शर्मनाक : शिमला में कथित तौर पर गौशाला में बंद किए गए दलित लड़के ने आत्महत्या की

Written by sabrang india | Published on: September 30, 2025
"बच्चा एक ऊंची जाति के पड़ोसी के घर गया था, तभी एक महिला ने उसे पकड़ लिया और उस पर उसके घर को अपवित्र करने का आरोप लगाया।"



शिमला जिले के रोहड़ू उपमंडल के एक 12 वर्षीय दलित लड़के ने कथित तौर पर पड़ोसी द्वारा अपमानित किए जाने और गौशाला में बंद कर दिए जाने के बाद आत्महत्या कर ली। पुलिस ने अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया है।

द ऑब्जर्वर पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, लड़के के चाचा सुरेश बंता के अनुसार, बच्चा एक ऊंची जाति के पड़ोसी के घर गया था, तभी एक महिला ने उसे पकड़ लिया और उस पर उसके घर को अपवित्र करने का आरोप लगाया। बंता ने बताया, "उसने उसे एक गौशाला में बंद कर दिया। बाद में, उसने लड़के से कहा कि उसके माता-पिता को घर की शुद्धि के लिए उसे एक बकरा देना होगा।" लड़का किसी तरह बचकर घर लौटा, जहां उसने जहर खा लिया। उसे शिमला के इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन एक दिन बाद उसकी मौत हो गई।

रोहड़ू के डीएसपी प्रणव चौहान ने कहा कि पुलिस वैज्ञानिक साक्ष्यों पर भरोसा कर रही है क्योंकि कोई प्रत्यक्षदर्शी नहीं है। उन्होंने कहा, "हम मामले की तह तक पहुंचने के लिए गहन जांच कर रहे हैं।"

इस मौत से स्थानीय दलित समुदाय में भारी नाराजगी है। कोली समाज के कोषाध्यक्ष विनोद सिंहटा ने कहा कि यह घटना इलाके में रोजमर्रा के जातिगत भेदभाव को दर्शाती है। उन्होंने कहा, "यहां जातिवाद का बोलबाला है। एक कुत्ता ऊंची जाति के व्यक्ति के घर में घुस सकता है, लेकिन अगर कोई अनुसूचित जाति का व्यक्ति घुस जाए, तो उस घर को अपवित्र मान लिया जाता है। यह मानसिकता बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।"

नेताओं ने भी इस घटना को लेकर तीखी प्रतिक्रिया दी है। सीपीएम के राज्य सचिव संजय चौहान ने इस घटना को शर्मनाक बताया। उन्होंने कहा, "अगर लड़के की मौत जातिवाद के कारण हुई है, तो इससे ज्यादा शर्मनाक कुछ नहीं हो सकता। ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो, इसके लिए कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए।"

दलितों के साथ भेदभाव या उन्हें टॉर्चर करने का मामला रोजमर्रा की घटना हो गई है। हाल ही में तमिलनाडु के तंजावुर जिले से जातिगत भेदभाव का एक बेहद शर्मनाक और चौंकाने वाला मामला सामने आया। कोल्लनगराई गांव में स्कूल जा रहे दलित समाज के कुछ बच्चों को एक बुजुर्ग महिला ने कथित तौर पर लाठी दिखाकर जाने से रोक दिया। इस पूरी घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया जिसके बाद लोगों में भारी नाराजगी देखी गई।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, वायरल हुए वीडियो में साफ तौर पर देखा जा सकता है कि एक युवक कुछ स्कूली बच्चों को लेकर रास्ते से गुजर रहा है, तभी एक बुजुर्ग महिला हाथ में लाठी लेकर उनका रास्ता रोक लेती है। युवक द्वारा लाठी को किनारे हटाने के बावजूद महिला बार-बार उन्हें आगे बढ़ने से रोकने की कोशिश करती है।

इस घटना पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए तमिलनाडु अस्पृश्यता उन्मूलन मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष चेल्लकन्नू ने इस कृत्य की सख्त निंदा की। उन्होंने बताया कि वृद्धा ने बच्चों को रोकने के दौरान 'एलिया साथी' शब्द का इस्तेमाल किया, जो दलित समुदाय के लिए अत्यंत अपमानजनक माना जाता है।

चेल्लकन्नू ने मामले की जानकारी देते हुए बताया कि जिस रास्ते को लेकर विवाद पैदा हुआ, वह एक सामान्य कच्चा रास्ता है। यह रास्ता सरकारी दस्तावेजों में 'वांडी पाथाई' के रूप में दर्ज है, जिसका मतलब है कि यह गाड़ियों के आने जाने के लिए अधिकृत मार्ग है।

इसी महीने राजस्थान के चारू जिले की सरदारशहर तहसील में स्थित सादासर गांव के मंदिर में प्रवेश को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया। बताया गया कि दलित समुदाय के कुछ युवाओं को मंदिर में प्रवेश से न केवल रोका गया बल्कि उनके साथ जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल करते हुए मारपीट भी की गई। इस पूरी घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आने के बाद इलाके में तनाव फैल गया। मामले को गंभीरता से लेते हुए पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू की।

द मूकनायक की रिपोर्ट के अनुसार, घटना उस समय हुई जब गांव में आयोजित एक भागवत कथा के समापन पर शोभायात्रा निकाली जा रही थी। शोभायात्रा के बाद, 19 वर्षीय कानाराम मेघवाल अपने दोस्त संदीप, मुकेश, विष्णु और कालूराम के साथ गांव के ठाकुरजी मंदिर में दर्शन करने पहुंचे। पीड़ित कानाराम द्वारा दर्ज कराई गई FIR के अनुसार, मंदिर परिसर में पहले से मौजूद कुछ लोगों ने उन्हें जाति का हवाला देकर रोक लिया।

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