याद कीजिए जब राजस्थान के राज्यपाल ने यूपी के राजभवन के सामने धरना प्रदर्शन किया था?

Written by sabrang india | Published on: July 27, 2020
नई दिल्ली। कम से कम चालीस साल से कम उम्र के लोग बहुत कम जानते होंगे कि वरिष्ठ राजनेता और वर्तमान में राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने अपने गृह उत्तर प्रदेश में राज्यपाल निवास पर धरना प्रदर्शन किया था। 




यह तस्वीर 2 जून 1995 की उत्तर प्रदेश के राजभवन की है जब आत्मविश्वास से भरे कलराज मिश्र अपने समर्थकों के बीच खड़े हैं, उनके साथ में धरने में भारतीय जनता पार्टी के नेता और भारतीय जनता पार्टी प्रदेश अध्यक्ष धरने पर बैठे हुए हैं। 

ठीक वैसी ही परिस्थिति आज राजस्थान में है जब वह राज्यपाल की भूमिका में हैं, कांग्रेस विधायक विधानसभा सत्र बुलाने की मांग करते हुए धरना दे रहे हैं। ये ब्लैक एंड व्हाईट तस्वीर सीनियर फोटोग्राफर मनोज छाबरा ने खींची थी और टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित किया था। 

कांग्रेस के विधायकों के द्वारा राजभवन के सामने हालिया विरोध के बाद राज्यपाल कलराज मिश्र ने अशोक गहलोत को पत्र लिखकर कहा था कि वह 'राजभवन को एक राजनीतिक रंग देने से दुखी और आहत' हैं। 



न्यूज रिपोर्ट्स के अनुसार  मिश्र ने कहा था कि राज्यपाल को खतरा महसूस होना राजस्थान में कानून और व्यवस्ता की स्थिति बताता है। उन्होंने मुख्यमंत्री को संबोधित करते हुए कहा था, यदि आप और आपका गृहविबाग राज्यपाल की रक्षा नहीं कर सकते तो राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति के बारे में आपकी क्या राय है? इसके साथ ही यह भी बताएं कि राज्यपाल की सुरक्षा के लिए किस एजेंसी से संपर्क किया जाना चाहिए। अपने लंबे राजनीतिक जीवन में मैने कभी किसी मुख्यमंत्री का बयान नहीं सुना और क्या निर्वाचित विधायकों राज्यपाल के आवास के अंदर धरना देना दबाव की राजनीति की शुरूआत नहीं है?

अब सोशल मीडिया पर कांग्रेस के समर्थक राजस्थान के राज्यपाल को उन दिनों को याद दिला रहे हैं। कांग्रेस समर्थक सोशल मीडिया यूजर्स कह रहे हैं कि तब उन्हें राजभवन में धरना प्रदर्शन करने का अधिकार था लेकिन आज वह दबाव में हैं। 



दिलचस्प बात यह है कि 1997 में जब यूपी विधानसभा में अभूतपू्र्व हिंसा ने कहर बरपाया तो कलराज मिश्र भी घटनाक्रमों के केंद्र में थे।  इंडिया टुडे के नवंबर 1997 के संस्करण की एक रिपोर्ट के अनुसार, तत्कालीन यूपी के राज्यपाल रोमेश भंडारी ने विश्वास मत के दौरान विधानसभा में संभावित हिंसा पर चिंता व्यक्त की थी। 

रिपोर्ट के मुताबिक पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने 19 अक्टूबर को भंडारी को सूचित किया कि उनकी बहुजन समाज पार्टी के 67 सदस्य कल्याण सिंह से समर्थन वापस ले रहे हैं। ऐसा लग रहा था कि उत्तर प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लग जाएगा। 

तब बहुत से विधायकों को सुरक्षित कैंपों में ले जाया गया था और हॉर्स ट्रेडिंग के आरोपों ने तेजी से उड़ान भरी थी। इसके बाद विधानसभा सत्र में जल्द ही विश्वास मत हिंसक हो गया और विधानसभा स्पीकर की फाइलें और कुर्सियां फूंकी गईं। जल्द ही माइक्रोफोनों को उखाड़ दिया गया और बीजेपी पर बेंचे फेंकी गईं। एक ने बीजेपी के मंत्री कलराज मिश्र को चाकू मार दिया।  हालांकि प्राथमिक उपचार के बाद वह ठीक हो गए, कार्रवाई पिर से शुरू की गई और आखिरकार कई बड़े पदों पर बैठे लोगों ने अपनी सेवा खो दी। 

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