर दिया था, जबकि नवीन जिंदल को पार्टी से निष्कासित कर दिया गया।
खास है कि पिछले माह 10 तारीख को शुक्रवार के दिन दिल्ली, रांची, सहारनपुर और मुरादाबाद सहित पूरे भारत के कई शहरों में विरोध प्रदर्शन हुए थे। दिल्ली में भी नमाज के बाद भारत की सबसे बड़ी मस्जिदों में से एक जामा मस्जिद के बाहर प्रदर्शन हुआ था। प्रदर्शनकारियों ने नुपुर शर्मा की गिरफ्तारी की मांग की थी।
माइनोरिटीज एडवोकेट्स वेलफेयर एसोसिएशन ने की पैरवी
युवकों के अधिवक्ता मोहम्मद अली व बाबर वसीम ने बताया कि पुलिस ने 10 जून को हुए प्रदर्शन में मोहम्मद अली पुत्र राशिद, मेहरात पुत्र शम्सउल, आसिफ पुत्र प्रवेज, कैफ अंसारी पुत्र गुलफाम, सुभान पुत्र नाजिम, उस्मान पुत्र जहांगीर, अब्दुल समद पुत्र फुरकान और साजिद पुत्र फुरकान निवासीगण शहर कोतवाली क्षेत्र को जेल भेजा था। इन सभी अधिवक्ताओं की एसोसिएशन आल इंडिया माइनोरिटीज एडवोकेट्स वेलफेयर से जुड़े अधिवक्ता मोहम्मद अली, बाबर वसीम, सैयद काशिफ़, यूसुफ जमाल आदि ने पैरवी की थी। अधिवक्ताओं ने उक्त 8 लोगों को निर्दोष बताते हुए कोर्ट में प्रार्थना पत्र दाखिल किया था। सीजेएम ने पुलिस को मामले की दोबारा जांच करने के निर्देश दिए थे, जिसमें सभी 8 आरोपी निर्दोष पाए गए। शनिवार को इस मामले में सीजेएम नरेंद्र कुमार ने सुनवाई के बाद सभी आरोपियों को निर्दोष पाते हुए बाइज्जत बरी कर दिया। वकीलों के अनुसार, आरोपी युवकों के परिवार वालों की तरफ से अपने बच्चों की बेगुनाही के सबूत भी दिए गए थे। जिनकी जांच के बाद उन्हें बेगुनाह पाया गया और CRPC के तहत उन्हें क्लीन चिट दे दी गई। रविवार की सुबह 8 लोगों को जेल से रिहा कर दिया गया।
ये 8 बेगुनाह वहीं लोग हैं, जिनकी पुलिस पिटाई का वीडियो वायरल हुआ था। इनमें से किसी का हाथ टूटा तो किसी का पैर। इनकी गिरफ्तारी पर BJP विधायक डॉ. शलभ मणि त्रिपाठी ने यह लिखकर ट्वीट किया था कि यह "बलवाइयों को रिटर्न गिफ्ट" है।
अली बोले बिना किसी अपराध के 22 दिन जेल में बिताएं, इंसाफ चाहिए
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार पीर वाली गली में रहने वाले मोहम्मद अली जेल से रिहा होने के बाद घर पहुंचे। अली बताते हैं,"मैंने जुमे की नमाज अपने घर के पास मस्जिद में पढ़ी। इसके बाद एक्टिवा लेने के लिए एजेंसी की तरफ चले। रास्ते में पुलिस ने पकड़ लिया। थाने में बैठाकर रखा। रात होते ही पिटाई शुरू कर दी। करीब 4 से 5 पुलिसकर्मी लाठियां बरसा रहे थे।" अली के बारे में जानकारी पता करने के लिए थाने पहुंचे चाचा मो साजिद को भी पुलिस ने आरोपी बनाया। उन्हें भी जेल भेज दिया। वे अभी भी जेल में हैं। अली कहते हैं," मैंने 22 दिन बिना किसी अपराध के जेल में बिताए हैं। मुझे इंसाफ मिलना चाहिए।"
पीर वाली गली के ही दूसरे युवक मो. आसिफ और शुभान भी बरी हो गए। आसिफ के अनुसार "वो स्कूटी से जामा मस्जिद की ओर से निकल रहा था। तभी 2 पुलिसकर्मी आए। उन्होंने कुछ नहीं पूछा। बस उन्हें पकड़ लिया। थाने ले जाते हुए बोले कि फुटेज से मिलान कराएंगे। बाद में पिटाई की गई। कहा मैं सिर्फ इतना चाहता हूं कि पिटाई करने वाले पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई होनी चाहिए।" वही शुभान कहते हैं कि वो आसिफ व अली के बारे में पूछने थाने गए थे, पकड़ लिया गया।
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