बढ़ती महंगाई और नौकरियों में छंटनी बनी चिंता का विषय: प्री बजट सर्वे में खुलासा

Written by Navnish Kumar | Published on: January 27, 2024
बढ़ती महंगाई और नौकरियों में छंटनी देशवासियों के लिए चिंता का सबसे बड़ा सबब बनी है। 2024 के बजट से पहले किए गए एक सर्वे में भारतीयों ने अपनी प्रमुख चिंताओं के बारे में बताया है जिसमें महंगाई और छंटनी प्रमुख रहे। खासकर शहरी भारतीयों को सबसे बड़ा डर महंगाई और नौकरियो में हो रही छंटनियों के बीच जॉब सिक्योरिटी का सता रहा है। खास है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन 1 फरवरी 2024 को कारोबारी साल 2025 के लिए केंद्रीय अंतरिम बजट पेश करने जा रही हैं। 



मौजूदा समय में महंगाई और वैश्विक स्तर पर जारी उथल-पुथल के चलते कंपनियों में जारी छंटनी ने भारतीय नागरिकों की नींदे उड़ा दी है। 2024 बजट से पहले हुए एक सर्वे के अनुसार, 2024 के बजट में भारतीय इन दोनों मुद्दों पर केंद्र सरकार से कुछ राहत मिलने की उम्मीद कर रहे हैं। केंद्रीय बजट 2024 से पहले उपभोक्ता भावनाओं और अपेक्षाओं को दर्शाने वाला यह सर्वे 2,500 भारतीयों के बीच किया गया था और उनमें से आधे से ज्यादा ने बढ़ती महंगाई को अपनी प्रमुख चिंता के रूप में उठाया था।

हर दूसरे भारतीय को महंगाई से परेशानी

कांतार इंडिया के सर्वे को लेकर छपी मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, बढ़ती महंगाई से 57 फीसदी भारतीय चिंतित हैं। पिछले साल बजट से पहले सिर्फ 27 फीसदी भारतीयों को महंगाई की चिंता सता रही थी। अभी का आंकड़ा बताता है कि महंगाई हर दूसरे भारतीय की चिंता है। महंगाई में भी लोगों को फूड इंफ्लेशन यानी खाने-पीने की चीजों की महंगाई की चिंता सबसे ज्यादा है। अब देखा जाए तो लोगों की महंगाई से जुड़ी चिंता बेबुनियाद भी नहीं है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पिछले महीने यानी दिसंबर 2023 में खुदरा महंगाई की दर बढ़कर 5.69 फीसदी रही थी। बीते दो महीने में खुदरा महंगाई की दर में करीब 1 फीसदी की तेजी आई है। अक्टूबर 2023 में खुदरा महंगाई 4.87 फीसदी और नवंबर 2023 में 5.55 फीसदी रही थी। दिसंबर में थोक महंगाई भी बढ़कर 9 महीने के उच्च स्तर 0.73 फीसदी पर पहुंच गई थी। महंगाई दर में लगातार बढ़ोतरी का कारण फूड इंफ्लेशन में आ रही तेजी है।

CNBC आदि मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मार्केटिंग डेटा और एनालिटिक्स कंपनी कांतार के सर्वे के अनुसार, अनियमित मानसून और जलवायु परिवर्तन को भी एक अन्य महत्वपूर्ण चिंता के रूप में देखा जा रहा है। क्योंकि ये कृषि उपज को प्रभावित कर महंगाई में सीधे योगदान देते हैं। इसके साथ ही नौकरियों में छंटनी के बीच जॉब सिक्योरिटी चिंता का विषय बनी है। इंडस्ट्री में चल रही छंटनियो के चलते हर तीन में से एक भारतीय नौकरी की सुरक्षा को लेकर भी चिंतित है। पिछले साल छंटनी का भारी प्रकोप देखने को मिला था। इस दौरान 27 फीसदी (चार में से एक) भारतीय छंटनी को लेकर तनाव में थे।

छंटनी से परेशान हर तीसरा इंसान

सर्वे में हर तीन में से एक शहरी भारतीय ने दुनिया भर में चल रही छंटनी की लहर के बीच जॉब सिक्योरिटी को भी अपनी प्रमुख चिंता बताया है। छंटनी का हाल भी देखें तो 2024 में अब तक कई नामी कंपनियां कर्मचारियों की छंटनी कर चुकी हैं, जिनमें गूगल और अमेजन जैसे नाम भी शामिल हैं। छंटनी की रफ्तार नए साल में धीमी होने के बजाय और तेज हो गई है। टेक कंपनियों के अलावा अन्य सेक्टरों में भी छंटनी का असर दिख रहा है।

शहरी भारतीय की अन्य प्रमुख चिंताओं में आर्थिक सुस्ती (इकोनॉमिक स्लोडाउन) और दुनिया के विभिन्न हिस्सों में चल रहे युद्ध भी शामिल हैं। आर्थिक सुस्ती व आर्थिक मंदी 48 फीसदी लोगों के लिए चिंता की बात है, जबकि युद्ध के कारण 45 फीसदी लोग चिंतित हैं। सर्वे में कहा गया है कि भारतीयों को उम्मीद है कि केंद्र सरकार इन मामलों पर उन्हें सुरक्षा प्रदान कराएगी। हालांकि अच्छी बात यह है कि सर्वे के मुताबिक, 57 फीसदी का मानना है कि भारत 2024 में ज्यादातर अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में तेजी से विकास करना जारी रखेगा। तो उससे कुछ राहत मिल सकती है। जबकि, 50 फीसदी से ज्यादा भारतीयों का मानना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था को 5 ट्रिलियन डॉलर का आंकड़ा छूने में कम से कम 3-4 साल लगेंगे।

बजट से हैं उम्मीदें

भारतीय नागरिक फिलहाल आगामी चुनावों पर नजर बनाए हुए हैं और उम्मीद कर रहे हैं कि यह मोटे तौर पर देश की अर्थव्यवस्था और इसके लोगों के पक्ष में होगा। हालांकि, वैश्विक मंदी, आर्थिक अनिश्चितता और कई देशों के बीच जारी संघर्षों से खेल खराब होने का खतरा है। कांतार के इनसाइट्स डिवीजन के एग्जीक्यूटिव मैनेजिंग डायरेक्टर दीपेंद्र राणा ने कहा कि 2024 एक चुनावी वर्ष होने के कारण, हम उम्मीद करते हैं कि सरकार जनता की भावनाओं के अनुरूप होगी। भारतीय देश के मैक्रोइकोनॉमिक परफॉरमेंस के बारे में काफी हद तक पॉजिटिव हैं और मानते हैं कि भारत की विकास कहानी काफी मजबूत है। वहीं, सर्वे में शामिल लगभग 75 फीसदी उपभोक्ताओं को उम्मीद है कि भारत में 2024 में स्टार्टअप्स के फाइनेंशियल परफॉरमेंस में सुधार जारी रहेगा, जो स्टार्टअप्स और नए जमाने के व्यवसायों की लगातार बढ़ती संख्या वाला एक युवा देश है। 

दूसरा, कई उपभोक्ताओं को उम्मीद है कि सरकार टेक्नोलॉजी में निवेश जारी रखेगी। डिजिटल पेमेंट के तरीके तेजी से आम होते जा रहे हैं और 80 फीसदी भारतीय रोजमर्रा के घरेलू खर्चों के लिए यूपीआई या ई-वॉलेट का बहुत ज्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं। सैलरी क्लास के लिए यह अनुपात 86 फीसदी से ज्यादा है, जबकि सेल्फ-एम्प्लॉयड और बिजनेस सेगमेंट में यह 72 फीसदी है। जलवायु परिवर्तन को लेकर चिंताएं और भविष्य पर इसके प्रभाव के चलते भारतीय उपभोक्ता धीरे-धीरे इलेक्ट्रिक मोबिलिटी की ओर बढ़ रहे हैं। 2024 के बाद नए व्हीकल खरीदने का इरादा रखने वालों में से 61 फीसदी लोग ईवी खरीदने पर विचार कर रहे हैं। इस दौरान उपभोक्ताओं को यह भी उम्मीद है कि सरकार इलेक्ट्रोनिक व्हीकल (ईवी) की ओर इस बदलाव को इन्सेन्टिव्स की मदद से बढ़ावा देगी। सर्वे में शामिल 40 फीसदी से ज्यादा लोग खरीदने के दौरान ही इंस्टेंट मॉनेटरी बेनिफिट्स की मांग कर रहे हैं, जिसमें अग्रिम छूट, कम रोड टैक्स और कम व्हीकल रजिस्ट्रेशन फीस शामिल हैं।

सर्वे के अनुसार, 70 फीसदी शहरी भारतीयों का कहना है कि वे 2023 के बजट से खुश हैं। अंतरिम बजट से बहुत अधिक उम्मीद न करने के बावजूद, उपभोक्ता अपनी खर्च योग्य इनकम को बढ़ाने में मदद के लिए आयकर ब्रैकेट के संबंध में पॉलिसी में बदलाव होने की उम्मीद कर रहे हैं। इस दौरान बेसिक आयकर छूट सीमा को बढ़ाना (मौजूदा 3 लाख रुपए से) सबसे आम उम्मीद है। इसके साथ ही वे स्टैंडर्ड कटौती को 50,000 रुपये से बढ़ाकर 1 लाख रुपए करने की उम्मीद भी कर रहे हैं।

अगले सप्ताह आने वाला है बजट

कांतार इंडिया का यह प्री-बजट सर्वे आगामी बजट 2024 से ठीक एक सप्ताह पहले बुधवार को जारी किया गया है। अगले सप्ताह 31 जनवरी से बजट सत्र की शुरुआत हो रही है और अगले गुरुवार को नया बजट आने वाला है। वित्त वर्ष 2024-25 के लिए यह अंतरिम बजट 1 फरवरी को आएगा। आसन्न लोकसभा चुनाव के चलते फरवरी में पूर्ण बजट के बजाय अंतरिम बजट आएगा।

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