कोरोना की लहर सुनामी की तरह रफ़्तार पकड़ रही है और दुनिया भर के सभी देश इसकी चपेट में आ रहे हैं. कोरोना से आज तक दुनिया भर में लगभग 54,403,596 मौतें हुई हैं जिनमें 482,551 मौतें केवल भारत में दर्ज की गयी हैं. कोरोना महामारी का काल किसी के लिए बर्बादी तो किसी के लिए सुनहरे अवसर लेकर आया है. कोरोना संकट से भारत में एक तरफ 84 प्रतिशत परिवारों की आय घट गयी है, लाखों बच्चे अनाथ हो चुके हैं तो दूसरी तरफ पिछले एक साल में 40 नए अरबपतियों की संख्या में बढ़ोतरी हो गयी है. आर्थिक असमानता, गरीबी से परेशान देश और यतीम होते बच्चों के सामने अरबपतियों की बढती संख्या, भारत के माथे पर कलंक की तरह है. हालाँकि भारत सरकार इन सब से बेखबर होकर चुनावी रैलियां करने और उन्मादी माहौल तैयार करने वालों को सह देने में मशगूल है.
धार्मिक उन्मादी माहौल में उलझा देश इस बात से बेखबर है कि भारत की बहुसंख्यक आबादी की आय में तेजी से गिरावट आ रही है. चंद अरबपतियों का देश के अधिकांश संपत्ति पर कब्ज़ा हो चूका है. इन तथ्यों की पुष्टि ऑक्सफेम की “इनइक्वैलिटी किल्स” रिपोर्ट से होती है. भारत के लिए इस रिपोर्ट के निष्कर्ष यह बताते हैं कि कोरोना महामारी का काल चंद अमीर बर्ग के लिए अंधाधुंध कमाई का अवसर बनकर आई है तो दूसरी तरफ अधिकांश आबादी के लिए यह आर्थिक बर्बादी और तबाही का सबब बन कर आई है.
वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (World Economic Forum) के सालाना शिखर सम्मलेन से ठीक पहले जारी हुई रिपोर्ट के अनुसार भारत में 2021 के दौरान 40 नए अरबपति बढ़ चुके हैं. इनकी संख्या अब 102 से बढ़ कर 142 हो चुकी है. इन 142 अरबपतियों की कुल दौलत इस दौरान बढ़ कर 720 बिलियन डालर पर पहुँच चुकी है. यानि अरबपतियों की संख्यां में 39 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. यह देश के 40 फीसदी गरीब आबादी की कुल सम्पति से ज्यादा है. 142 अरबपतियों में दो अरबपतियों अडानी और अंबानी की सम्पति तो एक साल में कई गुना तक बढ़ गयी है. इस रिपोर्ट के अनुसार दुनिया के अमीरों की सूची में गौतम अडानी 24वें स्थान पर हैं, जबकि भारत में वे दुसरे स्थान पर हैं. 2020 में उनकी सम्पति 8.9 अरब डालर थी जो 2021 में बढ़ कर 50.5 अरब डालर हो गयी. इस तरह एक साल में उनकी सम्पति में आठ गुना की बढ़ोतरी हुई. इसी समय (साल 2021) में मुकेश अंबानी की सम्पति में दोगुनी वृद्धि होकर 85.5 अरब डालर तक पहुच गयी जो 2020 में 36.8 अरब डालर थी.
आलम यह है कि गरीबी, भुखमरी और असमानता झेल रहे भारत देश में चीन और अमेरिका के बाद सबसे अधिक अरबपति निवास करते हैं फ्रांस, स्वीडन और स्वीटजरलैंड देशों को मिलाकर जितने अरबपति हैं उनसे ज्यादा अकेले भारत में हैं. एक तरफ अरबपतियों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि हो रही है तो दूसरी तरफ देश की बहुसंख्यक आबादी की आय में तेजी से गिरावट दर्ज हुई है. साथ ही सरकार द्वारा अधिकांश आबादी के लिए चलाए जा रहे कल्याण योजनाओं में किए जा रहे खर्चे में भी तेजी से कमी आई है. रिपोर्ट बताती है कि भारत के 84 प्रतिशत परिवारों की आय घटी है. 16 प्रतिशत में 13 फीसदी लोगों की आय स्थिर बनी हुई है यानि सिर्फ 3 प्रतिशत लोगों की आय इस दौरान तेजी से बढ़ी है. इस रिपोर्ट के अनुसार इस बीच 4.6 करोड़ भारतीय भयानक गरीबी के शिकार हुए हैं.
कोरोना काल के सितम ने एक तरफ गरीबी और असमानता को बढ़ाया है तो दूसरी तरफ भारत के लाखों बच्चे यतीम हो चुके हैं. ऑक्सफेम की रिपोर्ट असमानता की गवाह है तो राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दायर किए हलफनामे में बतलाया गया है कि कोरोना काल में 1.47 लाख बच्चों के सर से माता पिता का साया उठ चुका है. NCPCR के हलफनामें में बताया गया है कि महामारी के दौरान 2021 से 11 जनवरी 2022 तक 10 हजार 94 बच्चे पूरी तरह से अनाथ हो गए. वहीं 1 लाख 36 हजार 910 बच्चे ऐसे हैं जिन्होंने अपने माता या पिता में से किसी एक को खो दिया है जबकि 488 बच्चे पूरी तरह से बेसहारा हो चुके हैं. कोरोना महामारी के दौरान अनाथ होने वाले सबसे ज्यादा बच्चे ओडिशा से हैं जिसकी संख्या 24,505 है. यह जानकारी आयोग को राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की ओर से बाल स्वराज पोर्टल कोविड केयर ने दी थी.
देश में अरबपतियों की संख्या और उनकी दौलत ऐसे समय में बढ़ी है जब कोरोना महामारी के चलते न सिर्फ लाखों लोगों की जान चली गयी है, लाखों बच्चे अनाथ हो गए हैं बल्कि इसने करोड़ों लोगों की आर्थिक स्थिति को बिगाड़ कर रख दिया है. बेरोजगारी बेतहाशा बढ़ चुकी है. भुखमरी चरम पर पहुँच चुकी है. ऑक्सफेम इंडिया के सीईओ ने बताया कि असामनता केवल भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में बढ़ी है. अभी आलम यह है कि आर्थिक असमानता के कारण हर रोज कम से कम 21 हजार लोगों की जानें जा रही है. यानि की असमानता के कारण हर 4 सेकेण्ड पर एक मौतें हो रही हैं.
हालाँकि कोरोना महामारी की तीसरी लहर और ओमिक्रोन के भयावह परिणाम के बावजूद भी एक्टर अपनी एक्टिंग कर रहे हैं, क्रिकेटर मैदान में खेलने में मस्त हैं, नेता अपनी रैलियों में व्यस्त हैं और आम जनता प्रतिदिन घर में बैठकर कोरोना को मात देने की जुगत कर रही है.
कोरोना काल में आंकड़ों का यह गुणा गणित अमीरों को और अमीर व् गरीबों को बेतहाशा गरीब बना चुका है. ऐसे हालात में वक्त रहते अगर सरकारी दखलंदाजी नहीं हुई तो देश या तो आर्थिक गुलामी का दंश झेलेगी या फिर गृह युद्ध की तैयारी कर रही होगी.
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वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (World Economic Forum) के सालाना शिखर सम्मलेन से ठीक पहले जारी हुई रिपोर्ट के अनुसार भारत में 2021 के दौरान 40 नए अरबपति बढ़ चुके हैं. इनकी संख्या अब 102 से बढ़ कर 142 हो चुकी है. इन 142 अरबपतियों की कुल दौलत इस दौरान बढ़ कर 720 बिलियन डालर पर पहुँच चुकी है. यानि अरबपतियों की संख्यां में 39 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. यह देश के 40 फीसदी गरीब आबादी की कुल सम्पति से ज्यादा है. 142 अरबपतियों में दो अरबपतियों अडानी और अंबानी की सम्पति तो एक साल में कई गुना तक बढ़ गयी है. इस रिपोर्ट के अनुसार दुनिया के अमीरों की सूची में गौतम अडानी 24वें स्थान पर हैं, जबकि भारत में वे दुसरे स्थान पर हैं. 2020 में उनकी सम्पति 8.9 अरब डालर थी जो 2021 में बढ़ कर 50.5 अरब डालर हो गयी. इस तरह एक साल में उनकी सम्पति में आठ गुना की बढ़ोतरी हुई. इसी समय (साल 2021) में मुकेश अंबानी की सम्पति में दोगुनी वृद्धि होकर 85.5 अरब डालर तक पहुच गयी जो 2020 में 36.8 अरब डालर थी.
आलम यह है कि गरीबी, भुखमरी और असमानता झेल रहे भारत देश में चीन और अमेरिका के बाद सबसे अधिक अरबपति निवास करते हैं फ्रांस, स्वीडन और स्वीटजरलैंड देशों को मिलाकर जितने अरबपति हैं उनसे ज्यादा अकेले भारत में हैं. एक तरफ अरबपतियों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि हो रही है तो दूसरी तरफ देश की बहुसंख्यक आबादी की आय में तेजी से गिरावट दर्ज हुई है. साथ ही सरकार द्वारा अधिकांश आबादी के लिए चलाए जा रहे कल्याण योजनाओं में किए जा रहे खर्चे में भी तेजी से कमी आई है. रिपोर्ट बताती है कि भारत के 84 प्रतिशत परिवारों की आय घटी है. 16 प्रतिशत में 13 फीसदी लोगों की आय स्थिर बनी हुई है यानि सिर्फ 3 प्रतिशत लोगों की आय इस दौरान तेजी से बढ़ी है. इस रिपोर्ट के अनुसार इस बीच 4.6 करोड़ भारतीय भयानक गरीबी के शिकार हुए हैं.
कोरोना काल के सितम ने एक तरफ गरीबी और असमानता को बढ़ाया है तो दूसरी तरफ भारत के लाखों बच्चे यतीम हो चुके हैं. ऑक्सफेम की रिपोर्ट असमानता की गवाह है तो राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दायर किए हलफनामे में बतलाया गया है कि कोरोना काल में 1.47 लाख बच्चों के सर से माता पिता का साया उठ चुका है. NCPCR के हलफनामें में बताया गया है कि महामारी के दौरान 2021 से 11 जनवरी 2022 तक 10 हजार 94 बच्चे पूरी तरह से अनाथ हो गए. वहीं 1 लाख 36 हजार 910 बच्चे ऐसे हैं जिन्होंने अपने माता या पिता में से किसी एक को खो दिया है जबकि 488 बच्चे पूरी तरह से बेसहारा हो चुके हैं. कोरोना महामारी के दौरान अनाथ होने वाले सबसे ज्यादा बच्चे ओडिशा से हैं जिसकी संख्या 24,505 है. यह जानकारी आयोग को राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की ओर से बाल स्वराज पोर्टल कोविड केयर ने दी थी.
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हालाँकि कोरोना महामारी की तीसरी लहर और ओमिक्रोन के भयावह परिणाम के बावजूद भी एक्टर अपनी एक्टिंग कर रहे हैं, क्रिकेटर मैदान में खेलने में मस्त हैं, नेता अपनी रैलियों में व्यस्त हैं और आम जनता प्रतिदिन घर में बैठकर कोरोना को मात देने की जुगत कर रही है.
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