21 फरवरी को रामजस कॉलेज में हुए सेमिनार के दौरान हुए हंगामे को मीडिया ने एबीवपी और आइसा के बीच की झड़प बताई है। जबकि यह एक सेमिनार को बाधित करने की कोशिश थी जिसे पुलिस का पूरा समर्थन प्राप्त था। इस सिलसिले में जो वीडियो सामने आये हैं वे बताते हैं कि एबीवीपी सेमिनार ना होने देने पर आमादा था। जब फिल्मकार संजय काक संबोधित कर रहे थे तो एबीवीपी कार्यकर्ताओं ने वहाँ घुसकर तोड़फोड़ की। एबीवीपी कार्यकर्ता वामपंथी छात्रों के आज़ादी वाले नारे से बेहद ख़फ़ा थे और जवाब में घटिया अश्लील इशारे कर रहे थे। बीच-बीच में भारत माता की जय और वंदे मातरम का संपुट की तरह दोहरते ज़रूर हैं लेकिन ज़्यादा ज़ोर गालियों और मारपीट पर ही है।
एक बात साफ़ है कि पुलिस चाहती तो ऐसा ना होने देती। सेमिनार करना छात्रों और शिक्षकों का हक़ है। मीडिया हमलावरों और उन्हें एक तराज़ू पर तौल रहा है। इस सलिसिले में काफ़िला में एक आँखों देखी रिपोर्ट छपी है जिसे आप यहाँ पढ़ सकते हैं। साथ में वीडियो भी है जिसे हम साभार प्रसारित कर रहे हैं–
एक बात साफ़ है कि पुलिस चाहती तो ऐसा ना होने देती। सेमिनार करना छात्रों और शिक्षकों का हक़ है। मीडिया हमलावरों और उन्हें एक तराज़ू पर तौल रहा है। इस सलिसिले में काफ़िला में एक आँखों देखी रिपोर्ट छपी है जिसे आप यहाँ पढ़ सकते हैं। साथ में वीडियो भी है जिसे हम साभार प्रसारित कर रहे हैं–