अखबारनामा: वंशवाद में फंसी भाजपा और लेमनचूस दिखाते शीर्षक

Written by संजय कुमार सिंह | Published on: October 28, 2019
हरियाणा में भाजपा की "अभूतपूर्व" जीत के बाद इंडियन एक्सप्रेस में रविवार को प्रकाशित इस लीड खबर का शीर्षक हिन्दी में कुछ इस तरह होगा, "एक सहयोगी उपमुख्यमंत्री है, दूसरा मुख्यमंत्री होना चाहता है"। हिन्दी का गोदी मीडिया ऐसी सामान्य सूचनाएं भी नहीं देता है। फ्लैग शीर्षक में सरकार बनाने के लिए अंग्रेजी में ‘एकसरसाइज’ तो आम है पर हिन्दी में कसरत लिखा जाता तो, दो राज्यों में भाजपा की सरकार बनाने की कसरत - भी व्यंगात्मक है। आइए, आज देंखें कि हिन्दी अखबारों में कोई इतना व्यंग भी कर पाया है?



हालांकि, इस "कसरत" की गंभीरता का पता टाइम्स ऑफ इंडिया के शीर्षक से चलता है। अखबार की लीड खबर का शीर्षक है, महाराष्ट्र में सेना और भाजपा दोनों के रुख सख्त होने से अंतिम भिड़ंत की स्थिति। इसमें महाराष्ट्र को पूरा नहीं लिखा गया है और इसलिए यह हिन्दी का ‘महा’ भी पढ़ा जा सकता है और तब शीर्षक होगा ‘महा मुकाबले के लिए मंच तैयार’। उपशीर्षक है 50:50 के विवाद में दोनों पक्ष तीसरी पार्टी का विकल्प टटोल सकते हैं।

इसके मुकाबले, दैनिक भास्कर का फ्लैग शीर्षक है, पेंच फंसा : महाराष्ट्र में आदित्य ठाकरे को ढाई साल का सीएम बनाने पर अड़ी शिवसेना। मुख्य शीर्षक है, उद्धव बोले - 50:50 फार्मूले पर लिखकर दे भाजपा, सरकार बनाने की बात उसके बाद। हरियाणा की खबर इस मुख्य खबर के साथ पर अलग शीर्षक से है, हरियाणा: मनोहर लाल खट्टर आज लेंगे मुख्यमंत्री पद की शपथ, दुष्यंत चौटाला उपमुख्यमंत्री होंगे। इसके साथ ही दुष्यंत के पिता को दो हफ्ते का फरलो - खबर भी है। कुल मिलाकर वंशवाद पर बड़ी-बड़ी बातें करने वाले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पार्टी दोनों राज्य में बाकायदा वंशवाद को सींच रही है और आज तो उसी में फंसी-सनी पड़ी है।

यह अलग बात है कि इसे द टेलीग्राफ ने जितना साफ-साफ कहा है वैसा कहने का रिवाज अब अखबारों में दिखता नहीं है। हिन्दुस्तान में यह दो कॉलम की साधारण छोटी सी खबर है। हरियाणा में आज से मनोहर लाल की नई पारी और इसके साथ छोटे से बॉक्स में महाराष्ट्र में शिव सेना ने ढाई साल के लिए सीएम पद मांगा शीर्षक से छोटी सी खबर है। ब्यौरा अंदर होने की सूचना है।

नवभारत टाइम्स ने विज्ञापनों से भरे पहले पन्ने पर तीन कॉलम में तीन लाइन का शीर्षक लगाया है, शिवसेना का महाबम, बीजेपी लिखकर दे पहले हमारा सीएम। आज दीवाली के दिन नवभारत टाइम्स का पहला पन्ना देखकर लग रहा है कि विज्ञापन देने (या लेने) वालों ने इस एक खबर की ही जगह छोड़ी थी। अखबार ने कुछ और खबरें जबरदस्ती लगा दी हैं। मंदी में इतना विज्ञापन देखकर याद आ रहा है कि पुराने समय में अखबारों में पहले पन्ने पर एक ही विज्ञापन होता था और जहां तक मुझे याद है, किसी अखबार ने तो दावा भी किया था कि वह पहले पन्ने पर खास आकार के एक ही विज्ञापन से ज्यादा नहीं छापता है।

अब वैसे दिन नहीं रहे और ना पाठकों की सलाह का कोई मतलब है। पर सच यही है कि विज्ञापन ज्यादा हो तो आदमी बिना देखे आगे बढ़ जाता है जैसे टेंडर नोटिस या क्लासीफायड (खासकर वैवाहिक) विज्ञापन वाला पन्ना वही पढ़ते हैं जिन्हें अपनी या बच्चों की शादी करनी होती है (हालांकि मैंने तब भी पढ़ना शुरू नहीं किया है)। जबसे खबर पढ़ी है कि सारे टेंडर अहमदाबाद (या गुजरात) की फर्मों को मिल रहे हैं तब से यह भी समझ में नहीं आ रहा है कि अखबारों में टेंडर नोटिस कोई पढ़ता है या सिर्फ औपचारिकता रह गई है। खैर, मैं विषयांतर हो गया।

अमर उजाला का शीर्षक है, हरियाणा में आज शपथ लेंगे मनोहरलाल, महाराष्ट्र में 50-50 पर अड़ी शिवसेना। अमर उजाला ने अपनी इस मुख्य खबर के साथ कई छोटी-बड़ी खबरें छापी हैं और इनमें कई सूचनाएं हैं जैसे महाराष्ट्र में खींच-तान जारी। टाइम्स ऑफ इंडिया ने इसे महाभिड़ंत लिखा है। अमर उजाला की एक और खबर है, पवार बोले, हम विपक्ष में बैठेंगे।

दैनिक जागरण और नवोदय टाइम्स का शीर्षक बिना तेल-मसाला वाला है। लीड का शीर्षक है, शिवसेना ने मांगी 50-50 की गारंटी। उपशीर्षक है, सियासत - फड़नवीस बोले, भाजपा नेतृत्व वाला गठबंधन ही देगा मजबूत सरकार। इन दो खबरों के मुकाबले हरियाणा में शपथग्रहण की खबर छोटी सी है। ब्यौरा अंदर के पन्ने पर है। नवोदय टाइम्स ने हरियाणा में आज नई सरकार - शीर्षक लगाया है। सूचना उपशीर्षक में है - खट्टर मुख्यमंत्री, दुष्यंत लेंगे उपमुख्यमंत्री की शपथ।

राजस्थान पत्रिका की राय में भी महाराष्ट्र में पेंच फंसा है। उपशीर्षक है, महाराष्ट्र में फंसा पेंच : फडणवीस बोले, भाजपा नेतृत्व में ही 5 साल सरकार। मुख्य शीर्षक है, शिवसेना ने ढाई साल के लिए मांगा सीएम पद, कहा लिखकर दे भाजपा। मुझे लगता है कि यह पेंच फंसने जैसा साधारण मामला नहीं है और इसकी गंभीरता टाइम्स ऑफ इंडिया या नवभारत टाइम्स के शीर्षक से समझी जा सकती है। पत्रिका ने अपनी इस खबर के साथ एक दिलचस्प खबर छापी है, गठबंधन में गांठ देख कांग्रेस ने फेंका पासा । इसमें कहा गया है, महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष के नेता वी वाड्डेत्तिवार ने शनिवार को कहा कि अब शिवसेना को फैसला लेना है कि वह पांच साल का सीएम चाहती है या ढाई साल के सीएम की मांग पर भाजपा की प्रतिक्रिया का इंतजार करेगी।

इन दिनों जब देवीलाल और चौटाला परिवार के वारिश दुष्यंत भाजपा की राजनीति के कारण चर्चा में हैं तो भाजपा के एक और या पुराने दुष्यंत को याद कर लेना वाजिब रहेगा। 46 साल के दुष्यंत सिंह झालावाड़-बारन लोकसभा क्षेत्र से भाजपा के सांसद हैं और धोलपुर के महाराजा राणा हेमंत सिंह के पुत्र हैं। इनकी मां वसुंधरा राजे भी भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं और 2013 से 2018 तक राजस्थान की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं। दुष्यंत पिछली लोकसभा के भी सदस्य थे।

बाकी ख़बरें