बाबरी मस्जिद की शहादत पर खुश होने वाले कथित हिंदुओ देख लो, छोटी सी जीत भी उन्हें नही पचती......

Written by Chandra Bhushan Singh Yadav | Published on: October 7, 2018
जयश्रीराम बोलते हुए बाबरी मस्जिद को मुसलमानों का प्रतीक मान ढाह देने वाले तथाकथित हिंदुओं देख लो उन्हें तुम्हारी छोटी सी जीत भी नापसन्द है। इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अध्यक्ष के पद पर समाजवादी पार्टी समर्थित उदय यादव जीत क्या गए हॉलैंड हॉस्टल का नव निर्वाचित अध्यक्ष सहित निवर्तमान अध्यक्ष अवनीश यादव व अजीत यादव उर्फ विधायक का कमरा आग के हवाले कर उसके छत तक को उड़ा दिया गया है। कहाँ है लोकतंत्र,कहाँ है लोकतंत्र का सम्मान?



जनमत के आदर की बात करने वाली मनुवादी जमातें इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव में अध्यक्ष पद पर अपनी हार को पचा नही पाई हैं। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद हार से इतनी न बौखला गयी है कि हॉस्टल के कमरे आग के हवाले हो गए हैं। निवर्तमान व नवनिर्वाचित अध्यक्षो का कमरा उड़ा दिया गया है। हम किस लोकतंत्र की कल्पना कर रहे हैं? आखिर यह क्या हो रहा है?



सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में कहा कि बाबरी मस्जिद को महफूज रखना है। भाजपा की सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया कि वह बाबरी मस्जिद पर खरोंच भी नही आने देगी। राष्ट्रीय एकता परिषद को इत्मीनान दिलाया गया कि बाबरी मस्जिद सुरक्षित रहेगी लेकिन उसे ध्वस्त कर दिया गया और शौर्य दिवस आज भी मनाया जाता है। कहाँ गया कानून व संविधान का सम्मान?



अम्बेडकरवाद हिंदुत्व पर जब भारी पड़ने लगा है तो अम्बेडकर साहब की मूर्तियां तोड़ी जाने लगी हैं। दलित,वंचित,पिछड़ा,मुसलमान जब समता की बात करने लगा है तो मॉब लिंचिंग का शिकार होने लगा है।भीमा कोरेगांव हो या 02 अप्रैल के एससी-एसटी ऐक्ट का आंदोलन, शांतिपूर्ण जुलूस निकाल रहे लोग अभिजात्य मानसिकता का शिकार बनाये गए हैं। 



मनुवाद अपने चरम पर है।वंचित समाज इनके टारगेट पर है। वंचित समाज के प्रतीक स्थल इन्हें आकुल-ब्याकुल कर रहे हैं। वंचित नेतृत्व इन्हें खलने लगा है। इसलिए चारो तरफ़ इनकी हताशा इन्हें आंदोलित कर रही है और ये गैरकानूनी रूप धारण कर रहे हैं।कथित हिंदुओं! देख लो, ये केवल मुसलमानों को नही लक्ष्य किये हुए हैं ये मौका मिलते दलित को भी ठिकाने लगा रहे हैं तो पिछड़ा भी इनके द्वारा दुरुस्त हो रहा है।इसलिए हे कथित पिछड़े/दलित हिन्दुओ!चेतो और बहुजन बनो फिर देख लेना कोई आंख न दिखा सकेगा।



इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव में उदय यादव की जीत इन्हें अंदर तक कितनी पीड़ित की है कि ये नवनिर्वाचित अध्यक्ष के घर का होलिका दहन कर रावण वध की तरह उसके छत को उड़ा आये हैं। समझो, बूझो, जानो फिर मानो अन्यथा दुर्दशा तो होनी ही है।

(लेखक चंद्रभूषण यादव त्रैमासिक पत्रिका 'यादव शक्ति' के प्रधान संपादक हैं।)

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