छोटी स्कर्ट पहनना और उत्तेजक नृत्य करना अश्लील कृत्य नहीं: बॉम्बे हाईकोर्ट

Written by sabrang india | Published on: October 16, 2023
बॉम्बे हाईकोर्ट ने नागपुर स्थित एक रिसॉर्ट के बैंक्वेट हॉल में आयोजित एक कार्यक्रम के संबंध में पुलिस द्वारा दर्ज मामले को ख़ारिज करते हुए कहा है कि कौन सा कृत्य अश्लीलता के दायरे में आ सकता है, इस बारे में एक संकीर्ण दृष्टिकोण रखना, एक प्रतिगामी कृत्य होगा। हम मामले में प्रगतिशील दृष्टिकोण अपनाना पसंद करेंगे।



बॉम्बे हाईकोर्ट ने नागपुर के तिरखुरा में एक रिसॉर्ट के बैंक्वेट हॉल में आयोजित एक कार्यक्रम के संबंध में पुलिस द्वारा दर्ज मामले को खारिज करते हुए कहा है कि छोटी स्कर्ट पहनना, उत्तेजक नृत्य करना या इशारे करना ‘अश्लील’ कृत्य नहीं माना जा सकता है, जो जनता को परेशान कर सकता है।

एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, हाईकोर्ट की नागपुर पीठ के आदेश के अनुसार, बीते मई महीने में एक पुलिस टीम ने तिरखुरा में टाइगर पैराडाइज रिसॉर्ट और वाटर पार्क पर छापा मारकर छह महिलाओं को छोटे कपड़ों में दर्शक के लिए नृत्य करते हुए पाया था।

आदेश में कहा गया है, ‘एफआईआर को पढ़ने से पता चलता है कि पुलिस अधिकारियों ने बैंक्वेट हॉल में प्रवेश करने के बाद देखा कि छह महिलाएं छोटे कपड़े पहने हुए थीं और अश्लील नृत्य कर रही थीं, जबकि दर्शक उन पर 10 रुपये के नकली नोट बरसा रहे थे। एफआईआर में यह भी दर्ज है कि कुछ दर्शक शराब पी रहे थे।’

एफआईआर में अश्लीलता के कृत्यों से संबंधित भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 294 और महाराष्ट्र पुलिस अधिनियम और उसके निषेध कानून की संबंधित धाराएं लगाई गई थीं।

अदालत ने कहा कि किसी कृत्य को धारा 294 के तहत अपराध होने के लिए उसे सार्वजनिक रूप से किया जाना चाहिए। धारा 294 में आगे कहा गया है कि अश्लील कृत्य या अश्लील गीत या शब्द, देखने या सुनने के बाद दूसरों को परेशान करने वाले होने चाहिए।

आदेश में कहा गया है कि इनमें से किसी भी कृत्य के संबंध में तत्काल आसपास के लोगों द्वारा विशिष्ट शिकायत की जानी चाहिए।

कार्यक्रम में शामिल हुए प्रतिवादियों ने तर्क दिया कि यह ‘जांच एजेंसी की ओर से स्पष्ट रूप से मोरल पुलिसिंग का मामला है।’

अदालत ने कहा, ‘छोटी स्कर्ट पहनना, उत्तेजक नृत्य करना या ऐसे इशारे करना, जिन्हें पुलिस अधिकारी अश्लील मानते हैं, उन्हें अश्लील कृत्य नहीं कहा जा सकता है, जो जनता को परेशान कर सकता है।’

पीठ ने कहा कि वह वर्तमान भारतीय समाज में प्रचलित नैतिकता के सामान्य मानदंडों को ध्यान में रखती है और कहा कि वर्तमान समय में यह काफी सामान्य और स्वीकार्य है कि महिलाएं ऐसे कपड़े पहन सकती हैं। हम अक्सर फिल्मों में इस तरह के पहनावे को देखते हैं।

अदालत ने कहा, ‘कौन से कृत्य अश्लीलता के दायरे में आ सकते हैं, इस बारे में एक संकीर्ण दृष्टिकोण रखना, हमारी ओर से एक प्रतिगामी कृत्य होगा। हम मामले में प्रगतिशील दृष्टिकोण अपनाना पसंद करेंगे और इस तरह का निर्णय पुलिस अधिकारियों के हाथों में छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं।’

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