2014 के बाद मोदी सरकार ने चोरी-छिपे स्विट्जरलैंड भेजा 200 टन सोना ?

Written by sabrang india | Published on: May 3, 2019
खोजी पत्रकार से नेता बने नवनीत चौधरी ने बड़ा खुलासा किया है। चतुर्वेदी का दावा है कि भारत सरकार ने साल 2009 में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से सोना खरीदा था, अभी देश का 200 टन सोना गायब है। भारत ने आईएमएफ के सीमित स्वर्ण बिक्री कार्यक्रम के तहत 31,490 करोड़ का सोना ब्रेटन वुड्स इंस्टीट्यूट से खरीदा था।



नवनीत चौधरी ने दावा किया कि उन्होंने अगस्त 2018 में आरटीआई के जरिए जानकारी मांगी थी कि आरबीआई के नागपुर स्थित वॉल्ट में कितना सोना है। इसके जवाब में आरबीआई ने कहा कि केंद्रीय बैंक के नियमों के मुताबिक यह जानकारी नहीं दी जा सकती।



जबकि दूसरे आरटीआई के जवाब में आरबीआई ने कहा कि आरबीआई के पास 268.01 टन सोना बैंक ऑफ इंग्लैंड और बैंक ऑफ इंटरनेशनल सेटलमेंट में सुरक्षित रखा है।

नवनीत चतुर्वेदी अब सवाल उठा रहे हैं कि आखिर देश का सोना विदेशी बैंकों में क्यों रखा गया है? और इसके बदले भारत को क्या मिला? साथ ही इस सूचना को सार्वजनिक क्यों नहीं किया जा रहा?

उनका दावा है कि 2011 से 2015 के बीच जारी आरबीआई की ऑडिट रिपोर्ट से जाहिर होता है कि 2014 और 2015 के बीच में कुछ न कुछ तो गड़बड़ हुआ है।

चतुर्वेदी का कहना है कि 30 जून 2011 की आरबीआई की सालाना बैलेंस शीट में इस 200 टन सोने का जिक्र है और कहा गया है कि यह भारत में है। 30 जून 2014 के जारी बैलेंस शीट में भी इसका जिक्र है।



लेकिन 2015 की सालाना बैलेंस शीट में इस सोने का जिक्र नहीं है। बल्कि कहा गया है कि सोने का एक हिस्सा स्विट्ज़रलैंड की बैंक ऑफ इंटरनेशनल सैटलमेंट में रखा गया है। यानी मई 2014 और जून 2015 के बीच चुपके से 200 टन सोना विदेश भेज दिया गया।



समाचार वेबसाइट नवजीवन की रिपोर्ट मुताबिक उन्होंने दावा किया है कि देश का सोना अगर विदेश भेजा जा रहा है, तो इस बात को सार्वजनिक किया जाना चाहिए था। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। जाहिर है सरकार कुछ न कुछ तो छिपा ही रही है।

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