किसानों और मेहनतकशों की बर्बादी के दस्तावेज तीन कृषि कानूनों को वापिस लो- जन संघर्ष मंच हरियाणा

Written by Sabrangindia Staff | Published on: January 25, 2021
देशी विदेशी बड़े पूंजीपतियों को हित में बनाए गए किसान मजदूर विरोधी तीनों कृषि कानून रद्द करो। रिव्यू कमेटी बनाकर मुद्दे को ठंडे बस्ते में डालने की चालें नहीं चलेंगी। जीवनोपयोगी सभी आवश्यक वस्तुओं का थोक व खुदरा व्यापार सरकार अपने हाथ में ले। लक्षित जन वितरण प्रणाली (पीडीएस) को सार्विक किया जाए। 



प्रस्तावित बिजली (संशोधन) कानून 2020 वापिस लो। प्रदूषण नियंत्रण के नाम पर पराली जलाने पर किसानों को दंडित करने वाला अध्यादेश तुरंत रद्द किया जाए। आंदोलनकारी किसानों पर दमन नहीं सहेंगे। आंदोलनकारी किसानों और उनके समर्थकों पर लगाए गए सभी झूठे मुकदमे वापिस लो। छोटे-मझोले किसानों के लिए बिना ब्याज संस्थागत कर्ज का प्रावधान, बीज खाद बिजली व अन्य उत्पादक सामग्री पर सरकारी सब्सिडी सुनिश्चित करो। पर्यावरण के अनुकूल कृषि और छोटे-मझोले किसानों द्वारा सामूहिक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए सरकारी संस्थागत सहयोग कानूनी रूप से सुनिश्चित करो। ये मांगें रखी हैं जन संघर्ष मंच हरियाणा, मेहनतकश किसान मोर्चा और इंकलाबी केंद्र पंजाब ने। 

इसके साथ ही संगठन ने आह्वान किया है कि 26 जनवरी को शांतिपूर्ण किसान गणतंत्र परेड ट्रैक्टर रैली में भाग लेने के लिए दिल्ली पहुंचें। संगठन ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा 3 कृषि कानूनों की समीक्षा के लिए गठित कमिटी को लेकर कहा कि यह मुद्दों से ध्यान भटकाने की एक चाल थी जो नाकाम रही। मोदी सरकार ने ये जन विरोधी कृषि कानून राज्यसभा में अलोकतांत्रिक तरीके से पास किए हैं। राज्यसभा में मोदी सरकार का बहुमत न होने पर भी सबने देखा है कि किस तरह से विपक्षी सांसद वोटिंग की मांग करते रहे परंतु मोदी सरकार ने तमाम संवैधानिक प्रावधानों को पैरों तले रौंदते हुए इन कानूनों को पास किया है। 

जन संघर्ष मंच की पूरी बुकलेट यहां पढ़ सकते हैं:

 

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