उत्तर प्रदेश के बदायूं में महिला के साथ निर्भया जैसी विभत्स हैवानियत को दोहराए जाने का मामला सामने आया है। पूजा करने गई अधेड़ महिला आंगनबाड़ी सहायिका की गैंगरेप के बाद हत्या कर दी गई। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में महिला के गुप्तांग में रॉड जैसी कोई चीज डालने का मामला सामने आया है। उसकी बाईं पसली, बायां पैर और बायां फेफड़ा भी वजनदार प्रहार से क्षतिग्रस्त कर दिया गया। पीएम रिपोर्ट में महिला की मौत की वजह अधिक रक्तस्राव व सदमा लगने से होना सामने आई है।
परिजनों की तहरीर पर पुलिस ने मंदिर के महंत समेत उसके एक चेले व ड्राइवर के खिलाफ गैंगरेप के बाद हत्या का मुकदमा दर्ज किया है। एक आरोपी पकड़ा गया है जबकि दो अभी फरार हैं। एसएसपी संकल्प शर्मा ने लापरवाही बरतने के आरोप में थानाध्यक्ष राघवेंद्र प्रताप सिंह को निलंबित कर दिया है।
मानवीयता को झकझोरने वाली यह सनसनीखेज वारदात उघैती थाना क्षेत्र के एक गांव की है। यहां गांव की एक महिला पास के गांव स्थित एक मंदिर पर रविवार की शाम को गई थी। इसके बाद वो लौट कर नहीं आई। स्थानीय लोगों का आरोप है कि रात करीब 12 बजे एक कार सवार और दो अन्य शख्स महिला को लहूलुहान हालत में छोड़कर भाग गए। महिला की रात में ही मौत हो गई। बताया जाता है कि इससे पहले आरोपी महंत आदि महिला को अपनी गाड़ी से इलाज के लिए चंदौसी भी ले गए थे।
परिजनों ने सामूहिक दुष्कर्म के बाद हत्या का आरोप लगाया लेकिन उघैती के थानेदार रावेंद्र प्रताप सिंह ने परिजनों की फरियाद सुनना तो दूर घटनास्थल का मौका मुआयना तक नहीं किया। सोमवार की दोपहर 18 घंटे बाद लाश पोस्टमार्टम के लिए भेजी गई। महिला डॉक्टर समेत तीन डॉक्टरों के पैनल ने पोस्टमार्टम किया। शाम को रिपोर्ट आई तो पता चला कि महिला के प्राइवेट पार्ट में गंभीर घाव थे। काफी खून भी निकल गया था। रिपोर्ट में कोई लोहे की रॉड या सब्बल गुप्तांग में ठूंसे जाने की बात भी सामने आई। पोस्टमार्टम रिपोर्ट देख अफसर भी हैरत में हैं। आरोपी बाबा सत्य नारायण, उसका चेला वेदराम व ड्राइवर जसपाल को पकड़ने के लिए पुलिस दबिश दे रही है।
परिजनों ने उघैती थाना पुलिस को पूरे मामले की जानकारी दी, लेकिन पुलिस परिजनों को गुमराह कर थाने के चक्कर कटवाती रही। पुलिस ने पहले तो आंगनबाड़ी सहायिका की गैंगरेप के बाद हत्या की घटना को झूठा बताकर कुएं में गिरने से मौत होने की बात कही। आला अधिकारियों के संज्ञान में आने व मीडिया में मामला आने के बाद पुलिस ने आंगनबाड़ी सहायिका के घर वालों की तहरीर पर महंत सत्यनारायण, चेला वेदराम व ड्राइवर जसपाल के खिलाफ गैंगरेप के बाद हत्या की धाराओं में केस दर्ज किया, लेकिन पुलिस ने 4 जनवरी को आंगनबाड़ी सहायिका के शव का पोस्टमॉर्टम न कराकर 5 जनवरी को करीब 48 घन्टे बाद कराया। सवाल उठता है कि पुलिस ने गैंगरेप के बाद हत्या की वारदात में इतनी बड़ी लापरवाही क्यों की। परिजनों की तहरीर पर मामला तत्काल दर्ज कर शव का पोस्टमॉर्टम क्यों नहीं कराया गया। क्या पुलिस महंत व उसके साथियों को बचाना चाहती थी?
हालांकि गैंगरेप के बाद हत्या के मामले में लापरवाही बरतने व घटना को दबाने के मामले में थानाध्यक्ष राघवेंद्र प्रताप सिंह को एसएसपी संकल्प शर्मा ने निलंबित कर दिया है। थानाध्यक्ष ने पुलिस के आलाधिकारी को ग़ुमराह करते हुए बताया था की महिला की कुएं में गिरने से मौत हुई है, लेकिन ग्रामीणों व परिजनों के हंगामे के बाद थानाध्यक्ष की लापरवाही उजगार हुई। जब एसएसपी संकल्प शर्मा ने थानाध्यक्ष को निलंबित कर कार्यवाई की है।
हाथरस कांड जैसी घटनाओं के बाद भी उत्तर प्रदेश में महिलाओं के प्रति गंभीर अपराध भी रुकने का नाम नहीं ले रहे है। योगी सरकार के तमाम दावों और मिशन शक्ति व बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ जैसे सरकारी अभियानों के बावजूद महिलाओं पर अपराध बढ़ते जा रहे हैं। 2020 महिलाओं के लिए बुरा साल साबित हुआ। ये बात खुद राष्ट्रीय महिला आयोग के आंकड़ों से जाहिर हुई है। लेकिन 2021 की जनवरी में भी ऐसे गंभीर मामले सामने आ रहे हैं। पुलिस लापरवाही पर भी ध्यान देने की जरूरत है।
परिजनों की तहरीर पर पुलिस ने मंदिर के महंत समेत उसके एक चेले व ड्राइवर के खिलाफ गैंगरेप के बाद हत्या का मुकदमा दर्ज किया है। एक आरोपी पकड़ा गया है जबकि दो अभी फरार हैं। एसएसपी संकल्प शर्मा ने लापरवाही बरतने के आरोप में थानाध्यक्ष राघवेंद्र प्रताप सिंह को निलंबित कर दिया है।
मानवीयता को झकझोरने वाली यह सनसनीखेज वारदात उघैती थाना क्षेत्र के एक गांव की है। यहां गांव की एक महिला पास के गांव स्थित एक मंदिर पर रविवार की शाम को गई थी। इसके बाद वो लौट कर नहीं आई। स्थानीय लोगों का आरोप है कि रात करीब 12 बजे एक कार सवार और दो अन्य शख्स महिला को लहूलुहान हालत में छोड़कर भाग गए। महिला की रात में ही मौत हो गई। बताया जाता है कि इससे पहले आरोपी महंत आदि महिला को अपनी गाड़ी से इलाज के लिए चंदौसी भी ले गए थे।
परिजनों ने सामूहिक दुष्कर्म के बाद हत्या का आरोप लगाया लेकिन उघैती के थानेदार रावेंद्र प्रताप सिंह ने परिजनों की फरियाद सुनना तो दूर घटनास्थल का मौका मुआयना तक नहीं किया। सोमवार की दोपहर 18 घंटे बाद लाश पोस्टमार्टम के लिए भेजी गई। महिला डॉक्टर समेत तीन डॉक्टरों के पैनल ने पोस्टमार्टम किया। शाम को रिपोर्ट आई तो पता चला कि महिला के प्राइवेट पार्ट में गंभीर घाव थे। काफी खून भी निकल गया था। रिपोर्ट में कोई लोहे की रॉड या सब्बल गुप्तांग में ठूंसे जाने की बात भी सामने आई। पोस्टमार्टम रिपोर्ट देख अफसर भी हैरत में हैं। आरोपी बाबा सत्य नारायण, उसका चेला वेदराम व ड्राइवर जसपाल को पकड़ने के लिए पुलिस दबिश दे रही है।
परिजनों ने उघैती थाना पुलिस को पूरे मामले की जानकारी दी, लेकिन पुलिस परिजनों को गुमराह कर थाने के चक्कर कटवाती रही। पुलिस ने पहले तो आंगनबाड़ी सहायिका की गैंगरेप के बाद हत्या की घटना को झूठा बताकर कुएं में गिरने से मौत होने की बात कही। आला अधिकारियों के संज्ञान में आने व मीडिया में मामला आने के बाद पुलिस ने आंगनबाड़ी सहायिका के घर वालों की तहरीर पर महंत सत्यनारायण, चेला वेदराम व ड्राइवर जसपाल के खिलाफ गैंगरेप के बाद हत्या की धाराओं में केस दर्ज किया, लेकिन पुलिस ने 4 जनवरी को आंगनबाड़ी सहायिका के शव का पोस्टमॉर्टम न कराकर 5 जनवरी को करीब 48 घन्टे बाद कराया। सवाल उठता है कि पुलिस ने गैंगरेप के बाद हत्या की वारदात में इतनी बड़ी लापरवाही क्यों की। परिजनों की तहरीर पर मामला तत्काल दर्ज कर शव का पोस्टमॉर्टम क्यों नहीं कराया गया। क्या पुलिस महंत व उसके साथियों को बचाना चाहती थी?
हालांकि गैंगरेप के बाद हत्या के मामले में लापरवाही बरतने व घटना को दबाने के मामले में थानाध्यक्ष राघवेंद्र प्रताप सिंह को एसएसपी संकल्प शर्मा ने निलंबित कर दिया है। थानाध्यक्ष ने पुलिस के आलाधिकारी को ग़ुमराह करते हुए बताया था की महिला की कुएं में गिरने से मौत हुई है, लेकिन ग्रामीणों व परिजनों के हंगामे के बाद थानाध्यक्ष की लापरवाही उजगार हुई। जब एसएसपी संकल्प शर्मा ने थानाध्यक्ष को निलंबित कर कार्यवाई की है।
हाथरस कांड जैसी घटनाओं के बाद भी उत्तर प्रदेश में महिलाओं के प्रति गंभीर अपराध भी रुकने का नाम नहीं ले रहे है। योगी सरकार के तमाम दावों और मिशन शक्ति व बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ जैसे सरकारी अभियानों के बावजूद महिलाओं पर अपराध बढ़ते जा रहे हैं। 2020 महिलाओं के लिए बुरा साल साबित हुआ। ये बात खुद राष्ट्रीय महिला आयोग के आंकड़ों से जाहिर हुई है। लेकिन 2021 की जनवरी में भी ऐसे गंभीर मामले सामने आ रहे हैं। पुलिस लापरवाही पर भी ध्यान देने की जरूरत है।