जातीय समीकरण के साथ अगले लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुटी योगी सरकार

Written by Dr. Amrita Pathak | Published on: March 28, 2022
देश एक गभीर समय में प्रवेश कर चुका है. देश की जनता ‘द कश्मीर फाईल्स’ फिल्म देखने, हिजाब विवाद को तूल देने, और चीन, पकिस्तान को कोसने में लगी रही. इस दौरान हुए चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को कई राज्यों में बहुमत मिला. उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ को एक बार फिर से मुख्यमंत्री बनाया गया. गौरतलब है कि इस बार उत्तर प्रदेश में मंत्रिमंडल  चुनाव को एकबारगी देखने से ऐसा लगता है जैसे इनकी तरफ से लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारी का आगाज कर दिया गया हो. या यूँ कहें कि जातीय समीकरण को साधने की कोशिश कर अगले लोकसभा चुनाव की तैयारी में योगी सरकार जुट गयी है. भाजपा के अपने राजनीतिक एजेंडे और सोच से इतर इस मत्रिमंडल में राज्य भर के सभी वर्गों के प्रतिनिधि को शामिल किया गया है. 



योगी आदित्यनाथ मंत्रिमंडल को लखनऊ के इकाना स्टेडियम में शपथ दिलाई गयी. केशव प्रसाद मौर्य और ब्रिजेश पाठक को उप-मुख्यमंत्री, 16 कैबिनेट मंत्रियों और 20 राज्य मंत्रियों सहित कुल 52 लोगों को शपथ दिलाई गयी. इस मंत्रीमंडल में लगभग सभी समाज के लोगों का ध्यान रखा गया है ताकि लोकसभा चुनाव के समय वोट सुनिश्चित किया जा सके. योगी मत्रीपरिषद् में ओबीसी, दलित, राजपूत, ब्राह्मण, कुर्मी, कायस्थ सिख सहित मुस्लिम समाज के नेताओं को भी तरजीह दी गयी है.

दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि आज के समय में भारतीय राजनीति में संयमित राजनीतिक शैली की जगह नहीं रह गयी है. आज राजनीतिक मर्यादा का पालन नहीं किया जाता है बल्कि आक्रामक राजनीति के दम पर अपनी जगह राजनीति में सुनिश्चित किया जाता है. आज अपशब्द, अव्यवहार, असंवैधानिक वक्तव्य, अराजकता, व् आक्रामकता राजनीति में जगह तय करने का जरिया बन गया है. उत्तर प्रदेश में ब्रजेश पाठक सहित कई नेताओं नें इसी तरह से राजनीति में अपनी जगह बनायी है. कुर्मी समाज के लिए अलग से रणनीति दिखाई दी. बीबीसी से बातचीत के दौरान वरिष्ठ पत्रकार हेमंत तिवारी कहते हैं कि, “2022 के विधान सभा चुनाव में गैर यादव ओबीसी में अकेले कुर्मी जाति ऐसी है जो भाजपा से छिटक रही थी इसलिए इस जाति से तीन कैबिनेट मंत्री बनाए गए हैं. राकेश सचान वो नेता हैं जो जीवन भर समाजवादी पार्टी की राजनीति करते रहे, बीजीपी में वो नए हैं, बावजूद इसके उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया है. 2024 के लोकसभा चुनाव को देखते हुए भाजपा नें ऐसे कई चेहरों की मदद से कुर्मी समाज में सेंध लगाने की कोशिश की है”. दलित समाज की आगरा ग्रामीण क्षेत्र से विधायक बेबो रानी मौर्य को भाजपा द्वारा मंत्री पद की शपथ दिलाकर दलित और महिला समाज को एक साथ साधने की कोशिश की गयी है. 

इस बार योजनाबद्ध तरीके से उतर प्रदेश के लगभग सभी क्षेत्र से और सभी समाज को मंत्रीमंडल में तरजीह दी गयी है. योगी सरकार नें पश्चिमी उतर प्रदेश के जातिगत प्रतिनिधित्व को पूरा करने की भरसक कोशिश की है. खास तौर पर बागपत एवं मुजफ्फरनगर जैसे क्षेत्र में जहाँ किसान आन्दोलन की गूंज रही थी वहां के विधायकों को मंत्रीपरिषद् में जगह देकर  भविष्य की मंशा को उजागर किया है. हालाँकि किसान आन्दोलन के प्रभाव वाले क्षेत्र में भी भाजपा नें काफी अच्छा प्रदर्शन किया है बावजूद इसके इस क्षेत्र से एक कैबिनेट मंत्री, तीन राज्य मन्त्री स्वतंत्र प्रभार और 7 राज्यमंत्री बनाए गए हैं. इनकी यह तैयारी 2024 के लोकसभा चुनाव के प्रति इनकी रणनीति को दिखाता है. भाजपा द्वारा की गयी ये सारी कवायत क्षेत्रीय, जातीय संतुलन बनाने के लिए की गयी है जिसका इस्तेमाल 2024 के चुनाव में भाजपा सरकार करेगी.  

भाजपा जिस जातीय राजनीति को साध कर चुनावी बिगुल लगातार फूंक रही है उसकी शुरुआत देश की क्षेत्रीय पार्टियों के द्वारा किया गया है. कुछ अपवाद को छोड़ दें तो नताओं द्वारा सम्बंधित समाज की भागीदारी और कल्याण के नाम पर शुरू किया गया प्रयास अंततः भाजपा के साथ साझेदारी पर ही ख़त्म हुई है. जाति भारत की सच्चाई है लेकिन केवल जाति आधारित राजनीति ब्राह्मणवादी सोच और मनुवादी नजरिए को ही सहयोग करेगा. 

लोकतान्त्रिक परंपरा संवाद, सहयोग और संयमता के लिए जाना जाता है जिसे राजनीतिक मर्यादा भी कहते हैं. आज उसे ख़त्म किया जा रहा है. संविधान को सड़कों पर जलाया जा रहा है. भय का माहौल समाज में कायम किया जा रहा है और यह सब महज एक इतेफाक नहीं है यह आने वाले समय में संघ और बीजीपी के एजेंडे का हिस्सा है जिसमें भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने और देशवासियों को एकल सत्ता में रहने को प्रेरित किया जा रहा है. ये हालात किसी भी धर्मनिरपेक्ष लोकतान्त्रिक देश के लिए खतरनाक है.

बाकी ख़बरें