RSS प्रमुख मोहन भागवत बोले- सनातन धर्म के उत्थान से ही हिन्दू राष्ट्र की प्रगति

Written by Sabrangindia Staff | Published on: March 24, 2022
साल 2024 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अपनी 100वीं जयंती मनाएगा। लेकिन बीते एक दशक के अंदर जिस तरह की गतिविधियां नजर आई हैं वह लगता है कि आरएसएस की स्वर्ण जयंती के लिए ही नफरत के बीज बोए जा रहे हैं। 2014 के बाद से सत्ता में आई बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व लगातार नफरती बयान देकर व अल्पसंख्यकों पर ज्यादती को लेकर चुप्पी साधे नजर आता है। बार-बार हिंदू राष्ट्र की बात आती है। इस बार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघचालक मोहन भागवत ने भी ऐसी ही बात कही है। 



मोहन भागवत ने कहा कि भारत संत सनातन धर्म की नगरी है और संतों के समागम से ही आध्यात्मिकता बढ़ती है। संतों के विचार और समागम से सनातन धर्म का उत्थान होगा और उससे हिंदू राष्ट्र प्रगति करेगा। देश और धर्म अलग नहीं बल्कि एक दूसरे के समागत से बढ़े हैं और बढ़ते रहेंगे। 

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मोहन भागवत बुधवार को हथियाराम मठ पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने कहा कि राम आज राम की चर्चा करने वाला अकेला मैं नहीं हूं, हर स्वयंसेवक है। राम की चर्चा तो समूचे भारत वर्ष ही करता चला आ रहा है। संतों के आशीर्वाद और श्री राम की इच्छा से ही सब कुछ होता है और हो रहा है। जो कार्य हो रहा है वह भगवान के नियम और सूत्र के अनुसार हो रहा है। भागवत दोपहर बनारस से जखनियां पहुंचे। कड़ी सुरक्षा और पुख्ता इंतजाम के बीच संघ प्रमुख ने हथियाराम मठ के महामंडलेश्वर के रजत जयंती समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए। 

हथियाराम मठ की माटी चंदन के समान 
रजत जयंती समारोह में मोहन भागवत ने कहा कि भारत बड़ा होता है सभी को अच्छे रास्ते पर बढ़ाने के लिए, अपने स्वार्थ के लिए नहीं। सिद्धपीठ हथियाराम मठ की माटी चंदन के समान है। यहां आने से देश कार्य, देव कार्य और धर्म कार्य, तीनों हो गया। आज शहीदी धरती पर शहीदी दिवस के पावन अवसर पर आना गौरव की बात है। यह दुनिया के लिए भले ही अलग बात हो लेकिन भारत को मानवता से जोड़ता है। 

सनातन धर्म को मानना भी भगवान की इच्छा 
भागवत ने कहा कि रामसेतु के निर्माण में एक छोटी गिलहरी ने भी साथ दिया, उसका काम गिनती में छोटा था परंतु गिलहरी भी अपने आने वाली पीढ़ी को बताती है कि मैंने प्रभु श्रीराम के कार्यों में हाथ बंटाया था। छोटा काम करना भी सार्थक होता है। प्रकृति अपना काम करती है। यहां धर्म का स्थान है। 25 पीढ़ियों के धर्म की तपस्या यहां पर चल रही है। सनातन धर्म को मानना भी भगवान की इच्छा ही होती है। हमारे यहां मानवता को बढ़ाने को भारत में भगवान की पूजा करके आत्म स्वरूप का दर्शन करते हैं। 

बुढ़िया माई का दर्शन किया 
इससे पहले संघ प्रमुख ने मठ में बुढ़िया माई का दर्शन कर पूजा-अर्चना की। मां से जगत कल्याण की कामना करते हुए मठ की महिमा और इतिहास की जानकारी ली। सरसंघचालक ने परमवीर चक्र विजेता वीर अब्दुल हमीद और महावीर चक्र विजेता राम उग्रह पाण्डेय के परिजनों से मुलाकात की। शहीद दिवस के अवसर पर वीरों के बलिदान को याद किया और परिजनों का अभिनंदन किया। 

हिंदू राष्ट्र को खतरा मानते थे डॉ आंबेडकर
भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने का सपना कोई आज का नया सपना नहीं है, भले ही आज वो परवान चढ़ता दिख रहा हो। लेकिन बाबा साहेब डॉक्टर आंबेडकर ने 1940 में धर्म आधारित राष्ट्र पाकिस्तान की मांग पर आगाह करते हुए कहा था, "अगर हिंदू राष्ट्र बन जाता है तो बेशक इस देश के लिए एक भारी ख़तरा उत्पन्न हो जाएगा। हिंदू कुछ भी कहें, पर हिंदुत्व स्वतंत्रता, बराबरी और भाईचारे के लिए एक ख़तरा है। इस आधार पर लोकतंत्र के अनुपयुक्त है। हिंदू राज को हर क़ीमत पर रोका जाना चाहिए।"

सात दशक पहले जिस ख़तरे के प्रति आंबेडकर ने आगाह किया था, वो आज भारत के दरवाज़े पर पुरज़ोर तरीके से दस्तक दे रहा है। भले ही संविधान न बदला गया हो और भारत अभी भी, औपचारिक तौर पर धर्म निरपेक्ष हो, लेकिन वास्तविक जीवन में हिंदुत्ववादी शक्तियां समाज-संस्कृति के साथ राजसत्ता पर भी प्रभावी नियंत्रण कर चुकी हैं।

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