पिछले 4 साल में बैंक का एनपीए रिकार्ड स्तर पर है और डब्ल्यूटीओ का सुझाव है कि जल्द से जल्द बैंको को बेच दिया जाए। जहां रोज नए बैंक खुल रहे हैं, सरकारी बैंकों का एकीकरण कर उनकी संख्या घटाई जा रही है।
फायदे में चल रही सरकारी बीमा कंपनियों के एकीकरण का प्रस्ताव है, जबकि निजी दुकानें रोज खुल रही हैं।
कोयले से चलने वाली 16,000 मेगावॉट क्षमता की कम से कम 32 बिजली परियोजना दिवालिया होने के कगार पर हैं। उनकी दिक्कत यह है उन्हें कोयला नहीं मिल रहा या उनकी बिजली कोई खरीदने वाला नहीं है।
सोलर पॉवर बर्बाद होने वाला है क्योंकि सोलर प्लांट का 85% पैनल चीन से आता है और सरकार ने आयात पर 25% सेफगार्ड ड्यूटी लगा दिया।
करीब 15,000 मेगावॉट क्षमता की पनबिजली परियोजनाएं इसलिए बर्बाद पड़ी हैं कि केंद्र सरकार 4 साल से इसके लिए नई नीति लाने की सिर्फ घोषणा कर रही है।
देश भर के किसान तबाह हैं। उनके गेहूं धान की जितनी लागत आ रही है, उतना पैसा नहीं मिल रहा है बेचने पर। गुस्सा विभिन्न रूप में उभर रहा है। कही आरक्षण की मांग पर तोड़फोड़ हो रही है तो कहीं दूध सब्जियां सड़क पर फेंका जा रहा है।
जियो का फेवर लेने की वजह से कई टेलीफोन कम्पनियां बिक गईं, कई बर्बाद हो गईं। मुनाफा केवल जियो को है। ट्राई ने 5जी स्पेक्ट्रम का दाम घटाकर आधा कर दिया है और उसका कोई खरीदार नहीं है।
कोई नया स्कूल, कॉलेज, अस्पताल, यूनिवर्सिटी नहीं खुली जिनका नाम लिया जा सके और कहा जा सके कि यह काम हुआ है।
देश भर में लोग जाति औऱ धर्म के नाम पर एक दूसरे को गालियां दे रहे हैं। कानून व्यवस्था सरकार का काम नही रहकर गुंडों का काम हो गया है। भीड़ सड़क पर अपने मुताबिक लोगों को मार रही है।
और भी बहुत कुछ हैं उपलब्धियां।
और आखिर में
कोई अच्छा भाषणबाज हो तो कोई जरूरी नहीं कि उसे कविता पाठ भी आता हो। उसे भी देश झेल गया आज।
(नोट- ये लेखक के निजी विचार हैं। यह लेख सत्येंद्र प्रताप सिंह की फेसबुक पोस्ट में पहले ही प्रकाशित किया जा चुका है।)
फायदे में चल रही सरकारी बीमा कंपनियों के एकीकरण का प्रस्ताव है, जबकि निजी दुकानें रोज खुल रही हैं।
कोयले से चलने वाली 16,000 मेगावॉट क्षमता की कम से कम 32 बिजली परियोजना दिवालिया होने के कगार पर हैं। उनकी दिक्कत यह है उन्हें कोयला नहीं मिल रहा या उनकी बिजली कोई खरीदने वाला नहीं है।
सोलर पॉवर बर्बाद होने वाला है क्योंकि सोलर प्लांट का 85% पैनल चीन से आता है और सरकार ने आयात पर 25% सेफगार्ड ड्यूटी लगा दिया।
करीब 15,000 मेगावॉट क्षमता की पनबिजली परियोजनाएं इसलिए बर्बाद पड़ी हैं कि केंद्र सरकार 4 साल से इसके लिए नई नीति लाने की सिर्फ घोषणा कर रही है।
देश भर के किसान तबाह हैं। उनके गेहूं धान की जितनी लागत आ रही है, उतना पैसा नहीं मिल रहा है बेचने पर। गुस्सा विभिन्न रूप में उभर रहा है। कही आरक्षण की मांग पर तोड़फोड़ हो रही है तो कहीं दूध सब्जियां सड़क पर फेंका जा रहा है।
जियो का फेवर लेने की वजह से कई टेलीफोन कम्पनियां बिक गईं, कई बर्बाद हो गईं। मुनाफा केवल जियो को है। ट्राई ने 5जी स्पेक्ट्रम का दाम घटाकर आधा कर दिया है और उसका कोई खरीदार नहीं है।
कोई नया स्कूल, कॉलेज, अस्पताल, यूनिवर्सिटी नहीं खुली जिनका नाम लिया जा सके और कहा जा सके कि यह काम हुआ है।
देश भर में लोग जाति औऱ धर्म के नाम पर एक दूसरे को गालियां दे रहे हैं। कानून व्यवस्था सरकार का काम नही रहकर गुंडों का काम हो गया है। भीड़ सड़क पर अपने मुताबिक लोगों को मार रही है।
और भी बहुत कुछ हैं उपलब्धियां।
और आखिर में
कोई अच्छा भाषणबाज हो तो कोई जरूरी नहीं कि उसे कविता पाठ भी आता हो। उसे भी देश झेल गया आज।
(नोट- ये लेखक के निजी विचार हैं। यह लेख सत्येंद्र प्रताप सिंह की फेसबुक पोस्ट में पहले ही प्रकाशित किया जा चुका है।)