कर्नाटक में जो कुछ हो रहा है वह कई दिनों से है। उम्मीद की जा रही थी कि सरकार अपने आप गिर जाएगी और गिरते जाने की खबर आपको मिल रही थी। विधायक इस्तीफा किसी लालच में ही दे रहे होंगे पर यह सब नहीं बताने वाले अखबार आज मंत्रियों के इस्तीफे दिलाकर सरकार बचाने की अंतिम कोशिश की खबर (दैनिक जागरण) दे रहे हैं पर विधायकों ने इस्तीफा किसी लालच में दिया या उसके क्या कारण हो सकते हैं इसपर अटकल अमूमन अखबारों में नहीं रहे। विधायकों को पांच सितारा होटलों में रहने और यहां - वहां करने का पैसा कोई तो दे ही रहा होगा और सरकार से अलग होने वाले मंत्री अगर भाजपा को समर्थन देने की घोषणा कर रहे हैं तो मामला सिर्फ सरकार से संबंधित नहीं है।
भले ही केंद्रीय रक्षा मंत्री ने कहा है कि इस मामले से भाजपा का कोई लेना-देना नहीं है (अमर उजाला)। तथ्य यह है कि, मुख्यमंत्री विदेश में थे और लग रहा था कि सरकार गिर ही जाएगी। उसके बाद जो हो सकता था वह हमलोग जानते हैं। आज इंडियन एक्सप्रेस की खबर का फ्लैग शीर्षक है, भाजपा ने मुख्यमंत्री से इस्तीफा मांगा, कहा उन्होंने बहुमत खो दिया है। इंडियन एक्सप्रेस का मुख्य शीर्षक अगर हिन्दी में होता तो कुछ इस प्रकार होता, कर्नाटक में सरकार बनाने या गिरने का समय गठजोड़ के मंत्रियों ने पुनर्गठन संभव करने, बने रहने के लिए इस्तीफा दिया। दो स्वतंत्र विधायकों ने मंत्री पद से इस्तीफा दिया। कुमार स्वामी अपनी सरकार बचाने की कोशिश में, कहा कोई डर नहीं। दूसरे अखबारों ने इसी बात को दांव, कवायद से लेकर अंतिम कोशिश तक लिखा है।
इस तरह, कहा जा सकता है कि कर्नाटक की कांग्रेस-जदएस गठबंधन सरकार के समर्थक विधायकों के किसी कारण या अकारण इस्तीफे से संकट में आई सरकार ने तय किया कि असंतुष्ट विधायकों को अपने साथ लाने के लिए पहले सभी मंत्रियों का इस्तीफा कराया जाए और फिर बाद में बागियों को मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया जाए। इसी रणनीति के तहत सोमवार को कांग्रेस के सभी मंत्रियों ने स्वैच्छिक रूप से त्यागपत्र दे दिया है। ऐसे में क्या होगा - क्या नहीं कहा नहीं जा सकता है। इस्तीफों पर फैसला राज्यपाल को आज करना है। पर खबरें दिलचस्प हैं। और हिन्दी अखबारों में एक्सप्रेस की तरह शीर्षक नहीं है कि भाजपा ने इस्तीफा मांगा या इस्तीफा देने वाले विधायकों ने भाजपा को समर्थन दिया (अमर उजाला)। आज खबर यह है कि मंत्री बनाने का लालच देकर सरकार बचाने की कोशिश हो रही है।
कुल मिलाकर, खबरों से लग रहा है कि अभी तक जो हो रहा था वह अपने आप हो रहा था और अब मुख्यमंत्री अपनी सरकार बचाने की नाजायज या अनुचित कोशिश में लग गए हैं और इसके लिए बिना लालच इस्तीफा देने वाले विधायकों को मंत्री बनाने का अनुचित लालच दे रहे हैं।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार, अनुवादक व मीडिया समीक्षक हैं।)
भले ही केंद्रीय रक्षा मंत्री ने कहा है कि इस मामले से भाजपा का कोई लेना-देना नहीं है (अमर उजाला)। तथ्य यह है कि, मुख्यमंत्री विदेश में थे और लग रहा था कि सरकार गिर ही जाएगी। उसके बाद जो हो सकता था वह हमलोग जानते हैं। आज इंडियन एक्सप्रेस की खबर का फ्लैग शीर्षक है, भाजपा ने मुख्यमंत्री से इस्तीफा मांगा, कहा उन्होंने बहुमत खो दिया है। इंडियन एक्सप्रेस का मुख्य शीर्षक अगर हिन्दी में होता तो कुछ इस प्रकार होता, कर्नाटक में सरकार बनाने या गिरने का समय गठजोड़ के मंत्रियों ने पुनर्गठन संभव करने, बने रहने के लिए इस्तीफा दिया। दो स्वतंत्र विधायकों ने मंत्री पद से इस्तीफा दिया। कुमार स्वामी अपनी सरकार बचाने की कोशिश में, कहा कोई डर नहीं। दूसरे अखबारों ने इसी बात को दांव, कवायद से लेकर अंतिम कोशिश तक लिखा है।
इस तरह, कहा जा सकता है कि कर्नाटक की कांग्रेस-जदएस गठबंधन सरकार के समर्थक विधायकों के किसी कारण या अकारण इस्तीफे से संकट में आई सरकार ने तय किया कि असंतुष्ट विधायकों को अपने साथ लाने के लिए पहले सभी मंत्रियों का इस्तीफा कराया जाए और फिर बाद में बागियों को मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया जाए। इसी रणनीति के तहत सोमवार को कांग्रेस के सभी मंत्रियों ने स्वैच्छिक रूप से त्यागपत्र दे दिया है। ऐसे में क्या होगा - क्या नहीं कहा नहीं जा सकता है। इस्तीफों पर फैसला राज्यपाल को आज करना है। पर खबरें दिलचस्प हैं। और हिन्दी अखबारों में एक्सप्रेस की तरह शीर्षक नहीं है कि भाजपा ने इस्तीफा मांगा या इस्तीफा देने वाले विधायकों ने भाजपा को समर्थन दिया (अमर उजाला)। आज खबर यह है कि मंत्री बनाने का लालच देकर सरकार बचाने की कोशिश हो रही है।
कुल मिलाकर, खबरों से लग रहा है कि अभी तक जो हो रहा था वह अपने आप हो रहा था और अब मुख्यमंत्री अपनी सरकार बचाने की नाजायज या अनुचित कोशिश में लग गए हैं और इसके लिए बिना लालच इस्तीफा देने वाले विधायकों को मंत्री बनाने का अनुचित लालच दे रहे हैं।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार, अनुवादक व मीडिया समीक्षक हैं।)