"संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) की ओर से जारी बयान में कहा गया कि "एसकेएम 26 जनवरी, 2024 को गणतंत्र दिवस के मौके पर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में जिला स्तर पर कम से कम 500 जिलों में ट्रैक्टर परेड आयोजित करेगा। इसके लिए, देश भर के 20 राज्यों में एसकेएम की राज्य इकाइयां 10-20 जनवरी तक घर-घर जाकर और पर्चा वितरण के माध्यम से ‘जन जागरण’ अभियान चलाएंगी। इसका उद्देश्य केंद्र सरकार की ‘कॉरपोरेट समर्थक आर्थिक नीतियों को उजागर करना’ है। एसकेएम किसानों से बड़ी संख्या में परेड में शामिल होने की अपील करता है।"
26 जनवरी 2023 को गणतंत्र दिवस के मौके पर एसकेएम 500 जिलों में ट्रैक्टर परेड आयोजित करेगा। एक आधिकारिक बयान में गुरुवार को कहा गया कि संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) देश भर के लगभग 500 जिलों में गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर परेड आयोजित करेगा। एसकेएम ने कहा कि ट्रैक्टर परेड राष्ट्रीय राजधानी में औपचारिक गणतंत्र दिवस परेड के समापन के बाद आयोजित की जाएगी। "परेड में भाग लेने वाले किसान घटक संगठनों के झंडों के साथ-साथ राष्ट्रीय ध्वज भी लहराएंगे। किसान भारत के संविधान में निहित लोकतंत्र, संघवाद, धर्मनिरपेक्षता और समाजवाद के सिद्धांतों की रक्षा करने का संकल्प लेंगे। ट्रैक्टरों के साथ, अन्य वाहन और मोटरसाइकिलें भी परेड में शामिल होंगी।''
'एसकेएम ने आगे कहा, ‘यह अभियान जीडीपी दरों पर निर्भर कॉरपोरेट राज आधारित विकास की मोदी सरकार के नैरेटिव के खिलाफ है। यह भी बताना चाहते हैं कि भारत के तीन ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की कहानी के पीछे प्रति व्यक्ति आय में गिरावट, बढ़ती आय असमानता और किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य और श्रमिकों को न्यूनतम मजदूरी से वंचित करना छिपा है।’
चलाया जाएगा जनजागरण अभियान
20 राज्यों में एसकेएम की राज्य इकाइयां घर-घर जाकर और पत्रक वितरण के माध्यम से पूरे भारत में अगले साल 10-20 जनवरी तक 'जन जागरण' अभियान चलाएंगी। इसमें कहा गया है कि जन अभियान का उद्देश्य केंद्र सरकार की "कॉर्पोरेट समर्थक आर्थिक नीतियों को उजागर करना" है। एसकेएम ने भारत भर के किसानों से "सांप्रदायिक और जातिवादी ध्रुवीकरण के माध्यम से लोगों का शोषण और विभाजन करने वाले कॉर्पोरेट-सांप्रदायिक गठजोड़" को हटाने के लिए अभियान और परेड को सफल बनाने का आह्वान किया है। बयान में कहा गया है कि जब तक केंद्र सरकार सभी मांगें पूरी नहीं कर लेती तब तक संघर्ष तेज किया जाएगा। एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, बयान में कहा गया है, ‘एसकेएम 26 जनवरी, 2024 को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में जिला स्तर पर ट्रैक्टर परेड आयोजित करेगा। उम्मीद है कि परेड कम से कम 500 जिलों में आयोजित की जाएगी। एसकेएम किसानों से बड़ी संख्या में परेड में शामिल होने की अपील करता है। खास है कि दिल्ली में औपचारिक परेड के समापन के बाद ट्रैक्टर परेड आयोजित की जाएगी।
एसकेएम के अनुसार, ये अभियान और विरोध प्रदर्शन न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी), स्वामीनाथन आयोग के सिफारिशों को लागू करना, कर्ज माफी, बिजली के निजीकरण को रोकना, किसानों के लखीमपुर खीरी नरसंहार में उनकी कथित भूमिका के लिए केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा ‘टेनी’ की बर्खास्तगी और मुकदमे जैसी मांगों पर आधारित होंगे।
द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, बयान में कहा गया है कि, ‘नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार की कॉरपोरेट समर्थक आर्थिक नीतियों, जो किसानों, श्रमिकों और बड़े पैमाने पर लोगों के हितों के लिए हानिकारक है, जिससे बड़े पैमाने पर बेरोजगारी, अनियंत्रित महंगाई, गरीबी, ऋणग्रस्तता और अनियंत्रित रूप से गांवों से शहरों की ओर पलायन होता है।’ एसकेएम ने आगे कहा, ‘यह अभियान जीडीपी दरों पर निर्भर कॉरपोरेट राज आधारित विकास की मोदी सरकार के नैरेटिव के खिलाफ है। यह भी बताना चाहते हैं कि भारत के तीन ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की कहानी के पीछे प्रति व्यक्ति आय में गिरावट, बढ़ती आय असमानता और किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य और श्रमिकों को न्यूनतम मजदूरी से वंचित करना छिपा है।’
एसकेएम के वरिष्ठ पदाधिकारी पी. कृष्णप्रसाद ने अखबार को बताया कि इसका उद्देश्य भाजपा के ‘सांप्रदायिक नैरेटिव’ को चुनौती देने के लिए आजीविका के मुद्दों पर इन दस दिनों के दौरान कम से कम 12 करोड़ लोगों तक पहुंचना है। कृष्णप्रसाद ने कहा कि एसकेएम और सीआईटीयू के कार्यकर्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ-भाजपा शासन के खिलाफ लोगों को संगठित करने के लिए घरों में जाएंगे और पत्रक वितरित करेंगे। एसकेएम ने कहा, ‘30-40 करोड़ घरों में से कम से कम 40% को कवर करने के लक्ष्य के लिए अभियान की तैयारी के लिए राज्य स्तरीय समन्वय समितियां तुरंत बैठक करेंगी।’
मालूम हो कि 26 जनवरी, 2021 को केंद्र के तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर किसान यूनियनों द्वारा बुलाई गई ट्रैक्टर रैली के दौरान हजारों प्रदर्शनकारी किसान पुलिस से भिड़ गए थे। कुछ प्रदर्शनकारी लाल किले तक पहुंच गए और उसके गुंबदों और प्राचीर पर ध्वजस्तंभ पर धार्मिक झंडे फहरा दिए, जहां स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री द्वारा राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है। अब एसकेएम ने देशभर के किसानों से ‘सांप्रदायिक और जातिवादी ध्रुवीकरण के माध्यम से लोगों का शोषण और विभाजन करने वाले कॉरपोरेट-सांप्रदायिक गठजोड़’ को हटाने के लिए अभियान और परेड को सफल बनाने का आह्वान किया है।
किसान मोर्चा ने केंद्र सरकार पर कॉरपोरेट समर्थक होने का आरोप लगाया है। किसान मोर्चा ने कहा कि "हमारा उद्देश्य उन आर्थिक नीतियों को उजागर करना है, जो किसानों, श्रमिकों और आम जनता के हितों के ख़िलाफ़ है, जिससे बड़े पैमाने पर बेरोजगारी, अनियंत्रित महंगाई, गरीबी, ऋणग्रस्तता और बेलगाम गांव से शहर का पलायन जैसी समस्याएं पैदा हो रही हैं।" SKM के मुताबिक़, "किसान और मज़दूर कार्यकर्ता घरों में जाकर पर्चे बांटेंगे और आरएसएस-भाजपा शासन के संरक्षण में कॉरपोरेट शोषण के ख़िलाफ़ आगामी संयुक्त और समन्वित संघर्ष कार्यों में लोगों की व्यापक भागीदारी सुनिश्चित करेंगे। 30.40 करोड़ घरों में से कम से कम 40% को कवर करने के लक्ष्य के लिए अभियान की तैयारी के लिए राज्य स्तरीय समन्वय समितियां तुरंत बैठक करेंगी।”
किसानों और खेत मज़दूरों की प्रमुख मांगों में, सभी फसलों की खरीद के लिए C2+50% की दर से एमएसपी की कानूनी गारंटी, ऋण माफी के जरिए किसानों को कर्ज मुक्ति, बिजली के निजीकरण को रोकना, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी को बर्खास्त करना और उनके ख़िलाफ़ मुकदमा चलाना आदि शामिल हैं। SKM ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा सभी मांगें पूरी होने तक संघर्ष तेज़ किया जाएगा।
पंजाब के किसान 18 जनवरी से चंडीगढ़ में शुरू करेंगे आंदोलन
पंजाब के पांच किसान संगठन अपनी विभिन्न मांगों को लेकर 18 जनवरी से चंडीगढ़ में आंदोलन शुरू करेंगे। पहले घोषणा की गई थी कि आंदोलन और धरना-प्रदर्शन चंडीगढ़ सीमा के मोहाली में किया जाएगा, लेकिन अब किसान राज्य की राजधानी में डटेंगे।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, चंडीगढ़ के सेक्टर 35 स्थित किसान भवन में किसान संगठनों की विशेष बैठक हुई। इस बैठक में भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) की ओर से बलबीर सिंह राजेवाल, अखिल भारतीय किसान फेडरेशन के प्रेम सिंह, किसान संघर्ष कमेटी के कमलप्रीत सिंह पन्नू, आजाद किसान संघर्ष कमेटी के हरजिंदर सिंह टांडा और बीकेयू मानसा के भोग सिंह ने शिरकत की। बैठक में आगामी आंदोलन की रूपरेखा पर विचार-विमर्श किया गया। बैठक के बाद किसान नेताओं ने कहा कि 18 जनवरी को किसान पंजाब में गिरते भूजल स्तर, फसलों की कम कीमत दिए जाने और सतलुज-यमुना लिंक नहर (एसवाईएल) सरीखे मुद्दों को लेकर चंडीगढ़ में पक्का मोर्चा लगाएंगे। इस बार किसानों का आंदोलन मोहाली से शुरू होकर चंडीगढ़ नहीं पहुंचेगा बल्कि इसे सीधा चंडीगढ़ में ही शुरू किया जाएगा।
किसान नेताओं ने कहा कि चंडीगढ़ पंजाब की राजधानी है और सूबे के किसान राजधानी में अपनी मांगों के लिए आवाज बुलंद कर सकते हैं। किसान संगठनों के वरिष्ठ नेताओं ने कहा कि अगर चंडीगढ़ प्रशासन और पुलिस ने आंदोलन की अनुमति नहीं दी, तो यह किसानों के अधिकारों का खुला हनन होगा; जिसे चुनौती दी जाएगी। वरिष्ठ किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल कहते हैं कि, “चंडीगढ़ में आंदोलन किस जगह पर होगा, इस बाबत फैसला आठ जनवरी को चंडीगढ़ प्रशासन के अधिकारियों के साथ बैठक के बाद लिया जाएगा। प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों को किसानों की मांगों के बारे में भी जानकारी दी जाएगी।”
राजेवाल ने कहा कि “18 जनवरी के आंदोलन के बारे में पूरे पंजाब के गांवों में एक लाख पोस्टर बांटे जाएंगे और किसानों को राज्य की राजधानी पहुंचने का आह्वान किया जाएगा। पंजाब में भूजल स्तर निरंतर गिरता जा रहा है। इसे लेकर राज्य और केंद्र सरकार कोई कदम नहीं उठा रही। उदासीनता भरा रवैया अपनाया जा रहा है।” अखिल भारतीय किसान फेडरेशन के नेता प्रेम सिंह के मुताबिक, “सूबे की भगवत सिंह मान सरकार ने जो गन्ने का समर्थन मूल्य तय व घोषित किया है, वह नाकाफी है। पंजाब के किसानों को यह नामंजूर है। इसे बढ़ाया जाए। किन्नू उत्पादकों से भी बेइंसाफी हो रही है। एसवाईएल के मसले पर किसानों की भावनाओं से खिलवाड़ किया जाता है। आंदोलन तभी खत्म होगा, जब इस सबका निर्णायक फैसला नहीं हो जाता।”
आजाद किसान संघर्ष कमेटी के हरजिंदर सिंह टांडा के अनुसार, “आंदोलन की शुरुआत बेशक चंडीगढ़ से हो रही है लेकिन यह दिल्ली तक जाएगा। सरकारी बहरी हैं या फिर जानबूझकर किसानों की आवाज को अनसुना कर रही हैं। इस बार हम हुकूमतों को मजबूर कर देंगे कि हमारी आवाज सुनी जाए और हमारी मांगें मानी जाएं। इस बार किसी भुलावे में नहीं आएंगे।” बीकेयू मानसा के भोग सिंह कहते हैं, “किसान पूरी तैयारी के साथ चंडीगढ़ में पड़ाव डालेंगे। हम हर कुर्बानी के लिए तैयार हैं। अब आर-पार की लड़ाई होगी। खेत-मजदूर भी हमारे साथ हैं। अन्य किसान संगठनों से भी संपर्क किया जा रहा है कि चंडीगढ़ आंदोलन में हमारा साथ दें। हरियाणा और देश के विभिन्न हिस्सों के किसान संगठनों से भी बातचीत की कोशिश हो रही है।
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26 जनवरी 2023 को गणतंत्र दिवस के मौके पर एसकेएम 500 जिलों में ट्रैक्टर परेड आयोजित करेगा। एक आधिकारिक बयान में गुरुवार को कहा गया कि संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) देश भर के लगभग 500 जिलों में गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर परेड आयोजित करेगा। एसकेएम ने कहा कि ट्रैक्टर परेड राष्ट्रीय राजधानी में औपचारिक गणतंत्र दिवस परेड के समापन के बाद आयोजित की जाएगी। "परेड में भाग लेने वाले किसान घटक संगठनों के झंडों के साथ-साथ राष्ट्रीय ध्वज भी लहराएंगे। किसान भारत के संविधान में निहित लोकतंत्र, संघवाद, धर्मनिरपेक्षता और समाजवाद के सिद्धांतों की रक्षा करने का संकल्प लेंगे। ट्रैक्टरों के साथ, अन्य वाहन और मोटरसाइकिलें भी परेड में शामिल होंगी।''
'एसकेएम ने आगे कहा, ‘यह अभियान जीडीपी दरों पर निर्भर कॉरपोरेट राज आधारित विकास की मोदी सरकार के नैरेटिव के खिलाफ है। यह भी बताना चाहते हैं कि भारत के तीन ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की कहानी के पीछे प्रति व्यक्ति आय में गिरावट, बढ़ती आय असमानता और किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य और श्रमिकों को न्यूनतम मजदूरी से वंचित करना छिपा है।’
चलाया जाएगा जनजागरण अभियान
20 राज्यों में एसकेएम की राज्य इकाइयां घर-घर जाकर और पत्रक वितरण के माध्यम से पूरे भारत में अगले साल 10-20 जनवरी तक 'जन जागरण' अभियान चलाएंगी। इसमें कहा गया है कि जन अभियान का उद्देश्य केंद्र सरकार की "कॉर्पोरेट समर्थक आर्थिक नीतियों को उजागर करना" है। एसकेएम ने भारत भर के किसानों से "सांप्रदायिक और जातिवादी ध्रुवीकरण के माध्यम से लोगों का शोषण और विभाजन करने वाले कॉर्पोरेट-सांप्रदायिक गठजोड़" को हटाने के लिए अभियान और परेड को सफल बनाने का आह्वान किया है। बयान में कहा गया है कि जब तक केंद्र सरकार सभी मांगें पूरी नहीं कर लेती तब तक संघर्ष तेज किया जाएगा। एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, बयान में कहा गया है, ‘एसकेएम 26 जनवरी, 2024 को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में जिला स्तर पर ट्रैक्टर परेड आयोजित करेगा। उम्मीद है कि परेड कम से कम 500 जिलों में आयोजित की जाएगी। एसकेएम किसानों से बड़ी संख्या में परेड में शामिल होने की अपील करता है। खास है कि दिल्ली में औपचारिक परेड के समापन के बाद ट्रैक्टर परेड आयोजित की जाएगी।
एसकेएम के अनुसार, ये अभियान और विरोध प्रदर्शन न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी), स्वामीनाथन आयोग के सिफारिशों को लागू करना, कर्ज माफी, बिजली के निजीकरण को रोकना, किसानों के लखीमपुर खीरी नरसंहार में उनकी कथित भूमिका के लिए केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा ‘टेनी’ की बर्खास्तगी और मुकदमे जैसी मांगों पर आधारित होंगे।
द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, बयान में कहा गया है कि, ‘नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार की कॉरपोरेट समर्थक आर्थिक नीतियों, जो किसानों, श्रमिकों और बड़े पैमाने पर लोगों के हितों के लिए हानिकारक है, जिससे बड़े पैमाने पर बेरोजगारी, अनियंत्रित महंगाई, गरीबी, ऋणग्रस्तता और अनियंत्रित रूप से गांवों से शहरों की ओर पलायन होता है।’ एसकेएम ने आगे कहा, ‘यह अभियान जीडीपी दरों पर निर्भर कॉरपोरेट राज आधारित विकास की मोदी सरकार के नैरेटिव के खिलाफ है। यह भी बताना चाहते हैं कि भारत के तीन ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की कहानी के पीछे प्रति व्यक्ति आय में गिरावट, बढ़ती आय असमानता और किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य और श्रमिकों को न्यूनतम मजदूरी से वंचित करना छिपा है।’
एसकेएम के वरिष्ठ पदाधिकारी पी. कृष्णप्रसाद ने अखबार को बताया कि इसका उद्देश्य भाजपा के ‘सांप्रदायिक नैरेटिव’ को चुनौती देने के लिए आजीविका के मुद्दों पर इन दस दिनों के दौरान कम से कम 12 करोड़ लोगों तक पहुंचना है। कृष्णप्रसाद ने कहा कि एसकेएम और सीआईटीयू के कार्यकर्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ-भाजपा शासन के खिलाफ लोगों को संगठित करने के लिए घरों में जाएंगे और पत्रक वितरित करेंगे। एसकेएम ने कहा, ‘30-40 करोड़ घरों में से कम से कम 40% को कवर करने के लक्ष्य के लिए अभियान की तैयारी के लिए राज्य स्तरीय समन्वय समितियां तुरंत बैठक करेंगी।’
मालूम हो कि 26 जनवरी, 2021 को केंद्र के तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर किसान यूनियनों द्वारा बुलाई गई ट्रैक्टर रैली के दौरान हजारों प्रदर्शनकारी किसान पुलिस से भिड़ गए थे। कुछ प्रदर्शनकारी लाल किले तक पहुंच गए और उसके गुंबदों और प्राचीर पर ध्वजस्तंभ पर धार्मिक झंडे फहरा दिए, जहां स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री द्वारा राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है। अब एसकेएम ने देशभर के किसानों से ‘सांप्रदायिक और जातिवादी ध्रुवीकरण के माध्यम से लोगों का शोषण और विभाजन करने वाले कॉरपोरेट-सांप्रदायिक गठजोड़’ को हटाने के लिए अभियान और परेड को सफल बनाने का आह्वान किया है।
किसान मोर्चा ने केंद्र सरकार पर कॉरपोरेट समर्थक होने का आरोप लगाया है। किसान मोर्चा ने कहा कि "हमारा उद्देश्य उन आर्थिक नीतियों को उजागर करना है, जो किसानों, श्रमिकों और आम जनता के हितों के ख़िलाफ़ है, जिससे बड़े पैमाने पर बेरोजगारी, अनियंत्रित महंगाई, गरीबी, ऋणग्रस्तता और बेलगाम गांव से शहर का पलायन जैसी समस्याएं पैदा हो रही हैं।" SKM के मुताबिक़, "किसान और मज़दूर कार्यकर्ता घरों में जाकर पर्चे बांटेंगे और आरएसएस-भाजपा शासन के संरक्षण में कॉरपोरेट शोषण के ख़िलाफ़ आगामी संयुक्त और समन्वित संघर्ष कार्यों में लोगों की व्यापक भागीदारी सुनिश्चित करेंगे। 30.40 करोड़ घरों में से कम से कम 40% को कवर करने के लक्ष्य के लिए अभियान की तैयारी के लिए राज्य स्तरीय समन्वय समितियां तुरंत बैठक करेंगी।”
किसानों और खेत मज़दूरों की प्रमुख मांगों में, सभी फसलों की खरीद के लिए C2+50% की दर से एमएसपी की कानूनी गारंटी, ऋण माफी के जरिए किसानों को कर्ज मुक्ति, बिजली के निजीकरण को रोकना, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी को बर्खास्त करना और उनके ख़िलाफ़ मुकदमा चलाना आदि शामिल हैं। SKM ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा सभी मांगें पूरी होने तक संघर्ष तेज़ किया जाएगा।
पंजाब के किसान 18 जनवरी से चंडीगढ़ में शुरू करेंगे आंदोलन
पंजाब के पांच किसान संगठन अपनी विभिन्न मांगों को लेकर 18 जनवरी से चंडीगढ़ में आंदोलन शुरू करेंगे। पहले घोषणा की गई थी कि आंदोलन और धरना-प्रदर्शन चंडीगढ़ सीमा के मोहाली में किया जाएगा, लेकिन अब किसान राज्य की राजधानी में डटेंगे।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, चंडीगढ़ के सेक्टर 35 स्थित किसान भवन में किसान संगठनों की विशेष बैठक हुई। इस बैठक में भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) की ओर से बलबीर सिंह राजेवाल, अखिल भारतीय किसान फेडरेशन के प्रेम सिंह, किसान संघर्ष कमेटी के कमलप्रीत सिंह पन्नू, आजाद किसान संघर्ष कमेटी के हरजिंदर सिंह टांडा और बीकेयू मानसा के भोग सिंह ने शिरकत की। बैठक में आगामी आंदोलन की रूपरेखा पर विचार-विमर्श किया गया। बैठक के बाद किसान नेताओं ने कहा कि 18 जनवरी को किसान पंजाब में गिरते भूजल स्तर, फसलों की कम कीमत दिए जाने और सतलुज-यमुना लिंक नहर (एसवाईएल) सरीखे मुद्दों को लेकर चंडीगढ़ में पक्का मोर्चा लगाएंगे। इस बार किसानों का आंदोलन मोहाली से शुरू होकर चंडीगढ़ नहीं पहुंचेगा बल्कि इसे सीधा चंडीगढ़ में ही शुरू किया जाएगा।
किसान नेताओं ने कहा कि चंडीगढ़ पंजाब की राजधानी है और सूबे के किसान राजधानी में अपनी मांगों के लिए आवाज बुलंद कर सकते हैं। किसान संगठनों के वरिष्ठ नेताओं ने कहा कि अगर चंडीगढ़ प्रशासन और पुलिस ने आंदोलन की अनुमति नहीं दी, तो यह किसानों के अधिकारों का खुला हनन होगा; जिसे चुनौती दी जाएगी। वरिष्ठ किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल कहते हैं कि, “चंडीगढ़ में आंदोलन किस जगह पर होगा, इस बाबत फैसला आठ जनवरी को चंडीगढ़ प्रशासन के अधिकारियों के साथ बैठक के बाद लिया जाएगा। प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों को किसानों की मांगों के बारे में भी जानकारी दी जाएगी।”
राजेवाल ने कहा कि “18 जनवरी के आंदोलन के बारे में पूरे पंजाब के गांवों में एक लाख पोस्टर बांटे जाएंगे और किसानों को राज्य की राजधानी पहुंचने का आह्वान किया जाएगा। पंजाब में भूजल स्तर निरंतर गिरता जा रहा है। इसे लेकर राज्य और केंद्र सरकार कोई कदम नहीं उठा रही। उदासीनता भरा रवैया अपनाया जा रहा है।” अखिल भारतीय किसान फेडरेशन के नेता प्रेम सिंह के मुताबिक, “सूबे की भगवत सिंह मान सरकार ने जो गन्ने का समर्थन मूल्य तय व घोषित किया है, वह नाकाफी है। पंजाब के किसानों को यह नामंजूर है। इसे बढ़ाया जाए। किन्नू उत्पादकों से भी बेइंसाफी हो रही है। एसवाईएल के मसले पर किसानों की भावनाओं से खिलवाड़ किया जाता है। आंदोलन तभी खत्म होगा, जब इस सबका निर्णायक फैसला नहीं हो जाता।”
आजाद किसान संघर्ष कमेटी के हरजिंदर सिंह टांडा के अनुसार, “आंदोलन की शुरुआत बेशक चंडीगढ़ से हो रही है लेकिन यह दिल्ली तक जाएगा। सरकारी बहरी हैं या फिर जानबूझकर किसानों की आवाज को अनसुना कर रही हैं। इस बार हम हुकूमतों को मजबूर कर देंगे कि हमारी आवाज सुनी जाए और हमारी मांगें मानी जाएं। इस बार किसी भुलावे में नहीं आएंगे।” बीकेयू मानसा के भोग सिंह कहते हैं, “किसान पूरी तैयारी के साथ चंडीगढ़ में पड़ाव डालेंगे। हम हर कुर्बानी के लिए तैयार हैं। अब आर-पार की लड़ाई होगी। खेत-मजदूर भी हमारे साथ हैं। अन्य किसान संगठनों से भी संपर्क किया जा रहा है कि चंडीगढ़ आंदोलन में हमारा साथ दें। हरियाणा और देश के विभिन्न हिस्सों के किसान संगठनों से भी बातचीत की कोशिश हो रही है।
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