बीजेपी से अपमान के बाद क्या फिर पलटी मारेंगे नीतीश कुमार ?

Written by sabrang india | Published on: June 4, 2019
पटना। क्या 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव से पहले जेडीयू अध्यक्ष और राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार फिर पाला बदलेंगे। आरजेडी अध्यक्ष लालू यादव और पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के द्वारा पलटूराम के विशेषण से नवाजे गए नीतीश कुमार क्या फिर से पलटी मारेंगे। क्या नीतीश कुमार बीजेपी, एलजेपी के एनडीए को छोड़कर आरजेडी, कांग्रेस की अगुवाई वाले महागठबंधन में वापसी का न्योता कबूल करेंगे। क्या नीतीश कुमार बीजेपी, एलजेपी के एनडीए और आरजेडी, कांग्रेस वाले महागठबंधन से अलग कोई और गठबंधन खड़ा करके विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। सवाल बहुत सारे हैं लेकिन जवाब सिर्फ नीतीश कुमार को ही पता होगा। 

सवाल उठे हैं क्योंकि उठने का मौका दिया है एनडीए ने और मजा ले रहा है आरजेडी, जिसके नेता रघुवंश प्रसाद सिंह ने नीतीश कुमार को सम्मान बचाने के लिए महागठबंधन में आने का न्योता भेजा है। नरेंद्र मोदी कैबिनेट में एक मंत्री पद ठुकराकर पटना लौटने नीतीश कुमार ने कैबिनेट विस्तार में बीजेपी को भी एक मंत्री पद ऑफर किया जिसे भाजपा ने ठुकरा दिया।

नीतीश कुमार ने जेडीयू के 8 मंत्री बना डाले, बीजेपी का एक नहीं। उसके बाद जेडीयू और सीएम नीतीश कुमार की इफ्तार पार्टी में बीजेपी का कोई नेता नहीं गया तो बीजेपी नेता और डिप्टी सीएम सुशील मोदी की इफ्तार पार्टी में जेडीयू का कोई नेता नहीं पहुंचा। अलबत्ता नीतीश कुमार की इफ्तार पार्टी में उनके विरोधी बन चुके पूर्व सीएम जीतनराम मांझी पहुंच गए और अब तो आरजेडी से घर वापसी का खुला न्योता भी दे दिया गया है।

लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की अगुवाई में बीजेपी और एनडीए की अभूतपूर्व जीत के बाद 30 मई को पीएम मोदी के शपथ ग्रहण में नीतीश कुमार गए लेकिन उससे पहले साफ कर दिया कि मोदी सरकार में जेडीयू से कोई मंत्री नहीं बन रहा है। बीजेपी ने जेडीयू को 1 कैबिनेट मंत्री पद का ऑफर दिया था जिसे नीतीश कुमार ने ठुकरा दिया और कहा कि जिसके जितने सांसद हैं, उसे उस हिसाब से कैबिनेट में हिस्सेदारी मिलनी चाहिए। 

माना जाता है कि नीतीश कुमार केंद्र की नई सरकार में कम से कम दो मंत्री चाहते थे। नीतीश कुमार ने कहा कि वो सरकार में प्रतीकात्मक हिस्सेदारी नहीं चाहते हैं इसलिए जेडीयू सरकार में शामिल नहीं होगी लेकिन एनडीए में रहेगी और सरकार को बाहर से समर्थन देगी।

नरेंद्र मोदी सरकार के शपथ ग्रहण और कैबिनेट गठन के तीन दिन बाद बिहार की राजधानी पटना में नीतीश कुमार ने अपने मंत्रिमंडल का विस्तार किया और 8 नए मंत्री शामिल किए लेकिन उन 8 में एक भी मंत्री बीजेपी या एलजेपी का नहीं था, सारे के सारे जेडीयू के थे। 

नीतीश ने कैबिनेट विस्तार के बाद मीडिया से कहा कि उन्होंने बीजेपी को एक मंत्री पद का ऑफर दिया था लेकिन भाजपा की इच्छा नहीं थी। दिल्ली में नरेंद्र मोदी सरकार में एक मंत्री पद का ऑफर ठुकराने वाले नीतीश ने अपनी सरकार के कैबिनेट विस्तार में भी बीजेपी को एक मंत्री पद ऑफर किया जिसे भाजपा ने ठुकरा दिया। नीतीश ने कहा कि जेडीयू के 8 नेता इसलिए मंत्री बनाए गए हैं क्योंकि कैबिनेट में जो जगह खाली थे वो सारे जेडीयू कोटे के ही खाली थे। 

नीतीश की चाल से आम लोग सोचेंगे कि हिसाब बराबर। लेकिन राजनीति में हिसाब कभी बराबर नहीं होता। दांव पर दांव चले जाते हैं। नीतीश कैबिनेट विस्तार के बाद शाम में पटना में जेडीयू की इफ्तार पार्टी में बीजेपी का कोई नेता नहीं गया जबकि नीतीश कुमार के इस इफ्तार में पूर्व सीएम जीतनराम मांझी गए। वहीं डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी की इफ्तार पार्टी में कोई जेडीयू का नेता नहीं गया। दांव पर दांव चले जा रहे हैं और इसके साथ ही एनडीए में दरार की नींव पड़ती दिख रही है।

 

बाकी ख़बरें