सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कहा- अपने नागरिकों के स्वास्थ्य की चिंता करें, ना कि वाणिज्यिक एयरलाइनों की

Written by sabrang india | Published on: May 26, 2020
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को कहा कि आपको अपने नागरिकों के स्वास्थ्य के बारे में चिंतित होना चाहिए, न कि वाणिज्यिक एयरलाइनों के बारे में। कोर्ट ने सोमवार को एयर इंडिया को 10 दिनों के लिए यानी 6 जून तक गैर-अनुसूचित उड़ानों में विमानों की मध्य पंक्ति सीट पर यात्री के साथ सेवा संचालित करने की अनुमति दी।



कानूनी मामलों की समाचार वेबसाइट लाइव लॉ के मुताबिक, मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे, जस्टिस ए एस बोपन्ना और जस्टिस हृषिकेश रॉय की पीठ ने कहा कि उपरोक्त तारीख के बाद गैर-अनुसूचित उड़ान संचालन के लिए, एयर इंडिया बॉम्बे हाईकोर्ट के निर्देशों का पालन करेगी, ताकि विमान में मध्य सीटें खाली रहें।

पीठ ने असाधारण स्थिति को ध्यान में रखते हुए छूट दी कि 6 जून तक की मध्य सीटों के लिए उड़ान टिकट पहले ही जारी किए जा चुकी हैं और इसे रद्द करने से विदेश में फंसे भारतीयों को चिंता और असुविधा हो सकती है। हालांकि, इस दौरान बेंच अंतरराष्ट्रीय उड़ानों में मध्य-पंक्ति सीटों की बुकिंग की अनुमति के फैसले के बारे में नाराजगी व्यक्त करने से पीछे नहीं हटी यात्रियों को घातक वायरस के संक्रमण का खतरा पैदा हो जाएगा।

मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे ने कहा, "बाहर आप 6 फीट की दूरी रखते हैं और अंदर आप सीट के अंतर को भी खत्म कर रहे हैं ... क्या वायरस को पता चलेगा कि वो विमान में है और इसे संक्रमित नहीं करना है?" 

सीजेआई बोबडे ने यह भी कहा कि मुख्य ध्यान लोगों के स्वास्थ्य की रक्षा पर होना चाहिए न कि एक वाणिज्यिक एयरलाइन के [आर्थिक (खंड।)] स्वास्थ्य पर। "आप क्यों आपत्ति कर रहे हैं? हम जानते हैं कि हम क्या कर रहे हैं। आपको नागरिकों के स्वास्थ्य के बारे में चिंतित होना चाहिए, न कि वाणिज्यिक एयरलाइनों के स्वास्थ्य के बारे में"

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता भारत संघ (नागरिक उड्डयन मंत्रालय) और एयर इंडिया लिमिटेड के लिए पेश हुए, दोनों ने बॉम्बे हाईकोर्ट के 22 मई के आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें गैर अधिसूचित अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों के संबंध में भी एयर इंडिया को मध्य-पंक्ति की सीटें खाली रखने का निर्देश दिया था।

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