SKM ने फिर भरी आंदोलन की हुंकार, तीस्ता की गिरफ्तारी के खिलाफ पास किया निंदा प्रस्ताव

Written by Navnish Kumar | Published on: July 4, 2022
संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने एक बार फिर आंदोलन की हुंकार भरी है। रविवार 3 जुलाई को संयुक्त मोर्चा की गाज़ियाबाद एनएच-9 स्थित फार्म पर आयोजित बैठक में अपने ऐतिहासिक किसान आंदोलन की एमएसपी आदि लंबित मांगों को लेकर आंदोलन के नए चरण का ऐलान किया जिसके तहत 31 जुलाई को पूरे देश में चक्का जाम किया जाएगा। 



इससे पहले 18 जुलाई को संसद के मानसून सत्र की शुरुआत से शहीद उधम सिंह शहादत दिवस 31 जुलाई तक 500 जिलों में मोदी सरकार की वादाखिलाफी को लेकर सभाएं की जाएंगी। मोर्चा नेताओं ने कहा कि केंद्र अपने लिखित वादों से मुकर गया है जो विश्वासघात है। "उसने न MSP पर कमेटी बनाई, न ही किसानों पर थोपे फ़र्ज़ी मुकदमे वापस लिये।" इस दौरान किसान नेताओं ने प्रमुख मानवाधिकार कार्यकर्ता व वरिष्ठ पत्रकार तीस्ता सेतलवाड़ तथा अल्ट न्यूज के मो जुबैर आदि की गिरफ़्तारी की निंदा की और प्रस्ताव पारित कर विरोध जताया।

निरस्त हो चुके 3 कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ किसान आंदोलन का नेतृत्व करने वाले संयुक्त मोर्चा ने केंद्र सरकार की वादाखिलाफी पर निराशा जताई है और आरोप लगाया कि केंद्र पिछले साल 9 दिसंबर को किसानों से किए लिखित वादों से पूरी तरह मुकर रहा है। सरकार ने न तो एमएसपी को लेकर कमेटी का गठन किया न ही आंदोलन के दौरान किसानों पर लगाए गए झूठे वादे वापस लिए है। यही नहीं, सरकार बिजली बिल को फिर से संसद में लाने की कोशिश कर रही है तो वही किसानों की सबसे बड़ी मांग, MSP को कानूनी गारंटी देने की, पर विचार को भी तैयार नहीं है।

संयुक्त किसान मोर्चा के मुताबिक, सरकार के इसी वादाखिलाफी के विरोध में 18 जुलाई को, संसद के मॉनसून सत्र की शुरुआत से 31 जुलाई-शहीद उधम सिंह के शहादत दिवस तक...देश भर में जिला स्तर पर वादाखिलाफी विरोधी सभा की जाएगी। जबकि, 31 जुलाई को प्रमुख राजमार्गों पर सुबह 11 बदे से दोपहर 3 बजे तक देशभर में चक्का जाम किया जाएगा। इस कार्यक्रम से आम जनता को असुविधा न हो इसका पूरा ध्यान रखा जाएगा। इसके अलावा अग्निपथ योजना के खिलाफ भी किसान संगठन बेरोजगार युवा और पूर्व सैनिकों को लामबंद करेगा। इस युवा विरोधी स्कीम के खिलाफ 7 अगस्त से 14 अगस्त के बीच देशभर में जय-जवान जय-किसान सम्मेलन आयोजित किए जाएंगे, जिसमें पूर्व सैनिकों और बेरोजगार युवाओं को बुलाया जाएगा।

रविवार को गाजियाबाद में संयुक्त मोर्चे के नेताओं ने किसान आंदोलन के नए चरण का ऐलान किया। कहा- न्यूनतम समर्थन मूल्य MSP की कानूनी गारंटी और अन्य लंबित मांगों को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा 500 जिलों में “वादाखिलाफी विरोधी सभा” आयोजित करेगा और 31 जुलाई को देशभर में मुख्य मार्गों पर चक्का जाम किया जाएगा। बैठक में यह फैसला भी लिया गया कि अग्निपथ योजना के विरुद्ध किसान संगठन, बेरोजगार युवाओं और पूर्व सैनिकों को लामबंद करेगा, क्योंकि यह योजना राष्ट्र-विरोधी और युवा-विरोधी होने के साथ-साथ किसान-विरोधी भी है। अग्निपथ योजना के चरित्र का पर्दाफ़ाश करने के लिए 7 अगस्त से 14 अगस्त के बीच देशभर में “जय-जवान जय-किसान” सम्मेलन आयोजित किए जाएंगे, जिसमें पूर्व सैनिकों और बेरोजगार युवाओं को भी आमंत्रित किया जाएगा।

मोर्चा द्वारा जारी बयान में कहा गया कि लखीमपुर खीरी हत्याकांड के 10 महीने बाद भी अजय मिश्र टेनी का केंद्रीय मंत्रिमंडल में बने रहना देश की कानून व्यवस्था के साथ एक भद्दा मजाक है। संयुक्त किसान मोर्चा शुरू से किसानों को न्याय दिलवाने के लिए प्रतिबद्ध रहा है, और पीड़ित परिवारों को कानूनी व अन्य हर तरह की सहायता देता रहा है। इसी मुद्दे को पुरजोर तरीके से उठाने के लिए आजादी की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर संयुक्त किसान मोर्चा लखीमपुर खीरी में 18-19-20 अगस्त को 75 घंटे का पक्का मोर्चा आयोजित करेगा, जिसमें देश भर से किसान नेता और कार्यकर्ता भाग लेंगे।

खास है कि 13 महीने तक चले ऐतिहासिक किसान आंदोलन की शानदार विरासत के अनुरूप किसान नेताओं ने अपनी लंबित मांगों के साथ ही, पूरे देश-समाज तथा युवाओं के लिए विनाशकारी अग्निपथ योजना तथा देश में लोकतन्त्र पर बढ़ते खतरनाक हमलों के विरुद्ध लड़ाई को भी अपनी बैठक का महत्वपूर्ण एजेंडा बनाया है। बैठक में 15 राज्यों के 200 किसान प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। बैठक में लिए गए एक अन्य महत्वपूर्ण फैसले में पंजाब चुनाव के समय संयुक्त मोर्चे से अलग हुए 16 किसान संगठनों को पुनः मोर्चे में शामिल किया गया। इस तरह विधानसभा चुनावों के समय हुए बिखराव से उबरते हुए संयुक्त किसान मोर्चा ने जहां सांगठनिक जुड़ाव को मजबूती दी है, वहीं SKM के दायरे को बढ़ाने और इसे किसान संगठनों के राष्ट्रीय मंच का स्वरूप देने का भी फैसला किया गया।

संयुक्त किसान मोर्चा मोर्चा नेताओं डॉ. दर्शन पाल, हन्नान मोल्ला, राकेश टिकैत, जोगिंदर सिंह उगराहन, युद्धवीर सिंह, योगेंद्र यादव आदि ने विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि देश के सभी किसान और किसान संगठनों के लिए इसके दरवाजे हमेशा खुले रहेंगे, और आशा व्यक्त की कि इस दमनकारी सरकार के खिलाफ किसानों का संघर्ष और अधिक तीव्र और शक्तिशाली होगा।

क्या है एमएसपी का मामला
स्वामीनाथन आयोग की संस्तुति के अनुरूप C2+ फॉर्मूले के आधार पर MSP सुनिश्चित करने और उसकी कानूनी गारंटी देने का सवाल किसान आंदोलन की सबसे प्रमुख मांग थी, उसे 3 कृषि कानूनों को लाकर मोदी सरकार ने पीछे धकेल दिया था। 3 कृषि कानून वापस करने के लिए मोदी सरकार को बाध्य करने के बाद किसानों ने अपना आंदोलन वापस तभी किया जब सरकार ने MSP पर कमेटी बनाने का लिखित वायदा किया। लेकिन 7 महीने होने को आ रहे हैं, पर सरकार के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही है। वह लगातार बहानेबाजी और टालमटोल कर रही है। 

हाल ही में कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने फिर वही पुराना बहाना दोहराया कि किसान संगठन कमेटी के लिये नाम नहीं दे रहे हैं। जबकि सच्चाई यह है कि संयुक्त किसान मोर्चा पहले दिन से मांग कर रहा है कि कमेटी में कौन कौन शामिल हैं के साथ संदर्भ बताया जाएं। दरअसल यह स्पष्ट किये बिना कमेटी की भूमिका अस्पष्ट है और उसकी उपयोगिता संदिग्ध। आरोप है कि इस तरह कमेटी के नाम पर सरकार MSP की कानूनी गारंटी की मांग को अनन्त काल तक लटकाना चाहती है। कहा कि, यही सब कारण है कि सरकार द्वारा रोजाना रेकॉर्ड खरीद का प्रोपेगंडा हो रहा है, दावा किया जा रहा है कि सरकार ने MSP बढ़ा दिया, लेकिन महंगाई वृद्धि से तुलना करें तो MSP में वास्तव में कोई वृद्धि नहीं हुई है, बल्कि वह पहले से भी कम हो गई है।

मानवाधिकार कार्यकर्ता तीस्ता सेतलवाड़ की गिरफ्तारी के खिलाफ निंदा प्रस्ताव
मोर्चे की बैठक में लिए गए एक प्रस्ताव में किसानों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं व लोकतान्त्रिक आंदोलनों पर बढ़ते राज्य दमन पर गहरी चिंता व्यक्त की गई तथा प्रमुख  सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सेतलवाड़ तथा मो जुबैर की गिरफ्तारी का कड़ा विरोध किया गया। बैठक में संयुक्त किसान मोर्चा उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में किसान नेता आशीष मित्तल के खिलाफ झूठे मुकदमे दर्ज करने, बंगाल के फरक्का में अडानी के हाई-वोल्टेज तार के विरोध में किसानों पर लाठीचार्ज करने और छत्तीसगढ़ में प्रदर्शनकारी किसानों के दमन की निंदा करता है। साथ ही मानवाधिकार कार्यकर्ता तीस्ता सेतलवाड़, पूर्व डीआईजी आरबी श्रीकुमार और मो जुबैर जैसे सामाजिक कार्यकर्ताओं और पत्रकारों की गिरफ्तारी देश भर में लोकतांत्रिक अधिकारों पर बढ़ते दमन का संकेत देती है। कहा संयुक्त किसान मोर्चा इस लोकतांत्रिक संघर्ष में इन सभी कार्यकर्ताओं और संगठनों के साथ खड़ा है।

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