पुलिस द्वारा पीड़िता और आरोपी के बीच हुए समझौते के बाद दलित लड़की के पिता ने आत्महत्या कर ली
Representation Image | Courtesy: Times of India
यूपी के पीलीभीत में अमरिया पुलिस स्टेशन के स्टेशन हाउस ऑफिसर (एसएचओ) को निलंबित कर दिया गया क्योंकि उन्होंने कथित तौर पर प्राथमिकी दर्ज करने और 11 वर्षीय दलित लड़की के अपहरण और बलात्कार में शामिल आरोपी व्यक्तियों को गिरफ्तार करने में देरी की। लड़की के पिता जो एक किसान हैं, ने आत्महत्या कर ली। टाइम्स ऑफ इंडिया ने बताया कि कथित तौर पर एसएचओ मुकेश शुक्ला लड़की के पिता पर समझौता करने का दवाब डाल रहे थे जिससे आहत होकर उन्होंने आत्महत्या कर ली।
9 मई को नाबालिग लड़की खेत में काम कर रहे अपने पिता के पास जा रही थी तभी 20 वर्षीय आरोपी ने उसका अपहरण कर लिया। अगले दिन जब पिता ने शिकायत दर्ज की, तो एसएचओ ने कथित तौर पर लड़की के माता-पिता की अनुपस्थिति में पीड़िता और आरोपी के बीच समझौता कराया और मामला बंद कर दिया गया। मामला बंद होने के बाद, लड़की के पिता ने एक पेड़ से फांसी लगा ली और 17 मई को उनका शव मिला। आखिरकार, इस घटना के बाद प्राथमिकी दर्ज की गई। शुक्ला (जिसे तब निलंबित नहीं किया गया था) ने टीओआई को बताया कि आरोपी राहुल, दिनेश और रोहित थे और उन पर धारा 363 (अपहरण), 376 (बलात्कार), 342, 120 बी (आपराधिक साजिश), 306 (आत्महत्या करने के लिये उकसाना) साथ ही यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम, 2012 और अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 की कुछ धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया।
लड़की के भाई का आरोप है कि आरोपी उसका अपहरण कर उत्तराखंड के किच्छा ले गया जहां एक आरोपी ने उसके साथ दुष्कर्म किया और पुलिस को बताने पर गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी।
एसपी, पीलीभीत, अतुल शर्मा द्वारा शुक्ला के खिलाफ एक रिपोर्ट दर्ज की गई थी और इसलिए उन्हें निलंबित कर दिया गया था। इसके अलावा शुक्ला के खिलाफ अंचल अधिकारी डॉ प्रतीक दहिया के नेतृत्व में एक विस्तृत जांच शुरू की गई है।
शुक्ला ने पीड़िता की चिकित्सा जांच में भी देरी की, जिसे अंततः 20 मई को जांच के लिए भेजा गया था। डॉ. अनीता चौरसिया ने प्रकाशन को बताया कि घटना के 11 दिन बाद वे केवल चोट के ठीक हुए निशान (यदि कोई हो) की पहचान कर सकते हैं।
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यूपी के पीलीभीत में अमरिया पुलिस स्टेशन के स्टेशन हाउस ऑफिसर (एसएचओ) को निलंबित कर दिया गया क्योंकि उन्होंने कथित तौर पर प्राथमिकी दर्ज करने और 11 वर्षीय दलित लड़की के अपहरण और बलात्कार में शामिल आरोपी व्यक्तियों को गिरफ्तार करने में देरी की। लड़की के पिता जो एक किसान हैं, ने आत्महत्या कर ली। टाइम्स ऑफ इंडिया ने बताया कि कथित तौर पर एसएचओ मुकेश शुक्ला लड़की के पिता पर समझौता करने का दवाब डाल रहे थे जिससे आहत होकर उन्होंने आत्महत्या कर ली।
9 मई को नाबालिग लड़की खेत में काम कर रहे अपने पिता के पास जा रही थी तभी 20 वर्षीय आरोपी ने उसका अपहरण कर लिया। अगले दिन जब पिता ने शिकायत दर्ज की, तो एसएचओ ने कथित तौर पर लड़की के माता-पिता की अनुपस्थिति में पीड़िता और आरोपी के बीच समझौता कराया और मामला बंद कर दिया गया। मामला बंद होने के बाद, लड़की के पिता ने एक पेड़ से फांसी लगा ली और 17 मई को उनका शव मिला। आखिरकार, इस घटना के बाद प्राथमिकी दर्ज की गई। शुक्ला (जिसे तब निलंबित नहीं किया गया था) ने टीओआई को बताया कि आरोपी राहुल, दिनेश और रोहित थे और उन पर धारा 363 (अपहरण), 376 (बलात्कार), 342, 120 बी (आपराधिक साजिश), 306 (आत्महत्या करने के लिये उकसाना) साथ ही यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम, 2012 और अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 की कुछ धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया।
लड़की के भाई का आरोप है कि आरोपी उसका अपहरण कर उत्तराखंड के किच्छा ले गया जहां एक आरोपी ने उसके साथ दुष्कर्म किया और पुलिस को बताने पर गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी।
एसपी, पीलीभीत, अतुल शर्मा द्वारा शुक्ला के खिलाफ एक रिपोर्ट दर्ज की गई थी और इसलिए उन्हें निलंबित कर दिया गया था। इसके अलावा शुक्ला के खिलाफ अंचल अधिकारी डॉ प्रतीक दहिया के नेतृत्व में एक विस्तृत जांच शुरू की गई है।
शुक्ला ने पीड़िता की चिकित्सा जांच में भी देरी की, जिसे अंततः 20 मई को जांच के लिए भेजा गया था। डॉ. अनीता चौरसिया ने प्रकाशन को बताया कि घटना के 11 दिन बाद वे केवल चोट के ठीक हुए निशान (यदि कोई हो) की पहचान कर सकते हैं।
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