दक्षिण भारत में 'हिन्दी' को लेकर बवाल, एचआरडी मिनिस्टर निशंक ने दी सफाई

Written by sabrang india | Published on: June 3, 2019
नई दिल्ली। त्रिभाषाई फोर्मूले को लेकर दक्षिण भारत के राज्यों में माहौल एक बार फिर गरमाता नजर आ रहा है। एक ओर तमिलनाडु की जनता इस मसौदे को लेकर आर-पार के मूड में दिख रही है। वहीं केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री (एचआरडी मिनिस्टर) रमेश पोखरियाल निशंक ने इन खबरों को खारिज कर दिया है। उन्होंने साफ कह दिया है कि देश की किसी भी भाषा के साथ किसी तरह का भेदभाव नहीं किया जाएगा। साथ ही किसी भी राज्य पर कोई भी भाषा थोपी नहीं जाएगी।

नई शिक्षा नीति के अनुसार दक्षिण भारत में 'हिन्दी' भाषा को जरूरी करने के प्रस्ताव पर तमिलनाडु में विरोध बढ़ गया है। इस मामले में वर्तमान एचआरडी मिनिस्टर रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि हम किसी भी भाषा के साथ कोई भेदभाव नहीं होने देंगे। न ही किसी राज्य पर कोई भाषा थोपी जाएगी। हम सभी भाषाओं का सम्मान करते हैं और उसका विकास चाहते हैं।

इस मुद्दे पर पूर्व एचआरडी मिनिस्टर प्रकाश जावडेकर ने भी सफाई दी है। प्रकाश जावडेकर ने कहा कि सरकार ने ऐसी कोई भी योजना नहीं बनाई है। हम सभी भाषाओं को आगे बढ़ाना चाहते हैं।

बता दें कि पूर्व एचआरडी मिनिस्टर स्मृति ईरानी के कार्यकाल के दौरान तीन साल पहले नई शिक्षा नीति का ड्राफ्ट तैयार किया गया था। जो प्रकाश जावडेकर के कार्यकाल के में फाइनल किया गया था। अब रमेश निशंक को सौंपा गया है।

फिलहाल सरकार त्रिभाषाई फार्मूले के तहत मातृभाषा, अंग्रेजी सहित तीसरी भाषा हिन्दी पाठक्रम में शामिल करने की सोच रही है। वहीं तमिलनाडु की जनता ने सरकार को यह साफ कर दिया है कि अगर ऐसा हुआ तो उसका अंजाम अच्छा नहीं होगा। 

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