दीपावली आने वाली है, इसे लेकर देशभर के अनेक हिस्सों में रामलीला का आयोजन भी शुरू हो चुका है। वाराणसी में मंगलवार को गंगा जमुनी तहजीब का नजारा देखने को मिला जब लाटभैरव मंदिर और मस्जिद के चबूतरे पर रामलीला और नमाज हुई।
वाराणसी में शाम को 4:45 बजे से ही रामलीला के पात्रों के साथ नमाजियों के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया था। आदि लाट भैरव रामलीला के दसवें दिन शाम को 5:15 बजे मंगल भवन अमंगल हारी... के साथ लीला का श्रीगणेश हुआ।
मजीरे और मृदंग पर रसूल मानस की चौपाइयां सुन रहे थे और ईश्वर नमाज की शक्ल में कुरान आयतें। भगवान राम तक भी ये आयतें पहुंच रही थीं। स्थान था लाटभैरव मंदिर और मस्जिद का चबूतरा। चबूतरे की पूर्वी दिशा में मानस की चौपाई सीता चरन चोंच हति भागा, मूढ़ मंदमति कारन कागा... मुखर हो रहा थी, वहीं पश्चिम दिशा में मगरिब की अजान में अल्लाह हू अकबर... गूंज रहा था। यही तो बनारस की खूबसूरती है और खासियत भी जो गंगा जमुनी तहजीब के रंग को और गाढ़ा करती है।
अमर उजाला की रिपोर्ट के मुताबिक, मंगलवार की शाम को 4:45 बजे से ही रामलीला के पात्रों के साथ नमाजियों के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया था। आदि लाट भैरव रामलीला के दसवें दिन शाम को 5:15 बजे मंगल भवन अमंगल हारी... के साथ लीला का श्रीगणेश हुआ। वहीं, घड़ी की सुइयों ने जैसे 5:30 बजाया तो मुस्लिम बंधु मगरिब की नमाज के लिए सफ में खड़ हो गए।
लीला के व्यास दयाशंकर त्रिपाठी जयंत को संवाद बांच रहे थे तो हाफिज वसीम अकरम की इमामत में नमाज अदा की जा रही थी। नमाजी खुदा की इबादत में तल्लीन थे तो लीला के पात्र अभिनय में मशगूल। ढोलक और मंजीरे की थाप के बीच लीला के प्रसंग आगे बढ़ रहे थे। नमाज के साथ ही जयंत नेत्रभंग की लीला का प्रसंग अब पूर्ण होने की ओर बढ़ चला था। नमाज शुरू होने से पहले शुरू हुई लीला नमाज के बाद भी चलती रही। नमाजी भी नमाज पूरी करने के बाद लीला के दर्शक के रूप में शामिल हुए।
हिंदुस्तान की रिपोर्ट के मुताबिक, यह लीला 1543 से अनवरत चलती आ रही है। सैकड़ों साल पुराने समय से चली आ रही इस रामलीला में गंगा जमुनी तहजीब की मिसाल देखने को मिलती है। इस लीला का मंचन लाट भैरव मंदिर-मस्जिद के विशाल चबूतरे पर होता है।
हिंदुस्तान की खूबसूरती बयां करती है लीला
एक तरफ नमाज तो दूसरी ओर लीला का मंचन, यह दृश्य हिंदुस्तान की खूबसूरती को बयां करता है। विविधताओं के बाद भी हमारे देश की यही खूबसूरती है। - अनीसुर्रहमान पूर्व क्षेत्रीय पार्षद
हर दिल को सुकून देती है बनारस की तहजीब
हमने तो नमाजें भी पढ़ी हैं गंगा तेरे पानी में वजू करके... का संदेश देने वाले बनारस में ही इस दृश्य की कल्पना की जा सकती है। लीला का यह प्रसंग हर दिल को सुकून देता है। - जमाल अंसारी, समाजसेवी
50 साल से देखते आ रहे हैं लीला, नहीं बदला है स्वरूप
बचपन में इस लीला में भगवान राम का पात्र निभाता था। आज 65 साल से अधिक की अवस्था हो चुकी है, इस लीला से जुड़ा हुआ हूं। बचपन से लेकर आज तक ना तो लीला का स्वरूप बदला और ना ही स्थान। लीला के जरिये चार सौ साल पहले का प्रसंग आज भी सजीव हो उठता है। - दयाशंकर त्रिपाठी, व्यास
नजर आती है हिंदुस्तान की आत्मा
गोस्वामी तुलसीदास और मेघा भगत के अनुष्ठान में हिंदुस्तान की आत्मा नजर आती है। पिछले 40 सालों से लीला से जुड़ा हूं लेकिन आज तक ना तो प्रसंग बदले और ना ही स्थान। 480 साल पुरानी लीला का यह स्वरूप असली हिंदुस्तान के दर्शन कराता है। - कन्हैयालाल यादव, एडवोकेट, प्रधानमंत्री लाटभैरव रामलीला
वाराणसी: भागवत कथा के बाद गूंजीं कुरान की आयतें, बाइबिल की प्रार्थना
बता दें कि वाराणसी में श्राद्ध के दौरान सांप्रदायिक सौहार्द का नजारा देखने को मिला जब शुक्रवार को केदारखंड के शंकराचार्य घाट पर भागवत कथा के बाद कुरान की आयतें गूंजी और बाइबिल की प्रार्थना हुई। ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के धर्मानुष्ठान के बाद मुस्लिम और इसाई धर्मगुरुओं ने कोरोना काल में असमय मरने वालों की सद्गति के लिए प्रार्थना की। इसके साथ ही शुक्रवार को छह दिवसीय मुक्ति कथा का भी समापन हो गया।
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वाराणसी में शाम को 4:45 बजे से ही रामलीला के पात्रों के साथ नमाजियों के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया था। आदि लाट भैरव रामलीला के दसवें दिन शाम को 5:15 बजे मंगल भवन अमंगल हारी... के साथ लीला का श्रीगणेश हुआ।
मजीरे और मृदंग पर रसूल मानस की चौपाइयां सुन रहे थे और ईश्वर नमाज की शक्ल में कुरान आयतें। भगवान राम तक भी ये आयतें पहुंच रही थीं। स्थान था लाटभैरव मंदिर और मस्जिद का चबूतरा। चबूतरे की पूर्वी दिशा में मानस की चौपाई सीता चरन चोंच हति भागा, मूढ़ मंदमति कारन कागा... मुखर हो रहा थी, वहीं पश्चिम दिशा में मगरिब की अजान में अल्लाह हू अकबर... गूंज रहा था। यही तो बनारस की खूबसूरती है और खासियत भी जो गंगा जमुनी तहजीब के रंग को और गाढ़ा करती है।
अमर उजाला की रिपोर्ट के मुताबिक, मंगलवार की शाम को 4:45 बजे से ही रामलीला के पात्रों के साथ नमाजियों के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया था। आदि लाट भैरव रामलीला के दसवें दिन शाम को 5:15 बजे मंगल भवन अमंगल हारी... के साथ लीला का श्रीगणेश हुआ। वहीं, घड़ी की सुइयों ने जैसे 5:30 बजाया तो मुस्लिम बंधु मगरिब की नमाज के लिए सफ में खड़ हो गए।
लीला के व्यास दयाशंकर त्रिपाठी जयंत को संवाद बांच रहे थे तो हाफिज वसीम अकरम की इमामत में नमाज अदा की जा रही थी। नमाजी खुदा की इबादत में तल्लीन थे तो लीला के पात्र अभिनय में मशगूल। ढोलक और मंजीरे की थाप के बीच लीला के प्रसंग आगे बढ़ रहे थे। नमाज के साथ ही जयंत नेत्रभंग की लीला का प्रसंग अब पूर्ण होने की ओर बढ़ चला था। नमाज शुरू होने से पहले शुरू हुई लीला नमाज के बाद भी चलती रही। नमाजी भी नमाज पूरी करने के बाद लीला के दर्शक के रूप में शामिल हुए।
हिंदुस्तान की रिपोर्ट के मुताबिक, यह लीला 1543 से अनवरत चलती आ रही है। सैकड़ों साल पुराने समय से चली आ रही इस रामलीला में गंगा जमुनी तहजीब की मिसाल देखने को मिलती है। इस लीला का मंचन लाट भैरव मंदिर-मस्जिद के विशाल चबूतरे पर होता है।
हिंदुस्तान की खूबसूरती बयां करती है लीला
एक तरफ नमाज तो दूसरी ओर लीला का मंचन, यह दृश्य हिंदुस्तान की खूबसूरती को बयां करता है। विविधताओं के बाद भी हमारे देश की यही खूबसूरती है। - अनीसुर्रहमान पूर्व क्षेत्रीय पार्षद
हर दिल को सुकून देती है बनारस की तहजीब
हमने तो नमाजें भी पढ़ी हैं गंगा तेरे पानी में वजू करके... का संदेश देने वाले बनारस में ही इस दृश्य की कल्पना की जा सकती है। लीला का यह प्रसंग हर दिल को सुकून देता है। - जमाल अंसारी, समाजसेवी
50 साल से देखते आ रहे हैं लीला, नहीं बदला है स्वरूप
बचपन में इस लीला में भगवान राम का पात्र निभाता था। आज 65 साल से अधिक की अवस्था हो चुकी है, इस लीला से जुड़ा हुआ हूं। बचपन से लेकर आज तक ना तो लीला का स्वरूप बदला और ना ही स्थान। लीला के जरिये चार सौ साल पहले का प्रसंग आज भी सजीव हो उठता है। - दयाशंकर त्रिपाठी, व्यास
नजर आती है हिंदुस्तान की आत्मा
गोस्वामी तुलसीदास और मेघा भगत के अनुष्ठान में हिंदुस्तान की आत्मा नजर आती है। पिछले 40 सालों से लीला से जुड़ा हूं लेकिन आज तक ना तो प्रसंग बदले और ना ही स्थान। 480 साल पुरानी लीला का यह स्वरूप असली हिंदुस्तान के दर्शन कराता है। - कन्हैयालाल यादव, एडवोकेट, प्रधानमंत्री लाटभैरव रामलीला
वाराणसी: भागवत कथा के बाद गूंजीं कुरान की आयतें, बाइबिल की प्रार्थना
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