NRC से बाहर होने वाले लोगों की आत्महत्या का दौर जारी, करीब 30 लोग दे चुके जान

Written by Sabrangindia Staff | Published on: October 23, 2018
मंगलदोई: असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के अपडेटेड मसौदे के नाम पर केंद्र सरकार भले ही अपनी पीठ थपथपा रही हो लेकिन दशकों से यहां रहने वाले लोगों को एक पल में पराया होना इतना अखर रहा है कि वे आत्महत्या करने को मजबूर हैं. खारुपेटिआ गांव के जानेमाने बुद्धिजीवी, अध्यापक और वकील निरोद बरन दास ने आत्महत्या कर ली है. कहा जा रहा है की NRC के कारण नागरिकता छिन जाने के डर ने अब तक 28 लोगों की जान ली है. निरोद बरन दास 29वें शिकार हुए है.



पुलिस अधीक्षक श्रीजीत टी ने बताया कि सेवानिवृत्ति के बाद वकालत करने वाले निरोद कुमार दास अपने कमरे में फंदे से लटके पाए. वह रविवार को सुबह की सैर करने के बाद लौटे और आत्महत्या कर ली. उनके परिवार के सदस्यों ने उनका शव देखा.

उनके परिवार के सदस्यों ने बताया कि सुसाइड नोट में 74 वर्षीय दास ने कहा कि वह एनआरसी प्रक्रिया के बाद एक विदेशी के तौर पर पहचाने जाने के अपमान से बचने के लिए यह कदम उठा रहे हैं. उन्होंने बताया कि उनकी पत्नी, तीनों बेटियों, दामादों और बच्चों के साथ-साथ ज्यादातर रिश्तेदारों का नाम एनआरसी में शामिल था.

उनके परिवार के सदस्यों ने बताया कि राज्य में 30 जुलाई को प्रकाशित एनआरसी के पूर्ण मसौदे में नाम न होने के बाद से दास परेशान थे. स्थानीय एनआरसी केंद्र ने दो महीने पहले उन्हें एक दस्तावेज देते हुए बताया था कि उनका नाम अभी शामिल नहीं किया गया क्योंकि उन्हें विदेशी के तौर पर चिह्नित किया गया है. इसके बाद से ही वह परेशान चल रहे थे.

एनडीटीवी के मुताबिक दास को हाल ही में फॉरेन ट्रिब्यूनल (विदेशी नागरिक प्राधिकरण) का नोटिस भी मिला था. परिवार और पुलिस ने बताया कि सुसाइड नोट में दास ने किसी को जिम्मेदार नहीं ठहराया और पांच लोगों के नाम बताए हैं, जिनसे उन्होंने 1,200 रुपये लिए थे. दास ने अपने परिवार को उन्हें रुपये लौटाने के लिए कहा है.

गुस्साए परिवार और स्थानीय लोगों ने पुलिस को दास का शव पोस्टमार्टम के लिए ले जाने देने से इनकार कर दिया और मांग की कि उन्हें ‘विदेशी’ सूची में डालने के लिए एनआरसी केंद्र के खिलाफ कार्रवाई की जाए. जिला उपायुक्त और पुलिस अधीक्षक दास के घर गए और परिवार वालों को आश्वासन दिया कि यह जांच की जाएगी कि दास का नाम एनआरसी में क्यों शामिल नहीं किया गया. इसके बाद ही परिवार वाले राजी हुए.

इस बीच, बंगाली छात्र संघ ने एनआरसी के पूर्ण मसौदे में दास का नाम न होने के विरोध में खरुपेटिया में सोमवार को एक दिवसीय बंद बुलाया. अधिकारियों ने बताया कि बंद के दौरान बाजार, दुकानें, शैक्षिक संस्थान, निजी कार्यालय और बैंक बंद रहे जबकि सड़कों से वाहन नदारद रहे.

मालूम हो कि 30 जुलाई को असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) का फाइनल मसौदा जारी किया गया था. इसमें शामिल होने के लिए 3.29 करोड़ लोगों ने आवेदन किया था, जिनमें से 2.89 करोड़ लोगों के नाम इस मसौदे में शामिल हुए. 40, 07,707 लोगों का नाम इस सूची में नहीं हैं.

मसौदा प्रकाशित होने के बाद यह आत्महत्या की तीसरी घटना है. 11 सितंबर को गुवाहाटी में एक 37 वर्षीय व्यक्ति ने अपनी मां का नाम डी-वोटर लिस्ट से न निकलवा पाने के चलते फांसी लगा ली थी. इसके बाद 14 अक्टूबर को तांगला में एक 59 वर्षीय अध्यापक ने एनआरसी सूची में अपना नाम न आने के डर से जान दे दी थी.

बाकी ख़बरें