सरेआम गोली चला कर दिल्ली दंगों का पोस्टर बॉय बना दिया गया शाहरुख़ मंगलवार को शामली से पकड़ा गया। पोस्टर बॉय बनाने का मकसद आप समझ सकते हैं, पकड़ने में इतनी देर होने का कारण भी। अब इसे कुछ तथ्यों से मिलाकर देखिए। खबर है कि दो मुस्लिम सिपाहियों ने उसका सरेंडर प्लान किया। शाहरुख के पास 7.65 एमएम की पिस्टल मिली है। (पुलिस से अनुसार उसने देसी पिस्टल का उपयोग किया जो मुंगेर में बनी अच्छी क्वालिटी की है पर बरामद नहीं हुई है)। शाहरुख के पास 5 कारतूस थे और उसने दो फायर किए। शाहरुख को जिस ढंग से प्रचारित किया गया उससे लगता है कि वह किसी की चाल हो सकती है। क्यों, यह बताने की जरूरत नहीं है। ऐन दंगों के बीच शाहरुख जैसे शूटर (जो कपड़ों से नहीं पहचाना जा रहा था) की पहचान छिपाई जा सकती थी। इससे फायदा न होता पर नुकसान तो कोई नहीं था। और पहचान बताने का नुकसान तो किसी को भी समझ में आना चाहिए।
आईएएनस के एक सवाल के जवाब में दिल्ली पुलिस के एडिशनल कमिश्नर अजीत कुमार सिंगला ने कहा कि उसके पास छह गोलियां थीं उसने तीन गोलियां चलाईं और उसके पास से दो जिन्दा कारतूस बरामद हुए हैं। उसने पुलिस से कहा कि एक गोली कहीं गिर गई होगी। उन्होंने कहा कि पिस्टल बरामद नहीं हुई है। पिस्टल और खोए जिन्दा कारतूस को बरामद करना पुलिस टीम का मुख्य काम है। ऐसे में सच क्या है पता नहीं, लेकिन इसी चक्कर में यह खबर दब गई है कि उसने प्रतिबंधित बोर की रिवॉल्वर का उपयोग किया।
ऐसे शहारुख को इतने दिनों बाद गिरफ्तार किए जाने पर उसके पास 7.65 मिमी पिस्टल मिलने का भी अर्थ है (वह इसे फेंक भी सकता था)। इसमें 38 बोर का कारतूस लगता है और 38 बोर का कारतूस बाज़ार में नहीं मिलता। यह प्रतिबंधित बोर है। पूरे देश में पुलिस के रिवॉल्वर या पिस्टल अधिकांश 38 बोर के होते हैं । पिस्टल बरामद हुआ या नहीं, सवाल यह है कि शाहरुख को पिस्टल और गोलियां किसने दीं? (पुलिस ने कहा है कि उसके पास दो साल से था, और कहने की जरूरत नहीं है उसे पता नहीं था, अब पता चला) शाहरुख के पास असलहा तो मुंगेर का है लेकिन कारतूस पुलिस द्वारा उपयोग किया जाने वाला। यह सप्लाई पुलिस भी (या ही?) कर सकती है। इस पोस्ट में यह तथ्य जोड़ लीजिए कि पहले ही दिन उसका नाम यानी मुसलमान होना बता दिया गया, गिरफ्तार नहीं हुआ था पर अखबारों में छपवाया गया कि गिरफ्तार हो गया है और फर्जी वीडियो वायरल किया गया कि रवीश ने उसे अनुराग मिश्रा कहा था। ये सारी बातें मिला कर देखिए दिल्ली दंगों का राज समझ में आता लगेगा।
(Pankaj Chaturvedi की पोस्ट के आधार पर)
आईएएनस के एक सवाल के जवाब में दिल्ली पुलिस के एडिशनल कमिश्नर अजीत कुमार सिंगला ने कहा कि उसके पास छह गोलियां थीं उसने तीन गोलियां चलाईं और उसके पास से दो जिन्दा कारतूस बरामद हुए हैं। उसने पुलिस से कहा कि एक गोली कहीं गिर गई होगी। उन्होंने कहा कि पिस्टल बरामद नहीं हुई है। पिस्टल और खोए जिन्दा कारतूस को बरामद करना पुलिस टीम का मुख्य काम है। ऐसे में सच क्या है पता नहीं, लेकिन इसी चक्कर में यह खबर दब गई है कि उसने प्रतिबंधित बोर की रिवॉल्वर का उपयोग किया।
ऐसे शहारुख को इतने दिनों बाद गिरफ्तार किए जाने पर उसके पास 7.65 मिमी पिस्टल मिलने का भी अर्थ है (वह इसे फेंक भी सकता था)। इसमें 38 बोर का कारतूस लगता है और 38 बोर का कारतूस बाज़ार में नहीं मिलता। यह प्रतिबंधित बोर है। पूरे देश में पुलिस के रिवॉल्वर या पिस्टल अधिकांश 38 बोर के होते हैं । पिस्टल बरामद हुआ या नहीं, सवाल यह है कि शाहरुख को पिस्टल और गोलियां किसने दीं? (पुलिस ने कहा है कि उसके पास दो साल से था, और कहने की जरूरत नहीं है उसे पता नहीं था, अब पता चला) शाहरुख के पास असलहा तो मुंगेर का है लेकिन कारतूस पुलिस द्वारा उपयोग किया जाने वाला। यह सप्लाई पुलिस भी (या ही?) कर सकती है। इस पोस्ट में यह तथ्य जोड़ लीजिए कि पहले ही दिन उसका नाम यानी मुसलमान होना बता दिया गया, गिरफ्तार नहीं हुआ था पर अखबारों में छपवाया गया कि गिरफ्तार हो गया है और फर्जी वीडियो वायरल किया गया कि रवीश ने उसे अनुराग मिश्रा कहा था। ये सारी बातें मिला कर देखिए दिल्ली दंगों का राज समझ में आता लगेगा।
(Pankaj Chaturvedi की पोस्ट के आधार पर)