झारखंड के सरायकेला में मॉब लिंचिंग मामले की कड़ी आलोचना के बाद सरकार हरकत में आई है। घटना के मुख्य आरोपी समेत ग्यारह लोगों को गिरफ्तार किया गया। साथ ही थाना प्रभारी और दारोगा को लिंचिंग का केस दायर न करने पर, एसपी ने लापरवाही के आरोप में किया निलंबित कर दिया है। मामले की जांच के लिए गठित की गई एसआईटी के प्रमुख को बुधवार तक गृह सचिव और मुख्य सचिव को रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा गया है।
बता दें कि, झारखंड के खरसावां जिले के धातकीडीह गांव में एक मुस्लिम युवक (तबरेज) की भीड़ ने बेरहमी से पिटाई कर दी। सूत्रों के अनुसार घटना 18 जून की बताई जा रही है। जहां चोरी के कथित आरोप पर पहले तबरेज को मारा और फिर 'जय श्री राम' का नारा लगाने के लिए उस पर दबाव डाला। इतना ही नहीं, भीड़ द्वारा तरबेज को रात भर बाँधकर रखा गया। सबसे ज्यादा शर्मनाक यह था कि, अगले दिन सूचना पर पहुंची पुलिस ने तबरेज को उसी हालत में जेल में डाल दिया। इन सबके दौरान तरबेज को काफी चोट आ गई थी। जिस पर सरायकेला पुलिस ने उसे चार दिन बाद सदर अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराया, जहां शनिवार, यानी 22 जून, तरबेज की मौत हो गई।
इस घटना पर सभी ने तीखीं प्रतिक्रिया व्यक्त की है।
PDP नेता मेहबूबा मुफ़्ती ने सोशल मीडिया पर बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा की कि, "बीजेपी शासित राज्य झारखंड में मुस्लिम युवक को बेरहमी से मारा गया, क्योंकि उसने 'जय श्री राम' कहने से मना कर दिया। क्या यह NDA 2.0 का नया भारत है? यह कौन सा तरीका है लोगों का विश्वास जितने का?"
घटना की ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा कि, 'मॉब लिंचिंग की घटनाएं नहीं रुक सकतीं क्योंकि बीजेपी और आरएसएस ने लोगों के दिमाग में मुस्लिमों के प्रति नफरत की भावना बढ़ा दी है। लोगों के दिमाग में यह बात सफलतापूर्वक बैठा दी गई है कि मुस्लिम आतंकी, देशद्रोही और गो-हत्यारे होते हैं।'
फिलहाल, घटना पर सरकार सख्ती दिखाती नज़र आ रही है। तबरेज़ के परिवार ने आरोपियों को मृत्युदंड देने की मांग की है। परन्तु देश में बढ़ती इन घटनाओं को देखकर प्रधानमंत्री मोदी जी की 'सबका साथ, सबका विश्वास' बात पर विश्वास करना मुश्किल हो जाता है।
बता दें कि, झारखंड के खरसावां जिले के धातकीडीह गांव में एक मुस्लिम युवक (तबरेज) की भीड़ ने बेरहमी से पिटाई कर दी। सूत्रों के अनुसार घटना 18 जून की बताई जा रही है। जहां चोरी के कथित आरोप पर पहले तबरेज को मारा और फिर 'जय श्री राम' का नारा लगाने के लिए उस पर दबाव डाला। इतना ही नहीं, भीड़ द्वारा तरबेज को रात भर बाँधकर रखा गया। सबसे ज्यादा शर्मनाक यह था कि, अगले दिन सूचना पर पहुंची पुलिस ने तबरेज को उसी हालत में जेल में डाल दिया। इन सबके दौरान तरबेज को काफी चोट आ गई थी। जिस पर सरायकेला पुलिस ने उसे चार दिन बाद सदर अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराया, जहां शनिवार, यानी 22 जून, तरबेज की मौत हो गई।
इस घटना पर सभी ने तीखीं प्रतिक्रिया व्यक्त की है।
PDP नेता मेहबूबा मुफ़्ती ने सोशल मीडिया पर बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा की कि, "बीजेपी शासित राज्य झारखंड में मुस्लिम युवक को बेरहमी से मारा गया, क्योंकि उसने 'जय श्री राम' कहने से मना कर दिया। क्या यह NDA 2.0 का नया भारत है? यह कौन सा तरीका है लोगों का विश्वास जितने का?"
घटना की ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा कि, 'मॉब लिंचिंग की घटनाएं नहीं रुक सकतीं क्योंकि बीजेपी और आरएसएस ने लोगों के दिमाग में मुस्लिमों के प्रति नफरत की भावना बढ़ा दी है। लोगों के दिमाग में यह बात सफलतापूर्वक बैठा दी गई है कि मुस्लिम आतंकी, देशद्रोही और गो-हत्यारे होते हैं।'
फिलहाल, घटना पर सरकार सख्ती दिखाती नज़र आ रही है। तबरेज़ के परिवार ने आरोपियों को मृत्युदंड देने की मांग की है। परन्तु देश में बढ़ती इन घटनाओं को देखकर प्रधानमंत्री मोदी जी की 'सबका साथ, सबका विश्वास' बात पर विश्वास करना मुश्किल हो जाता है।