आपको पता भी नहीं और आपके फोन में अपने आप इंस्टॉल हो गया 'कोविड 19 एक्सपोजर'

Written by Girish Malviya | Published on: July 8, 2020
आपको पता भी नही है और आपके फोन में ‘कोविड-19 एक्सपोजर नोटिफिकेशन’ अपने आप इंस्टाल हो गया है। यह कोई एप नहीं है, बल्कि यह आपके एंड्रॉयड और आईफोन के गूगल वाली सेटिंग में आकर जुड़ गया एक टूल है जो आरोग्यसेतु जैसी एप्प के साथ मिलकर काम करने के लिए बनाया गया है। आप भी अपनी फोन की सेटिंग्स में जहाँ गूगल है वहाँ इसे देख सकते हैं।



यह टूल गूगल ओर एप्पल ने मिलकर बनाया है इसलिए एंड्राइड ओर आईफोन दोनों में यह टूल ऑटोमेटिक इंस्टाल हो गया है। आरोग्य सेतु एप्प ने जब पुराने जमाने की ब्लूटूथ टेक्‍नोलॉजी का उपयोग किया तो टेक से जुड़े लोगों ने आश्चर्य प्रकट किया था लेकिन मैं हमेशा कहता हूँ कि इस साइबर संसार मे सब कुछ अमेरिकी कंपनियों के हाथों में ही है। कब ? कैसे ? ओर क्या ? करना है यह GAFA डिसाइड करती है भारत की सरकार तो बस ठप्पा लगाने का काम करती है। आप पूछेंगे कि ये GAFA क्या है यह है Google, Apple, Facebook ओर Amezon..... इंटरनेट पर 85 प्रतिशत ट्रैफिक इन्हीं कम्पनियों के जरिए आ रहा है।

आरोग्यसेतु एप्प जो एक सर्विलांस एप्प है यह एप्प भी इन्ही कंपनियों के निर्देशों के अनुसार डेवलप की गई है और इस एप्प के बेस में भी वही ब्लूटूथ टेक्नोलॉजी का यूज किया गया है जो कोविड-19 एक्सपोजर नोटिफिकेशन के लिए जरूरी बताई जा रही है। आरोग्य सेतु को इस आधार पर डिजाइन किया गया है कि अगर दो मोबाइल फोन एक-दूसरे के ब्लूटूथ रेंज में हैं, तो उनके उपयोगकर्ता एक-दूसरे तक नॉवेल कोरोना वायरस का संक्रमण पहुंचाने के लिए पर्याप्त निकट हैं। लगभग यही इस नए टूल का आधार भी है।

आपको याद होगा कुछ दिनों पहले मॉल्स में इस्तेमाल होने वाले "बीकन' के बारे में पोस्ट।लिखी थी तब ही आपको बताया था कि Google और Apple भी नए "प्राइवेसी प्रोटेक्टिंग" मानकों' के अनुरूप ऐसी टेक्नोलॉजी पर काम कर रहे है जो सर्विलांस के लिए ब्लूटूथ का उपयोग करती है।

कोविड-19 एक्सपोजर नोटिफिकेशन उसी का परिणाम है। इसके जरिये कोई भी कोरोना निगरानी का एप या प्रणाली विकसित कर सकता है। यह तकनीक ब्लूटूथ वायरलेस तकनीक पर आधारित है, जो आपकी अनुमति देने के बाद ही काम करती है। इस तकनीक के जरिए सरकारें आपकी जानकारी जुटाती है कि आप किन-किन लोगों से मिले हैं। जैसे ही आप किसी कोरोना पॉजिटिव शख्स के संपर्क में आते हैं तो यह आपको अलर्ट नोटिफिकेशन देता है। अभी तक लगभग 22 देश इस तकनीक का इस्तेमाल कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग के लिए कर रहे हैं, जिनमें फिलहाल भारत शामिल नहीं है। लेकिन जल्द ही शामिल हो जाएगा। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) भी ऐसा ही एप्प लॉन्च करने जा रहा है जिसमे इस तकनीक का सहारा लिया जाएगा।

मित्र Vijay Shukla जो साइबर एक्सपर्ट है वे बता रहे हैं कि यह कैसे काम करता हैं- "'ये टूल एक #रेंडम_आई_डी आपके फोन में हर 10 से 20 मिनट में अपने आप जेनेरेट करेगा, ये आईडी आपके फोन में सेव रहती है, किसी भी सर्वर पर सेव नहीं होगी.यदि कोई कोविड इन्फेक्टेड है और सरकारी एप (जैसे आरोग्यसेतु ) को पता हो , तब यह टूल उससे परमिशन लेकर उसके पिछले 14 दिन की फोन में सारी रेंडम आईडी सरकारी एप के नजदीकी सर्वर में भेज देगी, और यदि आप पिछले 14 दिनों में कभी भी इस किसी भी आईडी वाले व्यक्ति के आसपास थे तो आपको यह एलर्ट करेगा.......लेकिन इसके लिए ब्लूटूथ ऑन रखना होगा, वरना यह काम नही करेगा. यह भी कहा जा रहा है कि यह खुद से आपकी कोई गतिविधि , कोइ डेटा सेव नहीं करता.न ही आपका लोकेशन शेयर करता है"

यह शुरुआत है। यह ग्लोबल पुलिसिंग की शुरुआत है जहाँ सर्विलांस बेहद जरूरी है जैसे ही कोरोना का वैक्सीन आएगा ओर आपको लगाया जाएगा तो बहुत सम्भव है उसे भी इस टूल से जोड़ दिया जाए। ग्लोबल सिटीजन बनने को तैयार हो जाइए।

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