संविधान विरोधी नागरिकता बिल देश को बांटेगा, रामदेव पर कार्रवाई हो- रिहाई मंच

Written by sabrang india | Published on: November 21, 2019
रिहाई मंच ने नागरिकता के सवाल पर दाऊदपुर आज़मगढ़ में स्थानीय लोगों के साथ चर्चा की। बातचीत में शामिल सभी ने एकमत से महान समाज सुधारक पेरियार ई वी रामासामी नायकर पर की जा रही अभद्र टिप्पणियों और बहुजन नायकों के प्रति अपशब्द कहे जाने की तीव्र निंदा की।



रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव ने कहा कि वर्तमान सरकार साम्प्रदायिक और जातीय आधार पर समाज को बांटने का काम कर रही है।

एक तरफ जिस जनता ने उसे चुना है उसी को वह एनआरसी के माध्यम से नागरिकता साबित करने को विवश करने का इरादा रखती है और दूसरी तरफ मुस्लिम दुश्मनी को साधने के लिए नागरिकता विधेयक में संशोधन कर एनआरसी में जगह न पाने वाले हिंदू, सिख, ईसाई, जैन, बौध, पारसी समुदाय के लोगों को नागरिकता देने की बात करती है।

उन्होंने कहा कि असम का अनुभव हमें बताता है कि एनआरसी की सबसे बड़ी मार गरीब, मज़दूर और वंचित वर्ग पर पड़ती है। उसे अपने कामकाज छोड़कर महीनों तक एनआरसी में नाम दर्ज करवाने के लिए संघर्ष करना पड़ता है, सम्पत्तिविहीन और शिक्षाविहीन इसी वर्ग के बड़े हिस्से को नागरिक होते हुए भी एनआरसी में जगह नहीं मिल पाती है।

इसके अतरिक्त जिन लोगों को एनआरसी में स्थान नहीं मिल पाएगा नागरकिता मिलने के बाद भी उनकी स्थिति शरणार्थी जैसी होगी और नागरिकता का उनका अधिकार सरकार की कृपा से मिल पाएगा।

अवध पीपुल्स फोरम के गुफरान सिद्दीकी ने कहा कि सरकार सभी मोर्चों पर असफल है। करीब छः सालों में शिक्षा, स्वास्थ, खेती किसानी या औद्योगिक क्षेत्र में कोई ऐसा काम नहीं किया जिसको लेकर जनता के बीच जा सके।

सरकार की मजबूरी है कि वह साम्प्रदायिक–जातिवादी मुद्दों से खेले ताकि जनता का ध्यान वास्तविक मुद्दों से भटकाया जा सके। उन्होंने कहा कि बढ़ती बेरोज़गारी के कारण लोगों की आय और खर्च करने की क्षमता घटी है।

जेएनयू के छात्र शिक्षा के निजीकरण और फीस बृद्धि के खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं वास्तव में यह संघर्ष देश के तमाम गरीबों और वंचित वर्ग का संघर्ष है और उनके साथ हर कदम पर खड़ा रहना होगा।

रिहाई मंच आज़मगढ़ के कार्यकारी संयोजक सालिम दाऊदी ने कहा कि महान समाज सुधारक पेरियार रामासामी ने जीवन पर्यन्त असमानता, छूआछुत भेदभाव, अंधविश्वास और धार्मिक पाखंड के खिलाफ लड़ाई लड़ी ऐसी महान विभूति को धर्म के नाम पर मूत्र बेचने वाले भाजपा सरकार के करीबी एक व्यवसायी द्वारा आतंकवादी कहा जाना अत्यंत आपत्तिजनक है।

उन्होंने कहा कि इसको लेकर आम जनमानस में आक्रोश है। सरकार को इसका संज्ञान लेते हुए उक्त व्यवसायी के खिलाफ कानूनी कार्यवाही की मांग की जानी चाहिए।

उन्होंने कहा कि जेएनयू समेत तमाम विश्वविद्यालयों में पढ़ रहे हमारे छात्रों के भविष्य को बर्बाद करने की साजिश को हम कामयाब नहीं होने देंगे।

रिहाई मंच नेता बांकेलाल यादव ने कहा कि इस सरकार में नौकरियों पर संकट है, नए रोज़गार पैदा नहीं हो रहे हैं। कारपोरेट्स और उदृयोगपतियों की सेवा में तत्पर सरकार निजी कंपनियों को लाभ पहुंचाने के लिए गरीबों का खून चूस रही है।

उन्होंने कहा कि गौरक्षा के नाम पर जो वातावरण निर्मित किया गया उससे किसानों और पशुपालक समाज को अपने जानवरों का न्यूनतम मूल्य भी नहीं मिल पा रहा है।

मांस कारोबारी बेरोज़गार हो गए लेकिन बड़ी कंपनियों के कत्लखानों में पहले से अधिक जानवरों का वध किया जाता है। बीफ निर्यात में भारत नम्बर एक पर पहुंच गया है।

अब दूध के कारोबार पर सरकार हमला करने जा रही है। एक ओर सरकार सब्सिडी बंद करने की बात करती है तो दूसरी ओर भारतीय मंडी को सब्सिडी प्राप्त विदेशी किसानें के दूध के लिए खोलकर उनकी कमर तोड़ देने पर आमादा है।

उन्होंने कहा कि जब तक जनता भावनात्म मुद्दों के पीछे भागती रहेगी उसके अस्तित्व से जुडे मुद्दों के साथ खिलवाड़ होता रहेगा।

बातचीत में बांके लाल यादव, शम्स तबरेज़, सालिम एडवोकेट, अब्दुल्लाह एडवोकेट, यासीन अहमद, तारिक शफीक, शाह आलम शेरवानी, कामिल शाह, ग़ुलाम अम्बिया, मो हारून, मसीहुद्दीन संजरी, शमीम अहमद अंसारी, मुश्ताक़ अहमद, मोहम्मद अनस, मोहम्मद आज़म आदि ने भाग लिया।

 

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