अखबारनामा: राहुल गांधी की माफी को भास्कर ने समझाया, जागरण ने उलझाया

Written by संजय कुमार सिंह | Published on: April 23, 2019
भारतीय जनता पार्टी की सांसद मीनाक्षी लेखी ने सुप्रीम कोर्ट में एक अवमानना याचिका दायर की है। इसी का जवाब देते हुए कांग्रेस अध्‍यक्ष राहुल गांधी ने कल जो हलफनामा दिया, उसे लेकर मीडिया और सोशल मीडिया में गलत रिपोर्टिंग होती रही। अवमानना के केस में लेखी ने राफेल सौदे के संदर्भ में "चौकीदार चोर है" को सुप्रीम कोर्ट के हवाले से कहे जाने पर शिकायत की थी और राहुल गांधी ने इसी संदर्भ में सर्वोच्‍च अदालत से माफी मांगी है। पर मीडिया और सोशल मीडिया पर कुछ लोग यह दिखाने में जुटे हैं कि राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ प्रयुक्‍त उक्‍त जुमले के संदर्भ में माफी मांगी है।

मैं जो अखबार देखता हूं उनमें अकेले राजस्थान पत्रिका में यह खबर पहले पन्ने पर नहीं है। अमर उजाला, दैनिक जागरण और दैनिक भास्कर ने इस खबर को लीड बनाया है। दैनिक भास्कर ने इस मामले में बड़े अक्षरों में सबसे ज्यादा सूचनाएं दी हैं। इसलिए मामला स्पष्ट हो जाता है या भ्रम की गुंजाइश नहीं रहती है। पर अमर उजाला का शीर्षक भ्रमित करने वाला है। अखबार ने लिखा है, 'चौकीदार चोर' बयान पर राहुल ने जताया खेद, कहा - आवेश में दिया। वैसे तो तथ्य के लिहाज से यह गलत नहीं है पर तकनीकी रूप से गलत है। राहुल ने खेद इस बयान को सुप्रीम कोर्ट से जोड़ने के लिए जताया है। और मीनाक्षी लेखी का मुकदमा भी इसीलिए है।

सबसे दिलचस्प रिपोर्टिंग दैनिक जागरण की है। शीर्षक है, 'चौकीदार चोर है' वाले बयान पर राहुल ने जताया खेद। उपशीर्षक है, पीछे हटे - राफेल मामले में सुप्रीम कोर्ट के हवाले से कर दी थी टिप्पणी। इतने से बात समझ में आ जाती है। लेकिन अखबार ने अपनी खबर का इंट्रो लिखा है, "कोर्ट में दाखिल हलफनामे में कहा, गलत ढंग से प्रचारित किया गया उनका बयान। अखबार ने इस मुख्य खबर के साथ दो कॉलम में छापा है, लंबी बहस के बाद राहुल का नामांकन पत्र वैध। असल में राहुल गांधी से संबंधित एक और मामले पर कल ही निर्णय हुआ। अमेठी से चुनाव लड़ रहे राहुल गांधी की नागरिकता और शैक्षणिक योग्यता पर सवाल उठाते हुए कुछ अन्य उम्मीदवारों ने राहुल का नामांकन रद्द करने की मांग की थी। जिला निर्वाचन अधिकारी ने इस मामले में सभी पक्षों को सुनने के बाद नामांकन वैध होने का फैसला दिया।

इस आधार पर नवोदय टाइम्स ने मिली-जुली खबर छापी है और शीर्षक लगाया है, 'चौकीदार चोर' नहीं, 'राहुल विंची' नहीं। जो लोग दूसरे मामले को नहीं जानते होंगे उन्हें यह शीर्षक समझ में नहीं आएगा। कई बार अमेठी से चुनाव लड़ और जीत चुके राहुल गांधी के खिलाफ इन आरोपों में दम नहीं था। इसलिए इन आरोपों को प्रमुखता नहीं मिली थी। फिर भी नामांकन वैध पाए जाने को जागरण ने इतनी प्रमुखता दी है। यही नहीं, राहुल गांधी के माफी मांगने पर याचिका दायर करने वाली मीनाक्षी लेखी का यह बयान भी छापा है, “कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा गलती मान लेने का मतलब है कि यह अदालत की अवमाना है। इसके साथ ही यह मेरे उस रुख की पुष्टि भी है कि अदालतों को कलंकित करने और न्यायाधीशों को बदनाम करने की कोशिश है।”

दैनिक जागरण ने पहले पन्ने पर ही अपनी मुख्य खबर के साथ भाजपा प्रवक्ता जीवीएल नरसिम्हा राव का बयान, “माननीय सर्वोच्च न्यायालय में हलफनामा देकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने मान लिया है कि उन्होंने राफेल मामले में प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ आरोप लगाने में झूठ बोला - छापा है”। इसपर रणदीप सुरजेवाला का जवाब, “झूठ की सीमा नहीं होती। कोर्ट में राहुल के जवाब पर भाजपा की गलतबयानी खुद ही आपराधिक अवमानना है। मामला कोर्ट में है। आज फैसला देना बंद करें। हम फिर कहते हैं, एक ही चौकीदार चोर है” - भी छापा है।

अखबारों में अमूमन आरोप के साथ जवाब छापने का भी रिवाज है। पर यहां तो मामला ही ऐसा है कि अलग से आरोप और फिर उसका जवाब छापने का कोई मतलब नहीं है। सिर्फ खबर तथ्यात्मक रूप से सही छापना पर्याप्त था। अखबार का काम यह नहीं है कि किसी का बयान आ गया तो उसे छापा ही जाए और फिर उसपर प्रतिक्रिया मांगी या तलाश कर छापी जाए। अखबार निराधार आरोप नहीं भी छाप सकता है और ज्यादातर अखबारों में भाजपा नेताओं के आरोप नहीं हैं। इसलिए जवाब भी नहीं है। खेल अखबारों ने ही किए हैं। जागरण इस मामले में संतुलन का खेल करता दिख रहा है।

जागरण ने खेल वाली दिलचस्प "खबर" संपादकीय की शैली में छापी है, "वायनाड सीट से नामांकन को लेकर दुविधा में अमेठी"। खबर के मुताबिक, "गांधी परिवार की खानदानी संसदीय सीट पर मतदाताओं की मनस्थिति हर बार एक जैसी नहीं दिखती (तो चुनाव क्यों होते?)। भाजपा द्वारा राहुल गांधी की मजबूत घेराबंदी करने और राहुल द्वारा अमेठी के साथ दूसरे (वायनाड) संसदीय क्षेत्र में ठिकाना तलाशने से दुविधा (दुविधा कहां है? आपने तो साफ-साफ लिखा है) बढ़ी है। वीआइपी सीट होने के बावजूद विकास की दौड़ में पिछड़े (किस हिसाब से? पैमाना क्या है?) अमेठीवासियों को भाजपा नेताओं की सक्रियता (पहले नहीं थी?) से क्षेत्र के अच्छे दिन आने की उम्मीद बढ़ी है। वहीं, एक वर्ग को राहुल द्वारा दूसरा संसदीय क्षेत्र तलाश लेने से कुछ (विकास की दौड़ में पिछड़े इस क्षेत्र में कुछ क्या है) खोने की आशंका भी सता रही है। सोमवार को अमेठी के तीन विधानसभा क्षेत्रों में जनसभा करने पहुंचे राहुल गांधी जिस आत्मविश्वास और उत्साह में दिखे, उससे कांग्रेसजनों का मनोबल बढ़ा है (फिर भी दुविधा में है अमेठी या आप?)।

दैनिक भास्कर ने इस मामले को सबसे ज्यादा प्रमुखता दी है और सुलझे हुए ढंग से पेश किया है। कई छोटे बड़े शीर्षकों के साथ लगभग सभी पहलुओं को प्रस्तुत किया है और यह भी बताया है कि इस मामले में राहुल गांधी ने कल कितने बजे क्या किया। मुख्य शीर्षक है, “राहुल ने सुप्रीम कोर्ट में खेद जताया, दिन भर चौकीदार चोर के नारे लगवाए”। इसके साथ इंट्रो है, “कहा, मोदी और भाजपा नेता भी रफाल डील में सुप्रीम कोर्ट की क्लीनचिट का हवाला दे रहे हैं”।

खबर इस प्रकार है, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में खेद जताया। राहुल ने कोर्ट के हवाले से मोदी को 'चौकीदार चोर है' कहा था, जिस पर भाजपा सांसद मीनाक्षी लेखी ने अवमानना याचिका दायर की थी। कोर्ट ने राहुल से जवाब मांगा था। राहुल ने 26 पेज के हलफनामे में कहा- 'जब मैंने बयान दिया तब मुझे कोर्ट के फैसले की सही जानकारी नहीं थी। मीडिया ने मुझसे कोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रिया मांगी, तो उस समय की जानकारी के आधार पर बयान दिया। बयान सियासी माहौल की गर्मी में दिया गया था। यह स्पष्ट है कि कोर्ट 'चौकीदार चोर है' जैसी बात नहीं कहेगा और इसलिए मेरी टिप्पणी, जिसपर मुझे खेद है, को कोर्ट की टिप्पणी न माना जाए।'

अखबार ने दो लाइन में लीड के मुख्य शीर्षक के साथ राहुल की माफी का एक अंश "बयान सियासी प्रचार के जोश में दिया गया। कोर्ट ने 'चौकीदार चोर' जैसी बात नहीं कही। मुझे खेद है।" भी प्रमुखता से छापा है। मुख्य खबर के साथ एक और शीर्षक है, अमेठी में बोले ... चाहे जिस भी सुर-लय में चौकीदार बोलिए उसके बाद मुंह से चोर ही निकलेगा। इसके साथ खबर इस प्रकार है कोर्ट में खेद कोर्ट में खेद जताने के बाद 'चौकीदार चोर है' का नारा कमजोर न पड़े, इसके लिए कांग्रेस ने मैदान से सोशल मीडिया तक, नारे पर जोर बढ़ाया।
दोपहर 12 बजे: कोर्ट में खेद जताया।
1 बजे: अमेठी की रैली में 'चौकीदार चोर है' नारे लगवाए।
2:30 बजे: रायबरेली रैली में 'चौकीदार चोर' बयान दोहराया।
3 बजे: ट्विटर पर लिखा- 23 मई को जनता फैसला करेगी कि कमलछाप चौकीदार ही चोर है। राहुल ने 31 दिन बाद ट्वीट में चौकीदार शब्द का इस्तेमाल किया।

इस संदर्भ में आज के अखबारों के शीर्षक पढ़ने लायक हैं : 
अंग्रेजी 
राहुल ने सर्वोच्च अदालत में माफी मांगी- द टेलीग्राफ 
राहुल ने सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी पर स्पष्टीकरण दिया लेकिन मोदी पर रफाल हमला बढ़ा दिया- हिन्दुस्तान टाइम्स 
चौकीदार चोर है : राहुल ने कहा कि चुनावी जोश में गलत कह गया- इंडियन एक्सप्रेस 
राहुल ने रफाल पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश से जोड़कर प्रधान मंत्री को 'चोर' कहने के लिए 'माफी' मांगी

हिन्दी 
राहुल गांधी ने सर्वोच्च अदालत में खेद जताया- हिन्दुस्तान 
राहुल का खेद, कोर्ट के हवाले से नहीं कहूंगा - चौकीदार चोर- नवभारत टाइम्स 
'चौकीदार चोर' नहीं, 'राहुल विंची' नहीं- नवोदय टाइम्स 
'चौकीदार चोर' बयान पर राहुल ने जताया खेद, कहा - आवेश में दिया- अमर उजाला 
'चौकीदार चोर है' वाले बयान पर राहुल ने जताया खेद। उपशीर्षक है, पीछे हटे- राफेल मामले में सुप्रीम कोर्ट के हवाले से कर दी थी टिप्पणी - दैनिक जागरण 
“राहुल ने सुप्रीम कोर्ट में खेद जताया, दिन भर चौकीदार चोर के नारे लगवाए”– दैनिक भास्कर।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार, अनुवादक व मीडिया समीक्षक हैं।)

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